Karnataka Election Results 2023 Live: कर्नाटक में विधानसभा चुनाव के रुझानों और नतीजों में कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत मिलता दिख रहा है. वहीं सत्ताधारी बीजेपी के लिए ये नतीजे बड़ा झटका लेकर आए हैं. 224 सीटों वाली विधानसभा में कांग्रेस पार्टी 133 सीटों पर आगे चल रही है. वहीं बीजेपी 65 सीटों पर आगे है और जेडीएस 22 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है. रुझानों से साफ है राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने जा रही है.
2018 में जीतकर भी हार गई BJP...लेकिन
कर्नाटक की राजनीति की बात करें तो पिछले चुनाव, यानी साल 2018 में हुए चुनाव में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद सरकार नहीं बना पाई थी. वहीं कांग्रेस और जेडीएस ने मिलकर सरकार बना ली थी और जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी सीएम बने थे. लेकिन ये सरकार सवा साल ही चल सकी, बाद में कांग्रेस और जेडीएस के विधायकों को तोड़कर बीजेपी ने खुद सरकार बना ली. येदियुरप्पा चौथी बार सीएम बन गए लेकिन इस बार भी वो भी पांच साल तक सत्ता नहीं चल पाए, दो साल बाद ही पार्टी ने कमान बसवराज बोम्मई को दे दी.
2013 में मिला था कांग्रेस को पूर्ण बहुमत
बात 2018 से पहले के चुनाव की करें तो उस साल यानी साल 2013 में कर्नाटक विधानसभा में कांग्रेस पार्टी को स्पष्ट बहुमत मिला था, उस वक्त कांग्रेस ने 122 सीटों पर जीत हासिल की थी. वहीं बीजेपी और जेडीएस दोनों ही 40-40 सीटों पर सिमट कर रह गई. सिद्धारमैय्या के नेतृत्व में पार्टी ने अपना 5 साल का कार्यकाल पूरा किया था.
साल 2008 में BJP जीती, बदले 3 मुख्यमंत्री
इससे पहले साल 2008 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने अपनी पूरी ताक झोंक दी थी. पार्टी को इस बार पूरी उम्मीद थी कि सरकार उसी की बनेगी. नतीजे भी बीजेपी के फेवर में आए.बीजेपी ने राज्य की 224 में से 110 सीटों पर जीत दर्ज की, बहुमत के लिए अभी भी 3 सीटों की दरकार थी, बीजेपी ने 6 निर्दलीय के समर्थन से सरकार बना ली. दक्षिण भारत के किसी राज्य में पहली बार बीजेपी की सरकार बनी थी. सरकार तो पूरे पांच साल चली, लेकिन मुख्यमंत्री तीन बदले गए. पहले कमान येदियुरप्पा को सौंपी गई, इसके बाद सदानंद गौड़ा को सीएम बनाया गया और फिर जगदीश शेट्टार को.
साल 2004 में त्रिशंकु विधानसभा से बिगड़ा खेल
साल 2004 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने सबसे ज्यादा सीटें जीतीं, लेकिन सरकार नहीं बन सकी. बीजेपी ने 79 सीटों पर जीत दर्ज की, वहीं कांग्रेस 65 औऱ जेडीएस 58 सीटों पर सिमट गई. नतीजा ये हुआ कि कांग्रेस और जेडीएस ने मिलकर सरकार बना ली. पहले एक साल 251 दिन के लिए कांग्रेस के धरम सिंह मुख्यमंत्री बने, फिर अगले एक साल 253 दिन जेडीएस के कुमारस्वामी ने सत्ता संभाली. लेकिन फिर दोनों दलों के बीच तनातनी बढ़ गई और राज्य में राष्ट्रपति शासन लग गया. 35 दिन के राष्ट्रपति शासन के बाद जेडीएस ने बीजेपी को समर्थन कर दिया, येदियुरप्पा सीएम बने लेकिन 7 दिन में ये सरकार गिर गई. राज्य में एक बार फिर 191 दिनों तक राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा.
1999 में जनता दल की टूट से कांग्रेस को फायदा
साल 1999 में हुए कर्नाटक विधानसभा चुनाव से पहले जनता दल टूट चुका था. इसका असर कर्नाटक के विधानसभा चुनाव में दिखाई दिया. नतीजों में कांग्रेस को 132 सीटें हासिल हुईं. कांग्रेस नेता एसएम कृष्णा राज्य के नए मुख्यमंत्री बने. इन चुनावों में बीजेपी ने 44 और जेडीएस ने 10 सीटों पर जीत दर्ज की. ये पहला चुनाव था जिसमें जेडीएस ने जनता दल से अलग होकर एक क्षेत्रीय पार्टी के रूप में चुनाव लड़ा था. एसएम कृष्णा की सरकार ने अपना कार्यकाल पूरा किया था लेकिन कार्यकाल पांच साल का नहीं था, बल्कि 4 साल 230 दिन का था.
1994 में जनता दल का परचम
अब बात साल 1994 में हुए कर्नाटक विधानसभा चुनाव की करें तो ये वो दौर था जब गैर-बीजेपी और गैर कांग्रेस राजनीति की बयार पूरे देश में छाई थी. यही वजह रही कि इन चुनावों में जनता दल को राज्य की जनता ने पूर्ण बहुमत दिया. एचडी देवगौड़ा के नेतृत्व जनता दल ने 115 सीटें हासिल की. जबकि कांग्रेस मात्र 34 सीटों पर सिमट गई, वहीं दक्षिण के राज्यों में अपना विस्तार करने में जुटी बीजेपी ने इन चुनावों में 40 सीटों के साथ प्रमुख विपक्षी दल की भूमिका अदा की. देवगौड़ा 1 साल 172 दिन तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे. इसके बाद वो देश के प्रधानमंत्री बन गए और राज्य की कमान जेएच पटेल के हाथों में चली गई.
रिपोर्ट- नवीन कुमार
Source : News Nation Bureau