Advertisment

मध्‍य प्रदेश विधानसभा चुनाव : सपा-बसपा ने कांग्रेस तो इस नई पार्टी ने उड़ाई बीजेपी की नींद

सामान्य, पिछड़ा वर्ग अल्पसंख्यक कल्याण समाज (सपाक्स) नामक संगठन ने बीजेपी की नींद उड़ा रखी है। इस संगठन की नजर सवर्ण वोटों पर है, जो बीजेपी का आधार वोटबैंक हैं। सपा और बसपा कांग्रेस के वोटों में सेंधमारी करेंगे, जिससे उसे भारी नुकसान हो सकता है।

author-image
Sunil Mishra
एडिट
New Update
मध्‍य प्रदेश विधानसभा चुनाव : सपा-बसपा ने कांग्रेस तो इस नई पार्टी ने उड़ाई बीजेपी की नींद
Advertisment

पांच राज्‍यों में विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस के रवैये से नाराज सपा और बसपा ने अपनी अलग राह बना ली. बसपा मध्‍य प्रदेश में अकेले तो छत्‍तीसगढ़ में अजीत जोगी की पार्टी के साथ चुनाव मैदान में उतर रही है. सपा ने मध्‍य प्रदेश में गोंडवाणा गणतंत्र पार्टी से समझौता किया है. माना जा रहा है कि सपा और बसपा कांग्रेस के वोटों में सेंधमारी करेंगे, जिससे उसे भारी नुकसान हो सकता है.

यह भी पढ़ें : कमलनाथ के बाद अब ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया ने भी दिया ऐसा बयान, सकते में आ गए कांग्रेसी

वहीं सामान्य, पिछड़ा वर्ग अल्पसंख्यक कल्याण समाज (सपाक्स) नामक संगठन ने बीजेपी की नींद उड़ा रखी है. इस संगठन की नजर सवर्ण वोटों पर है, जो बीजेपी का आधार वोटबैंक हैं. दलित उत्‍पीड़न एक्‍ट में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को दरकिनार कर कानून बनाने के बाद इस संगठन ने चुनाव लड़ने का फैसला किया. बता दें कि दलित उत्‍पीड़न कानून में संशोधन के खिलाफ आयोजित भारत बंद सबसे अधिक मध्‍य प्रदेश में मुखर रहा था. सपाक्स ने प्रदेश की सभी 230 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है. ऐसा नहीं है कि सपाक्‍स से केवल बीजेपी को नुकसान होगा, बल्‍कि कांग्रेस भी नुकसान से अछूती नहीं रहेगी.

यह भी पढ़ें : कांग्रेस ने जारी की उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट, वाजपेयी की भतीजी करुणा देंगी रमन सिंह को चुनौती

सपाक्स लंबे समय से सवर्ण और गैर आरक्षित वर्ग के कर्मचारियों के लिए संघर्ष कर रहा है. इस संगठन की लड़ाई प्रमोशन में आरक्षण के खिलाफ शुरू हुई थी. सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में प्रमोशन में आरक्षण के मायावती सरकार के फैसले को रद्द किया था, उसी तरह मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने दिग्विजय सरकार के प्रमोशन में आरक्षण के फैसले को रद्द कर दिया था, लेकिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हाई कोर्ट का फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की. मामला अभी लंबित है. इस लड़ाई ने ही प्रदेश के अगड़े कर्मचारियों को एकजुट किया है.

यह भी पढ़ें : कंबल बाबा के ऑडियो बम से छत्तीसगढ़ में सियासी भूचाल

अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक रहे सपाक्स के प्रवक्ता विजय वाते कहते हैं, 'अब और कोई विकल्प ही नहीं बचा है. कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही वोट के लिए समाज के एक बड़े वर्ग को लगातार दबाते आ रहे हैं, अब और दवाब नहीं झेलेंगे. सपाक्स के इस फैसले ने कांग्रेस और बीजेपी दोनों की ही नींद उड़ा दी है. यही वजह है कि चाहे शिवराज हों या दिग्विजय सभी इस मुद्दे पर बात करने से बच रहे हैं.

जानें क्‍या है अजाक्‍स, अपाक्‍स और सपाक्‍स

मध्यप्रदेश में सरकारी कर्मचारियों के संगठनों को जातीय आधार पर सरकारी मान्यता मिली है। दिग्‍विजय सिंह के इस कदम को शिवराज सिंह आगे बढ़ा रहे हैं. पहले अनुसूचित जाति-जनजाति के कर्मचारियों का संगठन अजाक्स बना, फिर पिछड़े वर्ग के कर्मचारियों का संगठन अपाक्स बना. दोनों को कांग्रेस सरकार ने मान्यता दी. इन दोनों संगठनों की अगुवाई बड़े अफसर कर रहे हैं. अजाक्स के मुखिया तो प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारी हैं. इसके बाद सवर्ण कर्मचारियों ने सपाक्स बनाया. आईएएस अधिकारी राजीव शर्मा इस संगठन के संरक्षक हैं. पूर्व सूचना आयुक्त हीरालाल त्रिवेदी इसके मुख्य सूत्रधार हैं. बड़ी संख्या में पूर्व नौकरशाह इससे जुड़े हुए हैं. यह संगठन तब और मुखर हो गया, जब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने अजाक्स के मंच पर जाकर यह घोषणा की कि उनके रहते कोई माई का लाल प्रमोशन में आरक्षण खत्म नहीं कर सकता, इसके बाद सपाक्स सदस्य खुद को 'माई का लाल' बताने लगे.

यह भी पढ़ें : कोणार्क के सूर्य मंदिर के समान है ग्‍वालियर का यह टेंपल, भक्‍तों की पूरी होती है हर मुराद

Source : News Nation Bureau

BJP congress Assembly Election madhya-pradesh बीजेपी कांग्रेस BSP SP सपा बसपा मध्‍य प्रदेश Sapaks Ajaks Apaks सवर्ण वोट विधानसभ
Advertisment
Advertisment
Advertisment