Delhi Assembly Election: चांदनी चौक लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत बल्लीमारान विधानसभा सीट दिल्ली के बेहद चर्चित सीटों में से एक है. इस क्षेत्र को महान शायर मिर्जा गालिब की नगरी के नाम से भी जाना जाता है. इसके अलावा यह मुस्लिम बहुल सीट सेंट्रल दिल्ली में आती है. यह इलाका कभी कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था. लेकिन पिछले चुनाव में आम आदमी पार्टी की आंधी में कांग्रेस का यह मजबूत किला ढह गया. यहां भारतीय जनता पार्टी आज तक अपना खाता नहीं खोल पाई है.
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2015 के विधानसभा चुनाव के मुताबिक, बल्लीमारान विधानसभा में मतदाताओं की कुल संख्या 1,40,772 है. यहां 78,774 पुरुष और 61,991 महिला वोटर्स थे. जिनमें से सिर्फ 95,656 वोटर्स ने मतदान किया था. पिछले चुनाव में इस सीट पर कुल 68 फीसदी वोटिंग हुई थी.
2015 में आम आदमी पार्टी ने जीत हासिल की
इस सीट पर पिछले चुनाव में आम आदमी पार्टी ने अपना खाता खोला. आप के उम्मीदवार इमरान हुसैन ने यहां से जीत हासिल की थी. उन्होंने बीजेपी के श्याम लाल मोरवाल को 33,877 वोटों से हराया था. जबकि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री हारुन युसूफ तीसरे स्थान पर रहे थे. उनके पक्ष में महज 13,205 वोट पड़े थे. पिछले चुनाव में इस सीट पर कुल 12 उम्मीदवारों ने अपनी किस्मत आजमाई थी.
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लगातार 5 बार कांग्रेस का कब्जा रहा
2015 से पहले के चुनावों की बात करें तो यहां लगातार कांग्रेस का कब्जा रहा है. 1993 में पूर्ण विधानसभा का दर्जा मिलने के बाद से 2013 कांग्रेस के हारुन युसूफ को इस क्षेत्र की जनता ने चुना. हारुन युसूफ ने इस सीट से लगातार 5 बार चुनाव जीतने का रिकॉर्ड बनाया. हालांकि पिछले चुनाव में वो हार गए.
बीजेपी के सामने चुनौती
इस सीट पर बीजेपी को आज तक जीत नहीं मिली है. वो इस बार के चुनाव में बल्लीमारान में वोट पाने के मामले में बीजेपी कभी 30 हजार का आंकड़ां नहीं छू पाई है. यहां 2008 के चुनाव में बीजेपी ने सबसे प्रदर्शन किया था और मोती लाल सोढ़ी को 28,423 मत मिले. हालांकि फिर वो जीत नहीं पाए थे. सीएए के बाद इस बार के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के सामने यहां बड़ी चुनौती है.
दिल्ली विधानसभा के 8 फरवरी को चुनाव होने हैं
बता दें कि दिल्ली विधानसभा की 70 सीटों पर चुनाव के लिए 8 फरवरी वोटिंग होगी और 11 फरवरी को मतगणना होगी. पिछले विधानसभा चुनाव में दिल्ली की 70 में से 67 सीटों पर आप की जीत हुई थी. बीजेपी को सिर्फ तीन सीटें मिलीं थीं, जबकि कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला था.
Source : dalchand