कोविड-19 महामारी के दौरान सुरक्षित चुनाव कराने को लेकर निर्वाचन आयोग के समक्ष विशिष्ट चुनौती खड़ी होने का उल्लेख करते हुए चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा ने शनिवार को कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव में कोरोना वायरस संक्रमित लोगों के मतदान के लिए विभिन्न प्रबंध किए गए थे. इनमें डाक मत और मतदान का समय बढ़ाने जैसे उपाय भी शामिल थे. उन्होंने कहा कि ऐसे वक्त में जब कोविड-19 से पीड़ित व्यक्ति अपने लोकतांत्रिक अधिकार का इस्तेमाल नहीं कर सकता, तब निर्वाचन आयोग “मौन” नहीं रह सकता.
एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सुशील चंद्रा ने कहा, इस बार वरिष्ठ नागरिकों और महिलाओं के अलावा हमें कोविड मरीजों के लिए भी अतिरिक्त इंतजाम करने पड़े…, हमने मतदान का समय एक घंटे बढ़ाया. चंद्रा ने कहा कि यद्यपि डाक मत की व्यवस्था की गई थी फिर भी कोई व्यक्ति मतदान केंद्र में जाकर मत डालना चाहता था तो वह ऐसा करने के लिए स्वतंत्र था.
उन्होंने कहा कि हमारे मतदान अधिकारी स्थिति का सामना करने के लिये पीपीई किट और अन्य ऐहतियाती उपायों का पालन कर रहे थे. कोविड-19 से पीड़ित बहुत से लोग तीनों चरणों- 28 अक्टूबर, तीन नवंबर और सात नवंबर (शनिवार) – को मतदान करने के लिए आए. उन्होंने कहा कि हम खामोश नहीं रह सकते, हम सिर्फ देखते नहीं रह सकते कि कोई व्यक्ति कोविड से पीड़ित है… और वह मत डालने से वंचित रहे. यह निर्वाचन आयोग की मूल भावना है.
चंद्रा ने कहा कि पहले दो चरणों में मतदान प्रतिशत ने सभी डर और आशंकाओं को खारिज कर दिया और बड़ी संख्या में आए बिहार के मतदाताओं ने वायरस के डर को हरा दिया.
Source : Bhasha