मिशन मध्यप्रदेश को पूरा करने के लिए बीजेपी-कांग्रेस दोनों ही दलों ने अपनी-अपनी ताकत झोंक दी है, एक तरफ महाकौशल और विंध्य में में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने जनता को रिझाने का प्रयास किया और अपने कायर्ताओं में जोश भरा है तो वहीं राहुल गांधी ने ग्वालियर-चंबल में ताबड़तोड़ सभाएं कर वोटों को सहेजने की कोशिश की. दरअसल मंदिर इसलिए अहम हैं क्योंकि मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की आधी सीटों पर इन्हीं मंदिरों का प्रभाव है, एमपी में 230 विधानसभा सीटें हैं. इनमें से 109 सीटें ऐसी हैं, जो 8 बड़े धर्मस्थलों के प्रभाव में रहती हैं. महाकाल दरबार का 33 सीटों पर असर है.वहीं पीतांबरा पीठ का 28, रामराजा दरबार का 11, सलकनपुर मंदिर का 9 और मैहर, कामतानाथ मंदिर का 28 सीटों पर प्रभाव है.
दरअसल सीटों के लिहाज से देखें तो यहां से 34 विधानसभा सीटें आती हैं, जिनमें से बीजेपी के पास 20 तो कांग्रेस के पास 12 और BSP के पास 2 सीटें हैं. उधर ग्वालियर चंबल में कांग्रेस की पकड़ मजबूत करने के लिए जोर लगा रहे राहुल गांधी ने मंदिरों का सहारा लेने से भी परहेज नहीं किया. राहुल ने दतिया की पीतांबरा पीठ में दर्शन किया तो ग्वालियर के अचलेश्वर मंदिर में जलाभिषेक.
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यानि मौजूदा समय में इन तीनों अंचलों की समस्या पर किसी ने ध्यान नहीं अलबत्ता मंदिरों का रास्ता जरूर पकड़ लिया है. मसलन, ग्वालियर चंबल संभाग की सबसे बड़ी समस्या SC-ST एक्ट के विरोध पर राहुल गांधी ने अपनी कोई राय नहीं रखी. इस अंचल की दूसरी बड़ी पीने और खेती का पानी का पानी है, इस पर कांग्रेस के पास कोई ब्लू प्रिंट नहीं था अवैध खनन को रोकना खुद सरकार के लिए सिर दर्द है, लेकिन कांग्रेस इस पर भी कोई भविष्य का प्लान जनता को बता नहीं पाई. अलबत्ता मंदिर मंदिर जाने के रास्ते सत्ता का रास्ता तलाशा जा रहा है.
Source : News Nation Bureau