राजस्थान विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की हार के बाद एक बार फिर कांग्रेस सत्ता में आने को तैयार है. मंगलवार को आए चुनावी नतीजों में कांग्रेस बहुमत का आंकड़ा छूने में दो सीटों से पीछे रह गई लेकिन राज्य में 99 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है. 2013 में 163 सीटों के साथ सत्ता में आई वसुंधरा राजे की सरकार को लोगों ने 5 साल बाद सत्ता से बेदखल कर दिया. मुख्यमंत्री ने राज्यपाल कल्याण सिंह को अपना इस्तीफा सौंप दी. हार को स्वीकार करने के बाद उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी विधानसभा में विपक्ष में बैठेगी और जनता से जुड़े मुद्दे उठाती रहेगी. राज्य में अलवर के रामगढ़ सीट पर बसपा प्रत्याशी की मृत्यु के कारण मतदान नहीं हो पाया था.
इन सबके बाद राजस्थान में अब नई सरकार बनाने के लिए जद्दोजहद तेज हो गई है. कांग्रेस बहुमत से दो सीट दूर है ऐसे में सरकार के गठन के लिए वह अब स्वतंत्र विधायकों या अन्य दलों के भरोसे है. पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कांग्रेस के बागी विधायकों के साथ संपर्क साध रहे हैं.
नए मुख्यमंत्री और सरकार गठन पर निर्णय लेने के लिए बुधवार को नव निर्वाचित विधायकों की बैठक बुलाई गई है. कांग्रेस के एक नेता ने बताया कि स्वतंत्र चुने गए विधायकों महादेव खांडेला, बाबू लाल नागर (दोनों पूर्व मंत्री), कांति प्रसाद और अन्य अशोक गहलोत के संपर्क में हैं.
राजस्थान में सीटों की स्थिति
कांग्रेस 99, भारतीय जनता पार्टी 73, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) 6, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) 2, भारतीय ट्राइबल पार्टी 2, राष्ट्रीय लोक दल 1, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी 3 और निर्दलीय के पास 13 सीटें हैं.
सरकार बनाने के लिए कांग्रेस शाम 7 बजे राज्यपाल के समझ दावा पेश करेगी. निर्दलीय विधायक अशोक गहलोत और सचिन पायलट के निवास पर पहुंच रहे हैं. अशोक गहलोत ने मंगलवार को साफ कर दिया था कि वे निर्दलीय विधायकों के समर्थन के लिए तैयार हैं.
वहीं कांग्रेस गठबंधन में शामिल राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) ने भी समर्थन देने का भरोसा दिया है. आरएलडी को 1 सीट पर जीत मिली है. आरएलडी के जयंत चौधरी ने कहा, 'मैं बहुत खुश हूं कि राजस्थान में जनता ने स्पष्ट जनादेश दिया है. स्थिर सरकार के लिए हमारे विधायक कांग्रेस को पूरा समर्थन देंगे. बीजेपी ने नकारात्मक कैंपेन चलाए. यूपी के सीएम आए और किसानों के मुद्दों के बदले अली और बजरंगबली पर चर्चा किए.'
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हालांकि निर्दलीय विधायकों के समर्थन में कई सारी पेंच सामने सकती है जो अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बनाए जाने को लेकर स्थिति रख सकते हैं. क्योंकि निर्दलीय चुनाव लड़े विधायकों में दो अशोक गहलोत सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं.
इसके अलावा अगर निर्दलीय विधायकों से बात नहीं बनी तो कांग्रेस के पास दूसरे दलों का समर्थन भी मिल सकता है. जिसमें सीपीएम भी शामिल है जो राष्ट्रीय स्तर पर बने महागठबंधन में कांग्रेस के साथ है. ऐसे में राजस्थान में सरकार बनाना कांग्रेस के लिए मुश्किल नहीं दिख रहा है.
Source : News Nation Bureau