BJP performance in Jatland: यूपी में दूसरी बार बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन किया है. 255 सीट लेकर बीजेपी राज्य में एक बार फिर से सरकार बनाने के लिए तैयार है. इस चुनाव में जाटलैंड को लेकर फिर से चर्चा हो रही है. ऐसा लगता है कि पश्चिमी यूपी में बीजेपी जाटों को एक बार फिर पार्टी के तौर पर लुभाने में काफी हद तक कामयाब हो गई है. वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव और इतिहास रचते हुए राज्य भगवामय हो गई. भले ही बीजेपी ने 2022 के चुनावों में जाट-बहुल सीटों की संख्या कम हुई, लेकिन अधिकांश ने सत्तारूढ़ दल का ही पक्ष लिया. जाट. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में राजनीतिक रूप से प्रभावशाली समुदाय जाट को शुरू से एक खतरे के रूप में देखा जा रहा था, लेकिन परिणाम इसके विपरीत रहा. देखा जाय तो इस बार बीजेपी को कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ. 9 जिलों की 55 सीटों में बीजेपी ने इस बार 31 सीटें जीती हैं. जबकि 2017 के चुनाव में उसने 38 सीटें जीती थीं.
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नहीं पड़ा किसान आंदोलन का मतदाताओं पर असर
करीब एक साल तक चले किसान आंदोलन में किसानों के विरोध के बावजूद क्षेत्र में भाजपा की जीत का सिलसिला जारी रहा. ऐसा अनुमान था कि बीजेपी को इस चुनाव में नुकसान उठाना पड़ सकता है, लेकिन इसके विपरीत भाजपा ने शानदार प्रदर्शन करते हुए अपनी जीत सुनिश्चित की. विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा ने पिछले साल तीन कानूनों को निरस्त कर दिया था. राष्ट्रीय लोक दल, जिसे जाटों की मुख्य पार्टी माना जाता है को भी खास सफलता नहीं मिली. लखीमपुर की घटना के बाद बीजेपी पर सभी विपक्षी पार्टियां हमलावर रही, लेकिन इन सभी का बीजेपी का खासा प्रभाव नहीं पड़ा और किसी भी नकारात्मक परिणाम को विफल कर दिया.
लखीमपुर खीरी में भी बीजेपी ने लहराया परचम
पिछले साल अक्टूबर में जब केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा धरना देकर लौट रहे थे तब उनपर अपनी एसयूवी से चार किसानों को कुचल दिए जाने का आरोप लगा. विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को खूब उछाला और किसान आंदोलन तक भी इसका प्रभाव पड़ा. बाद में केंद्रीय मंत्री के बेटे आशीष मिश्रा को गिरफ्तार किया गया. हालांकि बाद में उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया. हालांकि चुनावी नतीजे आने के बाद ऐसा स्पष्ट लग रहा है कि इसका प्रभाव बीजेपी पर नहीं पड़ा. यही कारण रहा कि लखीमपुर खीरी जिले के परिणामों से सबको चौंका दिया. यहां पर 8 विधानसभा सीटें आती हैं और सभी सीटों पर बीजेपी ने परचम लहरा दिया. ये अप्रत्याशित जीत है जिसका आंकलन किसी ने भी नहीं किया था. लखीमपुर सीट पर बीजेपी के योगेश वर्मा 20,578 के अंतर से जीते और उन्होंने समाजवादी पार्टी के उत्कर्ष वर्मा मधुर को हराकर अपनी जीत सुनिश्चित की.
इस बार भी रहा बीजेपी का दबदबा
वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने उन 21 जिलों की 99 में से 66 सीटें जीती हैं, जहां जाटों की संख्या सबसे अधिक है. इस जाटलैंड में सपा ने 25 सीटों पर जीत हासिल की, जबकि रालोद सिर्फ छह सीटों पर विजयी हुए. बसपा और एसबीएसपी ने एक-एक सीट जीती. जाट आबादी क्षेत्रों में बागपत, मुजफ्फरनगर, शामली, मेरठ, बिजनौर जिले प्रमुख है. इसके अलावा गाजियाबाद, हापुड़, बुलंदशहर, मथुरा, अलीगढ़, हाथरस, आगरा और मुरादाबाद में भी अच्छी खासी जाटों की संख्या है. इसके अलावा रामपुर, अमरोहा, सहारनपुर और गौतमबुद्धनगर के कुछ इलाकों में भी इनकी संख्या प्रमुख है. चूंकि जाट समुदाय सामाजिक रूप से प्रभावशाली और मुखर है, इसलिए उनमें राजनीतिक निर्माण करने की क्षमता है.
क्या योगी को बुलडोजर वाली छवि से मिली मदद ?
इस साल के चुनाव को कई लोग सेमीफाइनल के रूप में देख रहे हैं क्यों कि वर्ष 2024 में लोकसभा चुनाव होने हैं और बीजेपी को एक बढ़त के रूप में देखा जा रहा है. भगवा पार्टी ने राज्य की 403 विधानसभा सीटों में से 255 सीट जीतकर इतिहास रच दिया है. भले ही पिछले चुनावों में यह सीटों की संख्या (अपने दम पर 312 और अपने सहयोगियों सहित 325) की तुलना में अपेक्षाकृत कम है. विश्लेषकों का मानना है कि बीजेपी को योगी आदित्यनाथ की 'बुलडोजर' वाली छवि से मदद मिली. साथ ही अपराधियों पर लगाम लगाने की कोशिश ने भी योगी की छवि को लाभ पहुंचाया.
HIGHLIGHTS
- 9 जिलों की 55 सीटों में बीजेपी ने इस बार 31 सीटें जीती
- वर्ष 2017 के चुनाव में बीजेपी ने कुल 38 सीटें जीती थीं
- विश्लेषकों का अनुमान, योगी की 'बुलडोजर' वाली छवि से मदद बीजेपी को फायदा