त्वरित टिप्पणीः हुड्डा फैक्टर और बीजेपी के अति आत्मविश्वास ने बदली हरियाणा में हवा

कांग्रेस के लिए हरियाणा समर से गांधी परिवार की दूरी और ऐन मौके भूपेंदर सिंह हुड्डा को सौंपी गई कमान ने 'पंजे' के प्रति लोगों में रुझान पैदा करने में सफलता हासिल की.

author-image
Nihar Saxena
एडिट
New Update
त्वरित टिप्पणीः हुड्डा फैक्टर और बीजेपी के अति आत्मविश्वास ने बदली हरियाणा में हवा

हरियाणा में बीजेपी के लिए काम कर गया हुड्डा फैक्टर.( Photo Credit : एजेंसी)

Advertisment

हरियाणा में सत्ता का ऊंट बीजेपी के लिहाज से फिलहाल किसी करवट बैठता नहीं दिख रहा है. अधिकांश एग्जिट पोल को धता बताते हुए कांग्रेस बीजेपी को कड़ी टक्कर दे रही है. इस लाइन को लिखे जाते वक्त बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही 35-35 पर आगे चल रही है. इस लिहाज से देखें तो हरियाणा में त्रिशंकु सरकार के आसार साफ दिख रहे हैं. इस शिकस्त के साथ ही बीजेपी पार्टी नेतृत्व ने हार के कारणों पर प्रारंभिक तौर पर विचार कर सुभाष बराला से इस्तीफा मांग लिया तो मनोहरलाल खट्टर को गृहमंत्री अमित शाह ने दिल्ली तलब किया है. हालांकि इतना साफ हो गया है कि बीजेपी खासकर मनोहरलाल खट्टर का गैर जाट होना और उस पर अति आत्मविश्वास भारी पड़ गया है.

यह भी पढ़ेंः हरियाणा में खट्टर के दांत खट्टे कर सकती है कांग्रेस, इन छह सीटों पर मुकाबला कांटे का

कांग्रेस के लिए काम कर गया हुड्डा फैक्टर
अगर देखा जाए तो मनोहरलाल खट्टर का आत्मविश्वास, जाटों की नाराजगी सबसे अधिक भारी पड़ी है. इसके विपरीत कांग्रेस के लिए हरियाणा समर से गांधी परिवार की दूरी और ऐन मौके भूपेंदर सिंह हुड्डा को सौंपी गई कमान ने 'पंजे' के प्रति लोगों में रुझान पैदा करने में सफलता हासिल की. इसके साथ ही कांग्रेस आलाकमान की समझ पर सवाल उठने लगे हैं. अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अगर हुड्डा को किनारे नहीं किया होता तो संभवतः आज तस्वीर कुछ और होती. अशोक तंवर को तवज्जो देना कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में भारी पड़ा था. इसके बाद ही हरियाणा के 10 साल तक मुख्यमंत्री रहे हुड्डा की राज्य की राजनीति में वापसी हो सकी और उन्होंने हुड्डा फैक्टर का जादू चलाकर कांग्रेस को जीत के मुहाने पर ला खड़ा किया.

यह भी पढ़ेंः क्‍या हरियाणा में 'कर्नाटक फॉर्मूले' पर चलेगी कांग्रेस? दुष्‍यंत चौटाला बनेंगे दूसरे कुमारस्‍वामी

जाटों की नाराजगी पड़ी भारी
इधर हरियाणा के सीएम मनोहरलाल खट्टर का अति आत्मविश्वास और कमजोर प्रशासनिक पकड़ समेत त्वरित निर्णय लेने में अक्षमता ने बीजेपी के लिए गड्ढा खोद दिया. यहां भूलना नहीं चाहिए कि खट्टर को सीएम बनाते ही जाटों की नाराजगी सामने आनी शुरू हो गई थी, लेकिन बीजेपी आलाकमान ने इसे नजरअंदाज किया, तो खट्टर ने भी उन्हें साधने की कोई कोशिश अपनी तरफ से नहीं की. राज्य की राजनीति में जाटों का बोलबाला रहा है और खट्टर जाटों को अपने साथ नहीं रख सके. जाट आरक्षण मसले ने इस दूरी को और बढ़ाने का काम किया, तो इसके बाद रही सही कसर टिकट बंटवारे ने पूरी कर दी. ज्यादा टिकट गैर जाटों को देकर बीजेपी ने एक तरह से अपनी हार का मार्ग खुद ही प्रशस्त कर लिया. जाट केंद्रित राजनीति में जाटों को ही हाशिये पर रखना वह भी सिर्फ जातिवाद को नकारने के लिए बीजेपी को जाति आधारित राज्य में भारी पड़ गया.

HIGHLIGHTS

  • कांग्रेस के लिए काम कर गया हुड्डा फैक्टर.
  • बीजेपी को भारी पड़ गई जाटों की राजनीति.
  • फिलहाल हरियाणा में त्रिशंकु सरकार के आसार.
congress Haryana Manoharlal Khattar Assembly Results Bhupinder Singh Hudadda
Advertisment
Advertisment
Advertisment