भाजपा उत्तर प्रदेश में अपनी शानदार जीत का श्रेय कानून-व्यवस्था को देती है, लेकिन आठ में से पांच माफिया चुनाव जीतने में सफल रहे हैं. यह उनकी 'रॉबिनहुड' छवि है जिसने उन्हें अपनी सीट जीतने में मदद की है. इनमें सबसे प्रमुख हैं रघुराज प्रताप सिंह उर्फ 'राजा भैया', जिन्होंने लगातार सातवीं बार कुंडा सीट जीती है. उन्होंने जनसत्ता दल (लोकतांत्रिक) से चुनाव लड़ा. यह पार्टी उन्होंने 2018 में बनाई थी और प्रचार के दौरान अपने प्रतिद्वंद्वी समाजवादी पार्टी के गुलशन यादव से एक लड़ाई का सामना किया. हालांकि राजा भैया को इस बार कम वोट मिले हैं, लकिन उन्होंने अपनी सीट जीत ली.
चंदौली में सैयदराजा सीट जीतने वाले एक अन्य माफिया उम्मीदवार भाजपा के सुशील सिंह हैं. सुशील डॉन से नेता बने बृजेश सिंह के भतीजे हैं. अयोध्या की गोसाईंगंज सीट से समाजवादी पार्टी के अभय सिंह ने जेल में बंद डॉन खब्बू तिवारी की पत्नी आरती तिवारी को हराया. समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार प्रभु नारायण सिंह यादव, जिन्हें बाहुबली भी माना जाता है, चंदौली की सकलडीहा सीट से जीतने में सफल रहे. आजमगढ़ की फूलपुर पवई सीट से पूर्व सांसद और डॉन रमाकांत यादव भी जीते.
जेल में बंद डॉन मुख्तार अंसारी ने चुनाव नहीं लड़ा, लेकिन उनके बेटे अब्बास अंसारी मऊ से जीते और भतीजे मन्नू अंसारी गाजीपुर के मोहम्मदाबाद से जीते. हारने वालों में विजय मिश्रा भी हैं जिन्होंने जेल से चुनाव लड़ा और भदोही में अपनी ज्ञानपुर सीट हार गए. गाजियाबाद की लोनी सीट से राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के उम्मीदवार मदन भैया हार गए. सुल्तानपुर से मोनू सिंह हार गए. जौनपुर की मल्हानी सीट से हारने वाले एक अन्य प्रमुख बाहुबली धनंजय सिंह हैं.
HIGHLIGHTS
- कुंडा से राजा भैया जीते, लेकिन अंतर रहा कम
- मुख्तार अंसारी के बेटे-भतीजे ने भरा जीत का दम