कांग्रेस आलाकमान के दूत मलिकार्जुन खड़गे और पुडुचेरी के पूर्व मुख्यमंत्री वी वैथीलिंगम मंगलवार को कांग्रेस के 21 विधायकों के साथ आमने-सामने बातचीत करेंगे, ताकि यह तय किया जा सके कि केरल में विपक्ष का नेता किसे होना चाहिए. कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ को 6 अप्रैल के विधानसभा चुनावों में हार का सामना करना पड़ा था, जब विजयन के नेतृत्व में सत्तारूढ़ वाम ने 140 सदस्यीय विधानसभा में 99 सीटें जीतकर जीत हासिल की थी, जिसमें यूडीएफ को सिर्फ 41 सीटें मिली थीं. पिछले कुछ वर्षों में कांग्रेस पार्टी अनुभवी नेता ओमान चांडी और रमेश चेन्नीथला के बीच बंटी हुई है. हाल ही में एआईसीसी महासचिव केसी वेणुगोपाल के नेतृत्व में एक और नया गुट बना है.
रेस में हैं ये सबसे आगे
पद के लिए सबसे अधिक रमेश चेन्नीथला, वीडी सतीशन दोनों 'आई' गुट का प्रतिनिधित्व करते हैं, जबकि चांडी गुट के उम्मीदवारों में तिरुवंचूर राधाकृष्णन और उनके पूर्व सदस्य पीटी थॉमस हैं. यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष शफी परम्बिल, जिन्हें मेट्रोमैन ई श्रीधरन ने कड़ी टक्कर दी थी, वह भी दावेदारी में हैं. उन्हें आलाकमान का उम्मीदवार माना जा रहा है, क्योंकि वे केरल में सबसे पुरानी पार्टी में एक पीढ़ी परिवर्तन चाहते हैं. चेन्नीथला, जो मुख्यमंत्री बनने के लिए पूरी तरह तैयार थे, उनको एक झटका लगा जब कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूडीएफ बुरी तरह हार गई.
चांडी का आशीर्वाद होगा जरूरी
इस मामले से वाकिफ एक सूत्र ने कहा कि जो भी नेता प्रतिपक्ष बनेगा, उसे दो बार के पूर्व मुख्यमंत्री चांडी का समर्थन हासिल करना होगा. सूत्र ने यह भी बताय, 'अपने खराब स्वास्थ्य के साथ, चांडी पीछे हट गए हैं और इसलिए मैदान उन लोगों के लिए खुला है. यहां फिर से चांडी गुट के लोग विभाजित हैं यदि उन्हें चेन्नीथला के लिए हाथ उठाने की आवश्यकता है, जबकि एक अन्य गुट एक नया विपक्षी नेता चाहता है और एक नया पार्टी अध्यक्ष भी चाहता है.' इस बीच दूत सभी विधायकों और लोकसभा और राज्यसभा सदस्यों से मिलकर अपनी रिपोर्ट पार्टी आलाकमान को देंगे और एक-दो दिन में दिल्ली से इसकी घोषणा कर दी जाएगी. यह देखा जाना बाकी है, कि गुरुवार से पहले नाम को अंतिम रूप दिया जाएगा या नहीं, जब विजयन और उनके 20 सदस्यीय मंत्रिमंडल यहां दोपहर 3:30 बजे शपथ लेंगे.
HIGHLIGHTS
- मलिकार्जुन खड़गे और वी वैथीलिंगम पहुंचे केरल
- कांग्रेस में होना है नेता प्रतिपक्ष का चुनाव
- गुटों में बंटी कांग्रेस के लिए आसान नहीं होगा