दिल्ली चुनाव: क्या EVM से हो सकती है छेड़छाड़? जानिए कितनी सुरक्षित है EVM

दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 (Delhi Assembly Election 2020) के लिए आज 8 बजे से वोटिंग शुरू हो जाएगी. दिल्ली की जनता आज EVM में दिल्ली का भविष्य तय करेगी.

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Vikas Kumar
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दिल्ली चुनाव: क्या EVM से हो सकती है छेड़छाड़? जानिए कितनी सुरक्षित है EVM

दिल्ली चुनाव: क्या EVM से हो सकती है छेड़छाड़?( Photo Credit : File Photo)

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दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 (Delhi Assembly Election 2020) के लिए आज 8 बजे से वोटिंग शुरू हो जाएगी. दिल्ली की जनता आज EVM में दिल्ली का भविष्य तय करेगी. चुनाव अधिकारियों ने शनिवार को होने वाले 70 सदस्यीय दिल्ली विधानसभा चुनाव के मतदान के लिए तैयारी पूरी कर ली हैं और राष्ट्रीय राजधानी में सुरक्षा इंतजाम कड़े करने के साथ ही शाहीन बाग तथा अन्य संवेदनशील मतदान केंद्रों पर अतिरिक्त सतर्कता बरती जा रही है. दिल्ली में 1.47 करोड़ लोगों को मताधिकार प्राप्त है और इस चुनावी मुकाबले में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी, भाजपा तथा कांग्रेस प्रमुख रूप से मैदान में हैं.

मतदान से कुछ दिन पहले ही कांग्रेस और बीजेपी ने अपना प्रचार अभियान बड़े आक्रामक तरीके से चलाया. चुनाव से पहले एक बार फिर से वही पुराना सवाल सामने आया है कि क्या EVM से छेड़छाड़ की जा सकती है. तो आइए यहां जानते है कि क्या वाकई ईवीएम मशीन के साथ छेड़छाड़ या उसे बदला जा सकता है.

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चुनाव आयोग का मानना है कि ईवीएम पूरी तरह से चिप से बनी होती है इसिलए इसे किसी भी तरह से टेंपर नहीं किया जा सकता है. वहीं ईवीएम तीन यूनिट से मिलकर बनी होती है, पहली कंट्रोल यूनिट, दूसरी बैलट यूनिट और तीसरी VVPAT. कंट्रोल और बैलट यूनिट 5 मीटर लंबी केबल से जुड़ी होती हैं. कंट्रोल यूनिट बूथ में पोलिंग ऑफिसर के पास रखी होती है जबकि बैलेटिंग यूनिट वोटिंग मशीन के अंदर होती है जिसका इस्तेमाल वोटर करता है.



जानकारी के मुताबिक एक बूथ में चुनाव होने के बाद पोलिंग ऑफिसर ईवीएम की क्लोज बटव दबा देता है. जिसके बाद ईवीएम पूरी तरह से बंद हो जाती है और फिर कोई बटन काम नहीं करता है. यह बटन दबाते ही ईवीएम की स्क्रीन पर पोलिंग क्लोज टाइमिंग और पड़ने वाले टोटल वोट काउंट हो जाते हैं. इसके बाद पीठासीन अधिकारी तीनों यूनिट को अलग कर देते हैं.

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वोटिंग के एक दिन पहले पीठासीन अधिकारियों को EVM अलॉट होती हैं. इसके लिए बाकायदा पूरी एक प्रक्रिया है. किस बूथ के लिए कौन-सी कंट्रोल यूनिट, बैलट यूनिट (EVM) और कौन-सी VVPAT जारी होगी. उसकी पूरी डिटेल सूची तैयार की जाती है. यह सूची चुनाव अधिकारी, प्रत्याशी को पहले ही दे दी जाती है. साथ ही चुनाव आयोग से हर बूथ के लिए एक्सट्रा ईवीएम भी दिया जाता हैं ताकि किसी भी प्रकार की गड़बड़ी में इन्हें बदला जा सके. इन मशीनों की डिटेल भी बाकायदा उस लिस्ट में होती है.

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एक सुरक्षा अधिकारी के मुताबिक, 'वोटिंग के बाद चुनाव आयोग के दिशानिर्देश का पालन कर ईवीएम को सघन सुरक्षा घेरे में स्ट्रांग रूम तय लाया जाता है. बूथ से लेकर स्ट्रांग रूम तक पहुंचने में ईवीएम की सुरक्षा में पैरामिलिट्री फोर्स, पीएसी के जवान और लोकल पुलिस होती है. इनके साथ कार्यपालिक मजिस्ट्रेट और चुनाव अधिकारी भी होते हैं. स्ट्रांग रूम से पहले ईवीएम एकत्रित करने के लिए विधान सभा के अनुसार सेंटर बनाए जाते हैं. जहां पर चुनाव अधिकारी अपने-अपने बूथ की ईवीएम जमा करते हैं.'

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