UP Election 2022 : यूपी चुनाव में अब तक छह चरण के चुनाव हो चुके हैं. सातवें चरण की चुनाव के लिए सभी पार्टियों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. इस बीच वाराणसी और आजमगढ़ विधानसभा क्षेत्र सबसे हॉट बनी हुई है. इस चरण में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के रण में आजमगढ़ की 10 विधानसभा सीटों पर मुकाबला बेहद दिलचस्प होने जा रहा है. कई प्रत्याशियों को इस बार टिकट नहीं मिलने से निर्दलीय खड़े होकर अन्य उम्मीदवारों को कड़ी टक्कर दे रहे हैं. फिलहाप निर्दलीयों की वजह से सपा, बीजेपी और बसपा तीनों के समीकरण गड़बड़ाते नजर आ रहे हैं. यहां तक कि निर्दलीय की वजह से कोई भी पार्टी खुद को मजबूत नहीं दिख रही है.
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आजमगढ़ जनपद में कौन-कौन सी सीटें आती हैं ?
आजमगढ़ जनपद में दो संसदीय क्षेत्र आते हैं- आजमगढ़ सदर और लालगंज सुरक्षित. वर्तमान में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव इस समय आजमगढ़ सदर सीट से ही सांसद हैं और मौजूदा विधानसभा चुनाव में मैनपुरी की करहल सीट से उम्मीदवार हैं. अखिलेश यादव पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं दूसरी लोकसभा सीट है लालगंज सुरक्षित, यहां से बसपा की संगीता आजाद सांसद हैं. अखिलेश यादव की संसदीय सीट आजमगढ़ सदर के तहत पांच विधानसभा आती हैं। इनके नाम हैं- गोपालपुर, सगड़ी, मुबारकपुर, मेहनगर और आजमगढ़ सदर विधानसभा. आजमगढ़ जनपद की दूसरी संसदीय सीट लालगंज सुरक्षित के तहत आने वाली पांच विधानसभा सीटों के नाम हैं- अतरौलिया, जिजामाबाद, फूलपुर-पवई, दीदारगंज और लालंगज.
आजमगढ़ सदर सीट
यह सीट सपा का गढ़ रहा है. यहां पर सपा ने इस बार दुर्गा प्रसाद को ही टिकट दिया है, जो कि 1996 से 2017 तक लगातार 6 बार चुनाव जीत चुके हैं. इस सीट पर हमेशा पुरुष उम्मीदवार ही जीतते रहे हैं. वहीं बीजेपी ने इस सीट पर अखिलेश मिश्र गुड्डू को मैदान में उतारा है, जबकि बसपा ने सुशील कुमार सिंह को टिकट दिया है. आजमगढ़ सदर सीट पर पहला चुनाव 1957 में हुआ था. यहां से प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के बिसराम पहले विधायक बने थे. इसके बाद भीम प्रसाद लगातार तीन बार विधायक चुने गए. इस सीट पर बीजेपी अभी तक एक बार भी नहीं जीत पाई है.
गोपालपुर विधानसभा सीट
वर्ष 2017 विधानसभा चुनाव में इस सीट पर जीत सपा की हुई थी. वर्तमान में नफीस अहमद सपा के विधायक हैं. वर्ष 2022 में भी अखिलेश यादव ने नफीस अहमद को ही टिकट देकर भरोसा जताया है, जबकि बीजेपी ने सत्येंद्र राय को उम्मीदवार बनाया है. बसपा ने रमेश यादव, जबकि कांग्रेस ने शान ए आलम को टिकट दिया है. गोपालपुर में यादव-मुस्लिम मतदाता प्रभावी हैं. जातीय समीकरण की बात करें तो यहां पर 68 हजार यादव वोटर हैं, जबकि 42 हजार मुस्लिम मतदाता. वहीं अनुसूचित जाति के 53 हजार, राजभर 28 हजार, ब्राह्मण और क्षत्रीय 18-18 हजार. ऐसे में देखा जाय तो सपा यहां पर मजबूत दिख रही है.
सगड़ी विधानसभा सीट
वर्ष 2017 विधानसभा चुनाव में यह सीट वंदना सिंह ने बसपा के टिकट पर जीती थी, लेकिन कुछ ही समय बाद उन्होंने बीजेपी जॉइन कर ली. इस बार बीजेपी ने वंदना सिंह पर ही भरोसा जताया है. वहीं, सपा ने डॉक्टर एमएच पटेल, बसपा ने शंकर यादव जबकि कांग्रेस ने राणा खातून को टिकट देकर उन्हें मैदान में उतारा है. वर्ष 2017 यूपी चुनाव में इस सीट पर बसपा की वंदना सिंह को 62203 वोट मिले थे, जबकि समाजवादी पार्टी के जयराम पटेल 56728 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे थे.
