हिमाचल प्रदेश के 68 विधानसभा सीटों पर आज वोटिंग हो रही है। कांग्रेस और वीरभद्र सिंह के लिए जहां अपना गढ़ बचाने की चुनौती है वहीं बीजेपी के लिए एक बार फिर मोदी लहर की परीक्षा है।
कांग्रेस ने मोदी लहर को असफल करने के लिए राज्य में जीएसटी और नोटबंदी को मुख्य चुनावी मुद्दा बनाया है। जबकि बीजेपी ने वीरभद्र सिंह पर भ्रष्टाचार के आरोप और कांग्रेस सरकार के असफलताओँ को लोगों के बीच जोर-शोर से उठाया है।
दोनों ही पार्टी के शीर्ष नेता राहुल गांधी और नरेंद्र मोदी ने राज्य में खूब पसीना बहाया है। ऐसे में राज्य की सत्ता पाने के लिए कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियों ने वहां की जनता से कई वादें किए है और उन्हें खूब सब्जबाग दिखाए हैं।
एक नजर दोनों पार्टी के उन वादों पर जो वो चुनाव जीतने के बाद पूरा करने का संकल्प लेकर लोगों के बीच गए है।
बीजेपी ने जहां घोषणा पत्र में भ्रष्टाचार और माफिया राज खत्म कर सुशासन लाने का वादा किया है तो वहीं कांग्रेस ने पांच साल के भीतर सभी वादों को पूरा करने का संकल्प लिया है।
बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र में किसानों की आय को दोगुनी करने का वादा किया है वहीं कांग्रेस ने किसानों को एक लाख रुपये तक का ब्याज मुक्त लोन देने का ऐलान किया है।
बीजेपी ने राज्य में महिला सशक्तिकरण पर जोर दिया दिया है तो वहीं घोषणा पत्र में कांग्रेस ने महिलाओं के लिए हर शहर में हॉस्टल खोलने का वादा किया है। कांग्रेस ने राज्य में मजदूरों की न्यूनतम मजदूरी प्रतिदिन 350 रुपये करने का ऐलान किया है तो वही बीजेपी ने हिमाचल में पर्यटन और रोजगार को बढ़ावा देने का वादा किया है।
बीजेपी ने राज्य में गरीबों के लिए 2022 तक घर बनाने का वादा किया है तो कांग्रेस ने बुजुर्गों को 1300-1500 रुपये पेंशन देने का ऐलान किया है।
इसके अलावा कांग्रेस ने 50 हजार छात्रों को मुफ्त लैपटॉप, सत्ता में आने पर डेढ़ लाख नौकरियों का सृजन, हर गांव से सड़क जोड़ने का वादा, और 2 साल में अनुबंधकर्मियों को पक्की नौकरी देने का वादा किया है।
जबकि बीजेपी ने पीने का साफ पानी, सड़क-निर्माण, रोजगार के क्षेत्र में ग्रेड 3 और 4 की नौकरियों के लिए साक्षात्कार बंद कर योग्यता के आधार पर नियुक्ति और कॉलेज के छात्रों के लिए लैपटॉप, टैबलेट, वाई-वाई और नौकरी दिलाने के लिए वार्षिक मेले लगाने का वादा किया है।
Source : News Nation Bureau