दिल्ली विधानसभा चुनाव-2020 में मंगलवार को जो परिणाम सामने आए हैं, वो राहत देने वाले हैं मगर 'राह' दिखाने वाले नहीं हैं. राहत इस बात की है कि भारतीय जनता पार्टी ने इस चुनाव में सांप्रदायिकता का खेल करके अगर सत्ता हासिल कर ली होती तो, शायद आने वाले वो बुरे दिन दूर नहीं होते, जब देश में कत्ल-ए-आम मच जाता. कत्ल-ए-आम की जड़ में होता सांप्रदायिकता का जहर. दिल्ली के इन चुनाव परिणामों ने भाजपा के 'सांप्रदायिक-रथ' के पहिये हाल-फिलहाल के लिए तो जाम कर ही दिए हैं. हां, मगर इस सबका मतलब यह नहीं कि आम आदमी पार्टी को उसके उल्लेखनीय योगदान ने इन चुनाव परिणामों को बदल दिया हो. दरअसल 'आप' ने भी सरकारी मशीनरी और सरकारी खजाने को जमकर इन चुनावों में दूहा और बेजा इस्तेमाल किया.
मंगलवार शाम दिल्ली विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद यह तमाम बातें स्वराज पार्टी के योगेंद्र यादव ने आईएएनएस से कहीं. योगेद्र यादव अन्ना आंदोलन की अगुवाई करने वालों में प्रमुख हस्ती थे. जब आम आदमी पार्टी का जन्म हुआ तब भी योगेंद्र यादव ने राज्य की बेहतरी के लिए हर कदम उठाया था. बाद में विचारों में मतभेद के चलते योगेंद्र यादव ने अपनी राह 'आप' से अलग कर ली. योगेंद्र यादव ने मीडिया से बातचीत में कहा, इन चुनावों में भाजपा ने सांप्रदायिकता का ध्रुवीकरण करने का षडयंत्र रचा था. जिसे आम आदमी पार्टी की 'चाल' ने ध्वस्त कर दिया. यह देशहित में बेहतर हुआ. वरना दिल्ली में विजय से हासिल भाजपा बेकाबू होकर देश की आने वाली पीढ़ियों पर बोझ बन जाती. भाजपा बेलगाम होकर देश में सांप्रदायिकता का नंगा नाच करने में कतई नहीं शरमाती.
भाजपा पर सीधा-सीधा निशाना साधते हुए योगेंद्र यादव बोले, अगर दिल्ली का यह चुनाव भाजपा की झोली में चला गया होता तो उसका 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद सिर पर सवार सफलता का घमंड नहीं टूटता. दिल्ली विधानसभा चुनाव ने भाजपा को समझा दिया है कि सांप्रदायिकता से ऊपर उठकर गरीब को दो रोटी के जुगाड़ का सोचो. न कि शाहीन बाग के धरने बैठाकर जनता को गुमराह करने की कोशिश में जुटे रहो.
शाहीन बाग की राजनीति पर उन्होंने बेहद सधे हुए शब्दों में कहा, शाहीन बाग किसी का नहीं हुआ. खासकर भाजपा और कांग्रेस का तो कतई नहीं. कहने को शाहीन बाग को दूहने में कसर किसी पार्टी ने बाकी नहीं छोड़ा. आम आदमी पार्टी और दिल्ली की जनता इसके लिए बधाई की पात्र है कि उसने भाजपा के सांप्रदायिक दिमाग की सफाई कर दी. योगेंद्र यादव ने आगे कहा, मेरे इस कथन का मतलब यह कतई नहीं है कि आम आदमी पार्टी दूध की धुली हुई है. 'आप' ने भी कसर कोई बाकी नहीं छोड़ी. शिक्षा के नाम पर स्कूलों की इमारतें भर चमकीं. मोहल्ला क्लिनिक्स के नाम पर डिब्बे खड़े हुए मगर इलाज कैसा है और कहां है? इसे दिल्ली की जनता बेहतर जान समझ चुकी है.
प्रशांत किशोर ने आम आदमी को इस चुनाव में प्रचंड जीत दिलवाई है? पूछे जाने पर योगेंद्र यादव बोले, नहीं सरासर गलत है. दरअसल अरविंद केजरीवाल ने जो सरकारी खजाना फ्री बिजली बिल, पानी बिल और फ्री बस यात्रा पर लुटाया, आप की सरकार तीसरी बार उस सरकारी खजाने के बलबूते बनने जा रही है. हां, प्रशांत किशोर का इस चुनाव में इतना योगदान जरूर रहा है कि अरविंद केजरीवाल को वे समझाने में कामयाब हो गए कि अरविंद भाजपा या कांग्रेस के किसी भी सवाल का जबाब न दें. अरविंद केजरीवाल की 'चुप्पी' और प्रशांत किशोर की सलाह ने भाजपा और कांग्रेस को कहीं का नहीं छोड़ा है.
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कभी अरविंद केजरीवाल के विश्वासपात्र रहे योगेंद्र यादव ने आईएएनएस के एक सवाल के जबाब में कहा, दरअसल दिल्ली में अरविंद केजरीवाल ने वोट की राजनीति के लिए वही किया है जो गुजरात में नरेंद्र मोदी, ओडिशा में नवीन पटनायक, बिहार में नीतीश कुमार, छत्तीसगढ़ में रमन सिंह ने किया. सरकारी धन पहले जनता पर लुटाया उसके बाद 'वोट' के रूप में उसे जनता को बेवकूफ बनाकर वसूल लिया. वही अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में किया है.
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योगेंद्र यादव ने मीडिया से आगे कहा, आम आदमी की इस जीत को सकारात्मक रूप में देखना कतई ठीक नहीं है. आप ने सधे हुए तरीके से जनता को मूर्ख बनाने का काम किया है. आज मैं कह रहा हूं कल जमाने और जनता के सामने आने वाला है यही कड़वा सच. विशेष बातचीत के अंत में योगेंद्र यादव ने अपनी चिर-परिचित और सौम्य संयत भाषा शैली में कहा, अरविंद केजरीवाल ने जैसे पार्टी में हर तरह के लोगों की भर्ती की है, फंडिंग के फार्मूले खोजे हैं, सवालों के जबाब गायब कर देने का जुगाड़ निकाला है. यह सब आने वाले वक्त में सबसे ज्यादा तकलीफ भी उन्हीं को देंगे.