दिल्ली में चुनाव दर चुनाव आपराधिक छवि के उम्मीदवारों की बढ़ती आमद के साथ ही चुनाव में मतदाताओं को लुभाने के लिये इस्तेमाल होने वाली अवैध सामग्री, खासकर नशे का जोर भी पिछले रिकार्ड तोड़ रहा है. विधानसभा के इस चुनाव में सुरक्षा एजेंसियों द्वारा जब्त किए गए नशीले पदार्थों में गांजे की भारी मात्रा में बरामदगी चौंकाने वाली है. चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक पिछले चार विधानसभा चुनाव में गंभीर आपराधिक मामलों में फंसे उम्मीदवारों की हिस्सेदारी 2008 में चार फीसदी से बढ़कर 2020 में 15 फीसदी हो गयी है, वहीं इस चुनाव में अब तक नशीले पदार्थों की जब्ती, पिछले चुनाव की तुलना में 21 गुना अधिक हो चुकी है.
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चुनाव में अवैध सामग्री की धरपकड़ संबंधी आयोग की रिपोर्ट के अनुसार 2015 के विधानसभा चुनाव में जब्त की गयी अवैध शराब, नशीले पदार्थ और कीमती धातुओं की कीमत 2.42 करोड़ रुपये थी.
वहीं, इस चुनाव में छह जनवरी को आचार संहिता लागू होने के बाद पांच सप्ताह में 30 जनवरी तक 42. 69 करोड़ रूपए मूल्य की शराब, नशीले पदार्थ और कीमती धातुयें जब्त की जा चुकी हैं. सुरक्षा एजेंसियों के लिये कुल 135 किग्रा से अधिक जब्त किये गये नशीले पदार्थों में इस बार गांजे की सर्वाधिक मात्रा, सुरक्षा एजेंसियों के लिये चौंकाने वाली साबित हुयी है.
चुनाव के दौरान अवैध सामग्री की धरपकड़ अभियान से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि चुनाव में मांग के अनुरूप नशीले पदार्थों की अवैध आपूर्ति करवायी जाती है. पिछले साल लोकसभा चुनाव के दौरान दिल्ली में पकड़ी गयी 83 किग्रा हरोइन की जगह इस विधानसभा चुनाव में गांजे ने ले ली है. आयोग के एक अधिकारी ने बताया कि चुनाव में आपराधिक मामलों में आरोपियों की उम्मीदवारी के बढ़ते ग्राफ को, चुनाव में नशा और अन्य अवैध सामग्री की बढ़ती खपत से अलग करके नहीं देखा जाना चाहिये.
उल्लेखनीय है कि चुनावी विश्लेषण से जुड़ी शोध संस्था ऐसोसिएशन फोर डेमोक्रेटिक रिफोर्म :एडीआर: की शनिवार को जारी हुई रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली विधानसभा चुनाव में धनबल और बाहुबल का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है.
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रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली के चुनाव मैदान में जमे कुल 672 उम्मीदवारों में गंभीर आपराधिक मामलों में फंसे प्रत्याशियों की संख्या 104(15 प्रतिशत) है. जबकि 2008 में ऐसे उम्मीदवारों की हिस्सेदारी चार फीसदी थी जो 2013 में बढ़कर 12 प्रतिशत और 2015 में 11 प्रतिशत हो गयी. इसी प्रकार दिल्ली के चुनाव में धनकुबेरों की हिस्सेदारी भी लगातार बढ़ रही है.
इस चुनाव में कुल 36 प्रतिशत करोड़पति उम्मीदवार मैदान में हैं. इनमें सर्वाधिक 83 प्रतिशत कांग्रेस के, 73 प्रतिशत आप के और 70 प्रतिशत भाजपा के उम्मीदवार शामिल हैं., वहीं 2015 में करोड़पति प्रत्याशियों की हिस्सेदारी 34 प्रतिशत थी, इनमें सर्वाधिक 84 प्रतिशत कांग्रेस के, 72 प्रतिशत भाजपा के और 63 प्रतिशत आप के उम्मीदवार थे.