एनसीपी (NCP) एक ओर शिवसेना (Shiv Sena) और कांग्रेस (Congress) के साथ मिलकर शक्ति प्रदर्शन कर रही है, वही शरद पवार (Sharad Pawar) के भतीजे अजीत पवार (Ajit Pawar) को मनाने की कोशिशें भी जारी हैं. उधर अजीत पवार हैं कि टस से मस नहीं हो रहे हैं. वो अपने रुख पर कायम हैं. अजीत पवार के बदले एनसीपी (NCP) ने जयंत पाटिल (Jayant Patil) को विधायक दल का नेता चुन लिया है, लेकिन तकनीकी रूप से जयंत पाटिल अब भी विधायक दल के नेता बने हुए हैं. अगर दोनों पक्ष अपने-अपने रुख पर अड़े रहे तो एनसीपी टूट भी सकती है. देखने वाली बात होगी कि टूट की स्थिति में अजीत पवार कितने विधायकों को अपने पाले में कर पाते हैं. हालांकि शक्ति प्रदर्शन में शरद पवार का खेमा सभी विधायकों को अपने पाले में मानकर चल रहा है, लेकिन अजीत पवार के रुख से ऐसा लग रहा है कि कुछ विधायक जरूर उनके साथ हैं.
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संवैधानिक मामलों के जानकार व सुप्रीम कोर्ट के वकील विराग गुप्ता ने आईएएनएस से कहा, "फ्लोर टेस्ट के दौरान यदि अजित पवार और जयंत पाटिल (नए विधायक दल नेता) दोनों ने व्हिप जारी कर दिया तो बहुमत की संख्या में विवाद के साथ दलबदल का मामला भी बनेगा. उस स्थिति में स्पीकर की भूमिका महत्वपूर्ण होगी. बहुमत, स्पीकर का चुनाव और दलबदल जैसे मामलों पर विवाद की स्थिति में पार्टी टूट सकती है और असली एनसीपी-नकली एनसीपी की लड़ाई सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग में जा सकती है."
विराग गुप्ता ने आगे कहा, "अजित पवार के व्हिप को दो बिंदुओं पर वैधता मिल सकती है. मसलन, शरद पवार ने उन्हें विधायक दल के नेता के पद से हटाया है मगर पार्टी से नहीं हटाया है. दूसरी तरफ तीन दलों द्वारा जिस महाविकास अघाडी गठबंधन की सरकार बनाने की बात की जा रही है, उसके नेता के बारे में औपचारिक तौर पर सुप्रीम कोर्ट को नहीं बताया गया."
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एनसीपी के कुल 54 विधायक हैं. अगर स्पीकर ने अजित पवार का व्हिप माना तो फिर उनके फैसले के खिलाफ जाने वाले 53 अन्य विधायकों के वोट निरस्त हो जाएंगे, जिससे बहुमत के लिए आंकड़ा 118 रह जाएगा. इतने विधायकों का बंदोबस्त फिलहाल भाजपा के पास है. भाजपा के पास अपने 105 और 13 निर्दलीय विधायकों के समर्थन का दावा किया गया है. देवेंद्र फडणवीस की मौजूदगी में पिछले दिनों हुई बैठक में 118 विधायकों की मौजूदगी का दावा किया जाता रहा है.
भाजपा नेताओं का मानना है कि शपथ से पहले अजित पवार ने विधायक दल के नेता की हैसियत से समर्थन पत्र दिया था, इस नाते कानूनी पेच नहीं फंसता.
महाराष्ट्र में सरकार की स्थिरता को लेकर पूछे गए सवाल पर भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने आईएएनएस से कहा, "अजित पवार ने विधायक दल के नेता की हैसियत से भाजपा को समर्थन दिया, जिससे भाजपा के विधायक दल के नेता देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री बने, कहीं कोई रोड़ा नहीं है. सदन में पार्टी बहुमत साबित करके रहेगी."
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कर्नाटक फार्मूले पर भी काम कर रही बीजेपी
कर्नाटक में जिस तरह 'ऑपरेशन कमल' के जरिए बीजेपी ने विरोधी दलों के विधायकों से इस्तीफे दिलाकर बहुमत के आंकड़े को कम कर पूर्व में सरकार बनाई, उस रणनीति पर भी महाराष्ट्र में भाजपा काम कर सकती है. सूत्र बता रहे हैं कि दलबदल कानून से बचने के लिए किसी पार्टी के दो-तिहाई विधायकों का टूटना जरूरी है. ऐसे में तीनों दलों के कुछ विधायकों से इस्तीफे दिलाकर बीजेपी बहुमत के आंकड़े को इतना करीब लाना चाहेगी, जहां तक पहुंच सके. हालांकि यह बहुत आसान नहीं है.
Source : सुनील मिश्र