पश्चिम बंगाल में चुनावी शंखनाद होने से राजनीति अपने चरम पर है. आए दिन हिंसक झड़प और हत्या की खबरें बंगाल को वो जगह बना रही है जहां पर राजनीति और सत्ता की गद्दी के लिए कुछ भी जायज है. लेफ्ट पर हिंसा का आरोप लगाकर ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) सत्ता में आई थीं, आज कुछ उसी तरह के आरोप बीजेपी उन पर लगा रही है. कभी 'जय श्री राम' के नारे से चिढ़ने वाली मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) चुनाव आते ही अब खुद चंडीपाठ करने में लगी हैं. वे मंदिर-मंदिर जाकर दोबारा सत्ता में आने की मन्नत मांग रही हैं. चुनावी मौसम में हिंदुत्व की हुंकार भरने वाली ममता बनर्जी की सरकार में ही एक वक्त ऐसा भी था जब दुर्गा पूजा पर प्रतिबंध लगता था, पूजा पंडालों में पथराव हो जाता था.
में न्यूज नेशन की टीम ने पश्चिम बंगाल में हिंदुओं की स्थिति क्या है, इसकी पड़ताल शुरू की है. न्यूज नेशन की टीम सबसे पहले पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता से महज 150 किलोमीटर की दूरी पर स्थित नादिया जिले पहुंची. ममता सरकार में ये जिला कई बार धार्मिक दंगों की आग की लपटों में झुलस चुका है. दंगों के दौरान यहां सैकड़ों लोग घायल हुए थे. जबकि कई मंदिरों में तोड़फोड़ भी हुई थी.
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न्यूज नेशन की टीम नादिया जिले के कुबेर नगर गांव में पहुंची तो उसे पूरे इलाके में ऐसा सन्नाटा पसरा नजर आया, जैसे कर्फ्यू लगा हो. लोग सिर्फ अपने काम से ही घरों से बाहर निकलते दिखे. शुरुआती नजारों को देखकर लगा कि यहां के लोग इतने व्यस्त रहते हैं कि उन्हें सड़कों पर घूमने का वक्त नहीं मिलता. लेकिन जैसे ही हमारे संवाददाता ने कुछ स्थानीय लोगों से इस सन्नाटे की वजह पूछी तो लोगों का डर सामने आया.
संवाददाता के अनुसार नादिया में 30-35 प्रतिशत की आबादी अल्पसंख्यकों की है. वहीं हिन्दुओं की आबादी में बड़ी संख्या रिफ्युजी है. संवाददाता को स्थानीय लोगों ने बताया कि टीएमसी सरकार में यहां के अल्पसंख्यक बेलगाम हो गए हैं. उनकी गुंडागर्दी का आलम ये है कि हिन्दू अपने पूजा-पाठ नहीं कर सकते. कोई जुलूस नहीं निकाल सकते. कोई जलसा नहीं कर सकते. नादिया के कुबेरनगर गांव में स्थित समर्पण आश्रम स्थानीय मुसलमानों के जुल्म-ओ-सितम की गवाही दे रहा है. आश्रम के संचालक ने बताया कि लाउडस्पीकर पर भजर या आरती गाने पर जान से मारने की धमकी मिलती है.
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कुबेर नगर का समर्पण आश्रम हिन्दुओं की आस्था का बड़ा केंद्र है. ये आश्रम सामाजिक कार्यों के लिए भी जाना जाता है, लेकिन स्थानीय लोगों के हिसाब से ममता की सरकार में यहां हरिनाम और गीता पाठ करने पर धमकियां मिल रही हैं. आए दिन आश्रम पर पत्थरबाजी होती है. आश्रम के दरवाजे पर सैकड़ों लोग इकट्ठा होकर गला काट कर मारने की धमकी तक देते हैं. लोगों ने इसकी पुलिस तक में शिकायत की, लेकिन आरोपियों के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया गया. खुद को ब्राह्मण बताने वाली ममता के ही राज में इस इलाके का हिन्दू इतना डरा हुआ है, कि अब वो बाहर निकलने से भी डरता है.
चुनाव आते ही आज ममता बनर्जी भले ही मंदिर-मंदिर जाकर माथा टेक रही हों, शिवालय में जाकर रुद्राभिषेक कर रही हों, लेकिन एक समय ऐसा भी था जब वो दुर्गा पूजा तक पर प्रतिबंध लगा देती थीं. आपको याद होगा कि 11 अक्टूबर को विजयदशमी थी और उसी दिन देवी दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है. विजयदशमी के अगले दिन यानी 12 अक्टूबर को मुहर्रम का त्यौहार था. लेकिन इससे पहले पश्चिम बंगाल सरकार ने आदेश दिया था कि 11 अक्टूबर को शाम 4 बजे के बाद मूर्ति विसर्जन नहीं होगा. सरकार के इस आदेश के खिलाफ कुछ लोग कलकत्ता हाईकोर्ट गए तो अदालत ने सरकार को जमकर फटकार लगाई और सरकार के इस आदेश को रद्द कर दिया था.
HIGHLIGHTS
- चुनाव आते ही मंदिर-मंदिर जाकर पूजा-पाठ कर रही हैं ममता बनर्जी
- अपनी सरकार में दुर्गा विसर्जन पर प्रतिबंध लगाया था.
- न्यूज नेशन ने नादिया जिले में हिन्दुओं की स्थिति का जायजा लिया