Advertisment

Bihar Election 2020: क्या इसबार भी BJP की सीट रहेगी बरकरार, जानें फारबिसगंज विधानसभा क्षेत्र के बारें में

विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता अपनी पार्टी के प्रचार और संगठन को मजबूत करने की कोशिशों में जुटे हुए हैं. ऐसे में देखना होगा कि इस बार बिहार की जनता किसे सत्ता पर बैठाएगी और किसे बाहर का रास्ता दिखाएगी. लेकिन इससे पहले हम फारबिसगंज विधानसभा सीट (Forbe

author-image
Vineeta Mandal
एडिट
New Update
Forbesganj Vidhan Sabha Constituency

Forbesganj Vidhan Sabha Constituency ( Photo Credit : (सांकेतिक चित्र))

Advertisment

साल 2020 बिहार की जनता और यहां के नेताओं के लिए अहम साल हैं. इस साल बिहार में विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election 2020) होने है. ऐसे में सभी राजनीतिक पार्टीयों ने पूरी तरह कमर कस ली हैं. विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता अपनी पार्टी के प्रचार और संगठन को मजबूत करने की कोशिशों में जुटे हुए हैं. ऐसे में देखना होगा कि इस बार बिहार की जनता किसे सत्ता पर बैठाएगी और किसे बाहर का रास्ता दिखाएगी. लेकिन इससे पहले हम फारबिसगंज विधानसभा सीट  (Forbesganj Vidhan Sabha constituency)के बारे में जानेंगे.

और पढ़ें: Bihar Election 2020: जानें अररिया विधानसभा क्षेत्र के बारें में

फारबिसगंज विधानसभा क्षेत्र में-

नेपाल से जुड़े रहने और ऐतिहासिक सुल्ताना माई मंदिर से फारबिसगंज की अलग पहचान रही है. वहीं फणीश्वर नाथ रेणु को लेकर यह क्षेत्र अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चित रहा है. 2009 के परिसीमन के बाद फारबिसगंज विधानसभा में कोई खास बदलाव नहीं हुआ है. फारबिसगंज प्रखंड की 32 पंचायत, फारबिसगंज नगर परिषद और नगर पंचायत जोगबनी इस विधानसभा क्षेत्र में शामिल हैं.

साल 1995 के बाद सिर्फ एक बार साल 2000 में बसपा के टिकट पर जाकिर हुसैन खान ने इस सीट पर कब्जा जमाया था. इस सीट से 1972 में प्रसिद्ध साहित्यकार फणीश्वर नाथ रेणु ने भी अपनी किस्मत आजमायी थी मगर वे सफल नहीं हो पाए थे. पूर्व में यह क्षेत्र समाजवादियों का गढ़ रहा है. चुनाव बेशक कांग्रेस जीतती रही मगर आजादी के बाद से लोहिया, जयप्रकाश, जॉर्ज फर्नांडिस सरीखे नेताओं की शरणस्थली भी रही है.

फारबिसगंज विधानसभा क्षेत्र से सबसे ज्यादा सात बार कांग्रेस प्रत्याशी सरयू मिश्र ने जीत दर्ज की है. यहां के प्रथम विधायक स्वर्गीय बोकाय मंडल फारबिसगंज के जनक के रूप में स्थापित हैं. नगर परिषद, फारबिसगंज कॉलेज सहित कई संस्थानों की स्थापना में उनका अहम योगदान रहा. यहां के पूर्व विधायक डूमर लाल बैठा न केवल सांसद बने, बल्कि केंद्रीय रक्षा राज्यमंत्री पद पर आसीन रहे. क्षेत्र का सात सात बार प्रतिनिधित्व कर चुके सरयू मिश्र बिहार सरकार में स्वास्थ्य मंत्री पद पर आसीन रहे.

