मध्य प्रदेश की 230 सीटों पर 11 दिसंबर को आए नतीजों से यह साफ नहीं हो सका था कि सरकार किसकी बनेगी. कांग्रेस 114 और बीजेपी 109 सीटें मिलीं. बहुमत के लिए 116 सीटें जरूरी हैं.बसपा के समर्थन के बाद कांग्रेस को बहुमत लायक सीट मिल गई और वह सरकार बनाने जा रही है. कांग्रेस की रायशुमारी में कमलनाथ मुख्यमंत्री के रेस में सबसे अागे हैं और संभवतः वही CM बनेंगे. अगर मध्य प्रदेश की रिजल्ट की बात करें तो मालवा-निवाड़ में कांग्रेस ने BJP को बुरी तरह शिकस्त दी है.
अगर शहरी क्षेत्र की बात करें तो इस बार बीजेपी को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ. बीजेपी 2013 के चुनाव में 44 सीटें हासिल की थी लेकिन इस बार उसे केवल 27 सीटों से संतोष करना पड़ा. कांग्रेस ने बेहतर प्रदर्शन करते हुए 19 सीटें जीती जो पिछली बार के मुकाबले 16 ज्यादा है.
अगर बात ग्रामीण क्षेत्रों की करें तो बीजेपी को इस बार 41 सीटों का नुकसान हुआ है. पिछली बार मिले 122 सीटों के मुकाबले उसे केवल 81 सीटें ही मिली. कांग्रेस को इन क्षेत्रों में 94 सीटों पर सफलता मिली है जबकि पिछली बार यह आंकड़ा 56 सीटों का था.
बीजेपी को सबसे ज्यादा झटका चंबल में लगा. यहा वह 5 सीटों पर सिमट गई जबकि पिछली बार उसके खाते में 20 सीटें थीं. कांग्रेस इस बार 12 से 27 पर पहुंच गई. इसी तरह बघेलखंड में बीजेपी को 30 और कांग्रेस को 22 सीट मिली. महा कौशल की बात करें तसे बीजेपी को 17 और कांग्रेस को 23 सीटें मिली हैं.
कांग्रेस को बीजेपी से 0.1% कम वोट मिले
2013 में बीजेपी ने 165 और कांग्रेस ने 58 सीटें जीती थीं.2018 के चुनाव में कांग्रेस को 41% जबकि बीजेपी को 41.1% वोट मिले.यानी कांग्रेस को सिर्फ 0.1% कम वोट मिले.लेकिन, बीजेपी को पिछली बार से 54 सीटें कम यानी 111 और कांग्रेस को 54 सीटों का फायदा हुआ.कांग्रेस को 112 सीटें मिलीं.
रिकॉर्ड वोटिंग हुई थी
राज्य में इस बार 75% मतदान हुआ था.61 साल में यह रिकॉर्ड वोटिंग पर्सेंट था.2013 के चुनाव परिणाम से (72.18%) से 2.82 फीसदी ज्यादा रहा.मध्यप्रदेश के 11 जिले ऐसे थे, जहां पिछली बार के मुकाबले तीन फीसदी से ज्यादा वोटिंग हुई.इन 11 जिलों में कुल 47 सीटें हैं.इनमें से बीजेपी के पास पिछली बार 37 और कांग्रेस के पास 9 सीटें थीं.
मालवा-निमाड़ पर नजर थी
ज्यादा वोटिंग वाले 11 जिलों में से 6 मालवा-निमाड़ के थे.इनमें इंदौर, रतलाम, धार, झाबुआ, आलीराजपुर और नीमच शामिल हैं.इन जिलों में 29 विधानसभा सीटें हैं, जिनमें से 25 सीटों पर पिछली बार बीजेपी जीती थी और कांग्रेस के पास महज 3 सीटें थीं.राज्य में 2016 में किसान आंदोलन का सबसे ज्यादा असर भी मालवा-निमाड़ में ही था.इसके बावजूद मंदसौर-नीमच-मनासा में बीजेपी ने जीत दर्ज की थी. बीजेपी को ग्वालियर-चंबल और मालवा-निमाड़ में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है.
दोनों अंचलों में बीजेपी ने 40 सीटें गंवाईं. इनमें से 38 कांग्रेस के पास गई हैं.2 सीटें अन्य के खाते में आईं.यहां एससी-एसटी और सवर्ण आंदोलन के अलावा किसान आंदोलन का भी बड़ा असर रहा.इसके अलावा एंटी इन्कम्बेंसी फैक्टर ने भी बीजेपी का नुकसान किया.
शिवराज सरकार के इन मंत्रियों ने डुबाई लुटिया
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के सभी सीटों के नतीजे घोषित हो चुके हैं. कांग्रेस 114 सीट लेकर बहुमत से केवल 2 कदम दूर है. बीजेपी 109 सीटों पर सिमट गई है. इस बार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सरकार के मंत्रियों ने ही उनकी लुटिया डुबोई है. उनके 13 मंत्री चुनाव हार गए हैं. राज्य में कांग्रेस का 15 वनवास खत्म करने में इन मंत्रियों की बड़ी भूमिका होगी. खास बात यह है कि मंत्रियों वाली सीटों पर NOTA और BSP ने ज्यादा वोट झटक कर उनकी हार की पटकथा लिखी.
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हारने वाले मंत्रियों मे अंतर सिह आर्य (सोंवा), ओम प्रकाश (डिडौरी), ललिता यादव (छतरपुर), दीपक जोशी (हटपिपलिया), जयभान सिंह पावैया (ग्वालियर), नारायण सिंह कुशवाहा (ग्वालियर, दक्षिण), रुस्तम सिंह (मुरैना), उमा शंकर गुप्ता भोपाल (भोपाल दक्षिण पश्चिम), अर्चना चिटनिस (बुरहानपुर), शरद जैन (जबलपुर), जयंत मलैया ( दमोह), बालकृष्ण पाटीदार ( खरगोन), लाल सिह आर्य ( भिंड) शामिल हैं.
Source : DRIGRAJ MADHESHIA