दिल्ली में केजरीवाल की हैट्रिक इन कारणों से हुई संभव, जानें जीत के पांच प्रमुख कारण

अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस के पिछले अनुभवों से सबसे ज्यादा सीखा. उन्होंने देखा कि नरेंद्र मोदी पर सीधा हमला कांग्रेस के पक्ष में नहीं जाता. उलटे नरेंद्र मोदी उसे अपने पक्ष में भुना लेते हैं.

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Nihar Saxena
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दिल्ली में केजरीवाल की हैट्रिक इन कारणों से हुई संभव, जानें जीत के पांच प्रमुख कारण

आप पार्टी कार्यालय में अरविंद केजरीवाल और साथी.( Photo Credit : न्यूज स्टेट)

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दिल्ली में विधानसभा चुनाव 2020 (Delhi Assembly Results 2020) के नतीजे अब लगभग साफ हो चुके हैं. दोपहर 2 बजे तक आए रुझानों में अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की आम आदमी पार्टी (AAP) 58 सीटों पर आगे है, तो बीजेपी (BJP) की 12 सीटों पर बढ़त है. आप के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवल ने विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार की शुरुआत भारतीय जनता पार्टी (BJP) की ओर यह सवाल दागते हुए की थी कि 'क्या आपकी पार्टी में सीएम फेस है?' इसके अलावा प्रचार के दौरान पार्टी ने 'टीना' फैक्टर का खूब इस्तेमाल किया. यानी देयर इज नो अल्टर्नेटिव (TINA). साथ ही जनता के बीच बीते पांच साल में विकास कार्यों के बारे में भी लोगों को जानकारी दी.

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कांग्रेस की कमजोरी से मिला लाभ
इतना तय है कि यदि दिल्ली में कांग्रेस मजबूत होती तो वह सीधे तौर पर बीजेपी की जीत का माध्यम बनती. इसे समझते हुए कांग्रेस ने प्रचार में यदि पूरे मनोयोग से भाग नहीं लिया, तो कांग्रेस को तवज्जो नहीं देते हुए अरविंद केजरीवाल ने उसे उठने का मौका नहीं दिया. कांग्रेस के नेता भी अब मान रहे हैं कि यदि कांग्रेस मजबूती से लड़ती तो आम आदमी पार्टी के ही वोट कटते. इसे देखते हुए यदि भारतीय जनता पार्टी आप को बड़ा नुकसान पहुंचाने में असफल रही है, तो इसका हद दर्जे का श्रेय कांग्रेस को जाता है. जिसका सीधा फायदा आप को अपनी सीटें बचाए रखने के रूप में मिला है.

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कांग्रेस की गलतियों से भी सीखा
अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस के पिछले अनुभवों से सबसे ज्यादा सीखा. उन्होंने देखा कि नरेंद्र मोदी पर सीधा हमला कांग्रेस के पक्ष में नहीं जाता. उलटे नरेंद्र मोदी उसे अपने पक्ष में भुना लेते हैं. यानी राष्ट्रीय स्तर पर नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता अब भी बरकरार है. इसे समझ केजरीवाल दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 के प्रचार में अमल में लाते रहे. चुनाव प्रचार के दौरान जब पाकिस्तान से प्रतिक्रिया आई तो इस पर अरविंद केजरीवाल ने साफ तौर पर कहा कि मोदी इस देश के प्रधानमंत्री हैं और पड़ोसी मुल्क को इस पर बोलने का कोई हक नहीं है. दूसरी तरफ, अरविंद केजरीवाल के निशाने पर अमित शाह से लेकर दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष मनोज तिवारी थे.

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नहीं फंसे बीजेपी के जाल में
आप ने यह भी तय कर लिया था कि वह ऐसे मुद्दों से बचेगी जिनमें बीजेपी को सीधा-सीधा फायदा पहुंचता हो. उधर बीजेपी ने तय कर लिया था कि वह चुनाव प्रचार के दौरान शाहीन बाग धरना प्रदर्शन को मुद्दा बनाएगी. भले ही कालिंदी कुंज वाली सड़क बंद होने से हर दिन लोगों को हो रही दिक्कतों की होती थी, लेकिन बीजेपी का मकसद इसे सांप्रदायिक रंग देकर सियासी फायदा उठाने का था. बीजेपी बार-बार केजरीवाल को इस मुद्दे पर अपनी राय रखने का ताल ठोकती थी, लेकिन केजरीवाल ने इस मुद्दे पर दूरी बनाए रखी. साथ ही बीजेपी के सांप्रदायिक कार्ड को फेल करने के लिए हनुमान भक्त बनने से भी बाज नहीं आए. यह तब था जब वह पहले कई मौकों पर खुद को नास्तिक करार दे चुके थे.

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बिजली, पानी, स्कूल मुद्दा रहा सफल
आम आदमी पार्टी ने बीते साल से अरविंद केजरीवाल सरकार के पक्ष में स्थानीय मुद्दों पर ही ध्यान केंद्रित किया. फिर बात चाहे बिजली की हो या पानी की. इन्हें बार-बार मुद्दा बनाया गया. पार्टी शुरू से जानती थी कि बिजली और पानी जैसे मुद्दे दिल्ली के हर आदमी को प्रभावित करते हैं. ऐसे में इसका असर वोट पर भी दिखेगा. इन सबके बीच दिल्ली सरकार के स्कूलों की बेहतर होती स्थिति को भी नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता. स्कूलों की हालत को बेहतर कर आम आदमी पार्टी ने अपनी मंशा को जाहिर कर दिया था कि वह दिल्ली के हर तबके के लोगों के बारे में सोचती है.

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'मुफ्त' का ऑफर लोगों ने लिया हाथों-हाथ
अगर जनता सरकार को टैक्स देती है तो सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि वह उसकी दैनिक जरूरतों का ख्याल रखे. बिजली, पानी और सफर जैसे पहलुओं इनमें सबसे अहम हैं. और अरविंद केजरीवाल की सरकार दिल्ली की ज़्यादातर आबादी को बिजली और पानी मुफ्त देती है. वहीं, महिलाओं के लिए डीटीसी बसों और दिल्ली मेट्रो में सफर मुफ्त कर दिया गया. एक तरह से दिल्ली सरकार ने अपने इन फैसलों से बड़े तबके को प्रभावित किया. लोगों को इन बातों ने भी गहरे तक प्रभावित किया. सही भी है आम लोगों के लिए बिजली, पानी और सफर ही महत्वपूर्ण है.

HIGHLIGHTS

  • कांग्रेस के पिछले अनुभवों से सबसे ज्यादा सीखा.
  • केजरीवाल सरकार ने स्थानीय मुद्दों पर लड़ा चुनाव.
  • बिजली, पानी, स्कूल ने लोगों से बनाया जुड़ाव.
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