साल 2000 की बात छोड़ दें तो विगत 1995 से लगातार बीजेपी का विधायक रहने के बाद भी किसी को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिल पायी है. सामान्य सीट वाले फारबिसगंज विधानसभा क्षेत्र में वर्तमान में विद्यासागर केशरी बीजेपी के विधायक हैं. विगत 2005 से इस सीट पर बीजेपी का कब्जा रहा है. यहां हर चुनाव में बीजेपी अपना प्रत्याशी बदलती रही है.

मतदाताओं की संख्या-

  • कुल मतदाता- 3,30,848
  • महिला-156345
  • पुरुष-174495

अबतक चुने गए विधायक-

1995- मायानंद ठाकुर (बीजेपी)
2000- जाकिर हुसैन खान (बीएसपी)
2005- (फरवरी) लक्ष्मीनारायण मेहता (बीजेपी)
2005- (अक्टूबर) लक्ष्मीनारायण मेहता (बीजेपी)
2010- पदम पराग राय वेणु (बीजेपी)
2015- विद्यासागर केसरी (बीजेपी)

और पढ़ें: Bihar Election 2020: जानें जोकीहाट विधानसभा क्षेत्र के बारें में, इस सीट पर JDU का रहा हैं कब्जा

फारबिसगंज का इतिहास-

फारबिसगंज का इतिहास अत्यंत गौरवशाली रहा है. उन्नीसवीं सदी के मध्य में जब अलैक्जेंडर जॉन फोरबेस ने बाबू प्रताप सह, पामर, टैगोर व अन्य से सुल्तानपुर इस्टेट की खरीद की तो इसे फोरबेसाबाद नाम दिया गया. सन 1877 में हंटर की रिपोर्ट में भी शहर का नाम फोरबेसाबाद ही दर्ज है. लेकिन जब रेलवे लाइन आई तो शहर का नाम बदल कर फोरबेसगंज कर दिया.

इस शहर के अंदर रामुपर, किरकिचिया, भागकोहलिया और मटियारी राजस्व ग्राम हैं और सुल्तानपुर इस्टेट की कचहरी के अवशेष आज भी नजर आते हैं. अलैक्जेंडर ने ही यहां सबसे पहले नील की खेती शुरू की और इस्टेट के अधीन 17 हजार बीघे में नील उपजाया जाता था.

प्रथम विश्व युद्ध के दिनों में नील की चमक फीकी पड़ने से पहले ही अलैक्जेंडर व उसके वारिस जमींदारी व जूट के धंधे में पांव रख चुके थे. नील धीरे धीरे घटता गया और फारबिसगंज की चर्चा अनाज, कपड़ा व अन्य उपभोक्ता सामानों की सबसे बड़ी मंडी के रूप मे होने लगी. फारबिसगंज का बाजार चारो दिशाओं से रोजाना आने वाली हजारों अनाज लदी गाड़ियों की वजह से समृद्धि के शिखर को छूने लगा.

फोरबेस परिवार के बाद इस्टेट का कारोबार ई रौल मैके के अधीन आ गया. मैके आम जन के साथ घुलमिल कर रहने वाला अंग्रेज था और स्थानीय बोलियां बड़े आराम से बोल लेता था. सन 1945 में उन्होंने इस्टेट को जेके जमींदारी कंपनी के हाथ बेच दिया और सबके सब वापस इंग्लैंड चले गए. मैके कानून का बड़ा ज्ञाता था और 1929 में उसने इंडिगो सीड से जुड़े एक मामले में दरभंगा के महाराजा सर कामेश्वर सह को हरा दिया था .

Source : News Nation Bureau

एमपी-उपचुनाव-2020 बिहार चुनाव बिहार मिथिला Mithila BiharElection BiharElection2020 Forbesganj Vidhan Sabha Constituency Forbesganj Assembly Seat Forbesganj फारबिसगंज विधानसभा क्षेत्र फारबिसगंज फारबिसगंज सीट
Advertisment
Advertisment