झारखंड में इस बार कौन होगा सत्ता पर काबिज इसकी तस्वीर लगभग साफ हो चुकी है. इसी के साथ सभी सीटों की स्थिति भी साफ होने लगी है. ताजा रुझानों के मुताबिक झारखंड विधानसभा चुनाव की सबसे चर्चित सीट जमशेदपुर पूर्वी पर मुख्यमंत्री रघुवर दास खबर लिखे जाने तक 7484 वोटों से पीछे चल रहे हैं. इस सीट से निर्दलीय उम्मीदवार और बीजेपी के बागी सरयू राय के जीत की संभावना लगभग साफ होती दिख रही है. निर्वाचन आयोग की ओर से जारी दोपहर तीन बजे तक के आंकड़ों के मुताबिक, सरयू राय को जहां 27,790 वोट मिले हैं, वहीं रघुवर दास के हिस्से 21,896 आए हैं. माना जा रहा है कि सरयू राय की यह निर्णायक बढ़त हो चुकी है.
इसी के साथ एक बार फिर ये मिथक सच होता दिख रहा है कि झारखंड में अब तक जितने विधानसभा चुनाव हुए हैं उसमें हर मौजूदा मुख्यमंत्री को अपनी सीट गंवानी पड़ी है. यही वजह है कि 19 साल में अब तक 6 मुख्यमंत्री रह चुके हैं. हालांकि पांच साल का कार्यकाल पूरा करने वाले पहले मुख्यमंत्री बनकर रघुवर दास ने इतिहास जरूर रच दिया है.
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दरअसल रघुवर दास की पहचान झारखंड में पांच साल तक मुख्यमंत्री पद पर बने रहने की है. बिहार से अलग होकर झारखंड बने 19 साल हो गए है, परंतु रघुवर दास ही ऐसे मुख्यमंत्री हैं जो लगातार पांच साल तक मुख्यमंत्री पद पर काबिज रहे. यही कारण है कि मुख्यमंत्री पर हार का मिथक तोड़ने को लेकर भी लोगों की दिलचस्पी बनी हुई है.
क्या रहा है इतिहास?
झारखंड के गठन के बाद वर्ष 2000 में बीजेपी सरकार में राज्य में पहले मुख्यमंत्री के रूप में बाबूलाल मरांडी ने कुर्सी संभाली थी. पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने वर्ष 2014 में बीजेपी से अलग होकर अपनी पार्टी झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो) बना ली और गिरिडीह और धनवाद विधानसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतरे, लेकिन दोनों सीटों पर उन्हें हार का सामना करना पड़ा. धनवाद विधानसभाा क्षेत्र में भाकपा (माले) के राजकुमार यादव ने मरांडी को करीब 11,000 मतों से पराजित कर दिया, जबकि गिरिडीह में उन्हें तीसरे स्थान से संतोश करना पड़ा.
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बीजेपी के अर्जुन मुंडा भी राज्य की बागडोर संभाली, लेकिन उन्हें भी मतदाताओं की नाराजगी झेलनी पड़ी. राज्य में तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके अर्जुन मुंडा 2014 में खरसावां से चुनाव हार गए. उन्हें झामुमो के दशरथ गगराई ने करीब 12 हजार मतों से हराया. दशरथ गगराई को 72002 मत मिले, जबकि अर्जुन मुंडा को 60036 मत ही प्राप्त हो सके. झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) से मुख्यमंत्री बने नेताओं को भी देर-सबेर हार का मुंह देखना पड़ा है. झारखंड के दिग्गज नेता शिबू सोरेन राज्य की तीन बार बागडोर संभाल चुके हैं, लेकिन उन्हें मुख्यमंत्री रहते तमाड़ विधानसभा उपचुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा और मुख्यमंत्री की कुर्सी तक गंवानी पड़ी.
बता दें कि बीजेपी से इस बार विधानसभा चुनाव का टिकट न मिलने के बाद वरिष्ठ नेता सरयू राय ने बगावत कर मुख्यमंत्री रघुवर दास की सीट से ही ताल ठोक दी थी. जबकि सरयू राय भाजपा के बेहद कद्दावर नेता माने जाते रहे हैं। जब उनका टिकट कटा था तो पार्टी के कई नेता भी चौंक गए थे। सरयू राय ने एक बयान में कहा था कि कभी उनके कहने पर पार्टी दूसरों को टिकट दिया करती थी, आज पार्टी ने उन्हीं का टिकट का दिया।