पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव होने में दो महीने से भी कम समय बचा है. किसी भी वक्त चुनाव की तारीखों का ऐलान किया जा सकता है. बंगाल में इस बार सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस और बीजेपी के बीच कड़ा मुकाबला है. चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर इस बार बंगाल में टीएमसी की जीत के लिए रणनीति तैयार कर रहे हैं. जानकारी के मुताबिक प्रशांत किशोर टीएमटी के लिए ना सिर्फ उम्मीदवारों के चयन, बल्कि कई नेताओं के बीजेपी में शामिल होने के बाद टीएमसी में बगावत को रोकने के लिए भी काम कर रहे हैं. इस समय टीएमसी के सामने सबसे बड़ी चुनौती पार्टी से दूर जा रहे वोटरों का साथ लाने की है.
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बंगाल में 30 फीसद मुस्लिम वोटर
बंगाल में 30 फीसद से अधिक मुस्लिम वोटर हैं. राज्य की कुल 294 सीटों में से 120 सीटों पर मुस्लिम वोटर का असर है. इसमें 70 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटरों का जीत हार पर सीधा असर होता है. वहीं अगर लोससभी सीटों की बात करें तो 20 सीटों पर मुस्लिम वोटरों का सीधा दखल है. पश्चिम बंगाल में 2 .4 करोड़ मुस्लिम आबादी है. वहीं 16 .6 लाख मुस्लिम उर्दू बोलते हैं. आंकड़ों पर गौर करें तो 93 .1 फीसद बांग्लाभाषी मुस्लिम हैं जबकि 6 .9 फीसद उर्दू भाषी मुस्लिम हैं. बंगाल में मुर्शिदाबाद , मालदा , उत्तरी दिनाजपुर में 50 % से ज्यादा मुस्लिम हैं. वहीं दक्षिणी 24 परगना ,उत्तरी 24 परगना, नदिया , बीरभूम में 30 फीसद से ज्यादा मुस्लिम हैं.
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लोकसभा चुनाव में बीजेपी को मिली थी 18 सीटें
बंगाल में 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन किया. बीजेपी ने 18 सीटों पर कब्जा किया. बीजेपी की जीत में जनजाति बहुल इलाकों के वोटरों की अहम भूमिका रही थी. अब प्रशांत किशोर इन लोगों के बीच पैठ बनाने के लिए रणनीति तैयार कर रहे हैं. इन इलाकों में तृणमूल कांग्रेस ने छोटे कार्यक्रम भी शुरू कर दिए हैं. ममता बनर्जी की अहम योजना 'द्वारे सरकार' के तहत अब तक अनुसूचित जाति/जनजाति के लोगों को 10 लाख जाति प्रमाणपत्र जारी किए जा चुके हैं.
Source : News Nation Bureau