मुबारकपुर विधानसभा सीट
इस बार के चुनाव में यहां का मुकाबला काफी दिलचस्प देखने को मिल रहा है. हालांकि यहां के मतदाताओं को उम्मीद है कि इस सीट पर इस बार AIMIM को जीत मिलने की संभावना है. इस सीट पर 2012 में बसपा ने शाह आलम को टिकट दिया था. वर्ष 2017 में भी वह बसपा से ही लड़े और चुनाव जीते थे. उन्होंने पिछले साल बसपा छोड़ दी थी. इस बार शाह आलम AIMIM के टिकट पर चुनावी मैदान में हैं. बसपा ने इस बार अब्दुल सलाम को टिकट दिया है, जबकि कांग्रेस ने परवीन तो बीजेपी ने सगड़ी के अपने पूर्व प्रत्याशी अरविंद जयसवाल को उम्मीदवार बनाया है. वहीं, सपा ने अखिलेश यादव (सपा अध्यक्ष नहीं) को यहां से टिकट दिया है.
मेहनगर विधानसभा सीट
वर्ष 2017 चुनाव में यह सीट बसपा के पास थी. इस बार भी बसपा ने अपने मौजूदा विधायक आजाद आरी मर्दन को ही उम्मीदवार बनाया है. वहीं, बीजेपी ने पूर्व सांसद नीलम सोनकर को उम्मीदवार बनाया है. सपा ने बेचेई सरोज को टिकट दिया है. 2012 में भी सरोज इस सीट पर जीत चुके थे जबकि कांग्रेस ने पुष्पा भारती को मैदान में उतारा है.
अतरौलिया विधानसभा सीट
पिछल दो चुनावों में इस सीट पर सपा उम्मीदवार संग्राम यादव को जीत प्राप्त होती रही है. संग्राम सपा के वरिष्ठ नेता बलराम यादव के पुत्र हैं. इस बार बीजेपी ने यह सीट निषाद पार्टी को दी है, जिसने प्रशांत सिंह को मैदान में उतारा है। वहीं, बसपा ने सरोज पांडे को इस सीट से प्रत्याशी चुना है. सपा, बसपा और बीजेपी तीनों ही इस सीट पर मजबूत हैं, लेकिन संग्राम यादव का पलड़ा थोड़ा भारी नजर आता है.
निजामाबाद विधानसभा सीट
पिछली बार सपा के टिकट पर आलम बदी इस सीट से चुनाव जीते थे. अखिलेश यादव ने इस बार भी इन्हीं पर भरोसा जताया है. बीजेपी ने मनोज यादव, कांग्रेस ने अनिल यादव और बसपा ने पीयूष यादव को टिकट दिया है. इस बार निर्दलीय को वोट बंटने के आसार है. इस बार सपा को छोड़कर तीनों ही बड़े दलों ने यादव प्रत्याशी उतारा है, देखना होगा कि यादवों के वोट बंटते हैं या नहीं. अगर यादव वोट बंटते हैं तो ऐसे में सपा के आलम बदी को निश्चित ही फायदा होगा.
दीदारगंज विधानसभा सीट
पिछले चुनाव में यहां से बसपा प्रत्याशी को जीत प्राप्त हुई थी. इस सीट की बात करें तो वर्ष 2017 में बसपा के टिकट पर जीते सुखदेव राजभर ने निधन से कुछ समय पहले अखिलेश यादव को एक चिट्ठी लिखी थी. उन्होंने अखिलेश यादव से अपने बेटे कमलाकांत राजभर को सपा का टिकट देन की गुजारिश की थी, जिसे अखिलेश यादव ने पूरा किया. अखिलेश यादव ने अपने दो बार के विधायक आदिल शेख का टिकट काटकर कमलाकांत राजभर को मैदान में उतारा है. वहीं, बसपा ने भूपेंद्र सिंह मुन्ना, बीजेपी ने कृष्ण मुरारी विश्वकर्मा को प्रत्याशी बनाया है. इस सीट पर मुस्लिम मतादाताओं की संख्या काफी अधिक है.
फूलपुर-पवई विधानसभा सीट
वर्ष 2017 यूपी चुनाव में आजमगढ़ जनपद की 10 सीटों में यह इकलौती ऐसी सीट रही जहां पर बीजेपी को जीत प्राप्त हुई. बीजेपी के टिकट पर रमकांत यादव के बेटे अरुण कांत यादव यहां से जीते थे. रमाकांत यादव 2019 में सपा में चले गए, लेकिन उनके बेटे अरुण कांत यादव बीजेपी में ही रहे। सपा ने इस सीट पर रमाकांत यादव को टिकट दिया है. ऐसे में पिता-पुत्र के बीच मुकाबले के कयास लगाए जा रहे थे, लेकिन बीजेपी ने अरुण कांत का टिकट काट दिया और इस बार रामसूरत राजभर को मैदान में उतारा है. बसपा ने इस सीट पर मुस्लिम प्रत्याशी शकील अहमद को उतारा है, जबकि कांग्रेस ने मोहम्मद शाहिद को टिकट दिया है.
लालगंज विधानसभा सीट
पिछले चुनाव में बसपा के टिकट पर इस सीट से आजाद आरी मर्दन को जीत मिली थी। बसपा ने इस बार भी उन्हीं पर दांव लगाया है. बीजेपी ने पूर्व एमपी नीलम सोनकर को यहां से टिकट दिया है, जबकि सपा ने बेचेई सरोज पर भरोसा जताया है.