Advertisment

MP Election: बुंदेलखंड में कांग्रेस की मुसीबत न बन जाए सत्‍यव्रत चतुर्वेदी का 'व्रत'

सत्‍यव्रत चतुर्वेदी की पहचान पूरे बुंदेलखंड एक साफ छवि के नेता की है. वह अपने मुद्दों और बात पर किसी से टकराव करने में नहीं हिचकते.

author-image
Drigraj Madheshia
एडिट
New Update
MP Election:  बुंदेलखंड में कांग्रेस की मुसीबत न बन जाए सत्‍यव्रत चतुर्वेदी का 'व्रत'

सत्यव्रत चतुर्वेदी की बगावत कांग्रेस पर पड़ सकती है भारी

Advertisment

एक कहावत है कि आप पसंद करें, ना पसंद करें, मगर नजरअंदाज नहीं कर सकते. मध्‍य प्रदेश के बुंदेलखंड इलाके के दो नेताओं-भारतीय जनता पार्टी (BJP) की उमा भारती और कांग्रेस के सत्यव्रत चतुर्वेदी पर यह कहावत पूरी तरह लागू होती है. उमा भारती की तो वर्षो पहले बीजेपी में वापसी हो गई, अब सत्यव्रत चतुर्वेदी को कांग्रेस से बाहर करने की तैयारी है. चतुर्वेदी की पहचान पूरे बुंदेलखंड एक साफ छवि के नेता की है. वह अपने मुद्दों और बात पर किसी से टकराव करने में नहीं हिचकते, यही कारण है कि कांग्रेस के कई बड़े नेताओं के निशाने पर रहते हैं.

यह भी पढ़ें ः वेतन बढ़ने के बाद भी बिहार के MLAs को मिलती है दिल्‍ली-तेलंगाना से कम सैलरी, देखें किस राज्‍य में कितना है वेतन

कई बार उन्हें साइडलाइन करने की कोशिश हुई, मगर ऐसा हो नहीं पाया. इस बार चतुर्वेदी के बेटे नितिन चतुर्वेदी पार्टी का टिकट न मिलने पर कांग्रेस से बगावत कर समाजवादी पार्टी के टिकट पर छतरपुर जिले के राजनगर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं. पिछले दिनों चतुर्वेदी ने कांग्रेस के नेताओं पर ही धोखा देने का आरोप लगा दिया, उन्होंने अपनी नाराजगी जाहिर की.

यह भी पढ़ेंः  इनमें से कोई हो सकता है छत्‍तीसगढ़ का अगला CM, जानें क्‍या है इनकी खासियत

चतुर्वेदी की नाराजगी को पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भी जायज ठहराते हैं और कहते हैं कि राजनगर से नितिन को पार्टी का उम्मीदवार बनाने पर सहमति बनी थी, मगर ऐसा हो नहीं पाया, क्योंकि स्थानीय विधायक विक्रम सिंह उर्फ नाती राजा जो चुनाव लड़ने से मना कर चुके थे, अपनी बात से मुकर कर चुनाव लड़ने पर अड़ गए.वहीं सत्यव्रत लगातार एक ही बात हक रहे हैं कि कांग्रेस उनकी रगों में है, वे जन्मे कांग्रेस परिवार में हैं और उनकी अंतिम सांस भी कांग्रेस के लिए ही है, जहां तक बात राजनगर चुनाव की है तो वे बेटे के लिए लिए वही फर्ज निभाएंगे, जो एक पिता को निभाना चाहिए.

यह भी देखें ः कांग्रेस-बीजेपी के वंशवाद की बेल, बेटा, बहू, भाई और रिश्‍तेदार भी मैदान में, देखें कौन कहां से लड़ रहा चुनाव

बुंदेलखंड के राजनीतिक विश्लेषक रवींद्र व्यास का कहना है कि सत्यव्रत की पहचान उनकी कार्यशैली और जुझारू व्यक्तित्व के कारण है, वे पूरे जीवन उन ताकतों से लड़े जो कांग्रेस केा कमजोर करती रही, अब भी उनकी लड़ाई अपने तरह की है. वह कांग्रेस का विरोध नहीं कर रहे हैं, मगर बेटे के लिए वोट मांग रहे हैं. एक पिता को यह तो करना ही होगा, कांग्रेस चतुर्वेदी को निष्कासित करने की कोशिश कर रही है, कांग्रेस अगर ऐसा करती है तो नुकसान उठाने को भी उसे तैयार रहना चाहिए.

जिद्दी नेता माने जाते हैं चतुर्वेदी

सत्यव्रत चतुर्वेदी की मां विद्यावती चतुर्वेदी लोकसभा सांसद रहीं, उनकी इंदिरा गांधी से काफी करीबी थी, सत्यव्रत के पिता बाबूराम चतुर्वेदी राज्य सरकार में मंत्री रहे. विद्यावती-बाबूराम चतुर्वेदी ने आजादी की लड़ाई में हिस्सा लिया था. चतुर्वेदी की पहचान ऐसे नेता के तौर पर है, जो जिद्दी, हठी है और अपनी बात कहने से किसी से हिचकता नहीं है. यही कारण है कि उनकी वर्तमान दौर के नेताओं से ज्यादा पटरी मेल नहीं खाती. संभवत: देश में कम ही ऐसे नेता होंगे जो इस स्तर पर पहुंचने के बाद भी बगैर सुरक्षाकर्मी के चलते हों, उनमें चतुर्वेदी एक हैं.

सोनिया गांधी के कहने पर संन्यास छोड़कर खजुराहो से लोकसभा का चुनाव लड़े 

चतुर्वेदी का राजनीतिक जीवन-उतार चढ़ाव भरा रहा है. अर्जुन सिंह की सरकार में उपमंत्री थे, न्यायालय का फैसला उनके खिलाफ आया तो पद से इस्तीफा देना पड़ा, दिग्विजय सिंह से टकराव हुआ तो विधानसभा की सदस्यता त्याग कर संन्यास ले लिया. सोनिया गांधी के कहने पर संन्यास छोड़कर खजुराहो से लोकसभा का चुनाव लड़े और जीते, उसके बाद का चुनाव हार गए.अर्जुन सिंह और दिग्विजय सिंह से उनका टकराव जगजाहिर रहा, मगर कांग्रेस ने समन्वय समिति में उन्हें रखा तो वे सारे मतभेद को भुलाकर इस विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत के लिए दिग्विजय सिंह के साथ पूरे प्रदेश के दौरे पर निकल पड़े. जब बेटे को टिकट नहीं मिला तो नाराजगी जाहिर की और अब कांग्रेस के दरवाजे पर बाहर जाने को खड़े हैं.

Source : IANS

BJP Digvijay Singh madhya pradesh election Rebel Satyavrat Chaturvedi Congress in trouble Bundelkhand madhya pradesh election 2018 Nitin Chaturvedi
Advertisment
Advertisment
Advertisment