कांग्रेस विधायक दल की बैठक में पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कमलनाथ के नाम को विधायक दाल के नेता के रूप में प्रस्तावित किया इसके बाद कमलनाथ कांग्रेस विधायक दल के नेता चुन लिए गए. इसके साथ ही यह भी तय हो गया कि मध्य प्रदेश के नए मुख्यमंत्री अब कमलनाथ होंगे। 15 साल से सत्ता पर काबिज बीजेपी सरकार को कांग्रेस ने 114 सीट हासिल कर के मात दे दी है. फिलहाल सरकार बनाने के लिए कांग्रेस को 116 सीटों की जरूरत पड़ेगी. हालांकि सपा बसपा के कांग्रेस पार्टी को समर्थन के बाद इनकी सरकार बनने का रास्ता साफ हो गया है.
कमलनाथ का सीएम पद के लिए एक मजबूत दावेदार इसलिए भी है क्योंकि गुजरात मॉडल और दिल्ली मॉडल की तरह छिंदवाड़ा मॅाडल की भी चर्चा काफी होती है. आइए सबसे जानते है कि आखिर क्या है छिंदवाड़ा मॉडल और कमलनाथ ने विकास की कैसी तस्वीर खींची है.
कमलनाथ छिंदवाड़ा में यूं ही अजेय नहीं हैं इसके पीछे उनका काम बोलता है. सांसद रहते हुए भी ऐसे- ऐसे काम किए है जो आमतौर पर एक विधायक का होता है लेकिन उन्होंने पूरी मेहनत और लगने से विकास के लिए खुद को समर्पित किया है. आज इसी का नतीजा है कि छिंदवाड़ा की जनता के बीच चर्चित है.
बतौर सांसद कमलनाथ ने इलाके के लिए काम तो किया ही साथ ही केन्द्र में मंत्री रहते हुए भी उन्होंने कभी छिंदवाड़ा के लिए कई योजनाओं को पास कराया. केन्द्र में कांग्रेस की सरकार रहते हुए उन्होंने बड़ी - बड़ी योजनाओं के जरिए न सिर्फ छिंदवाड़ा में सड़कों का जाल बिछाया बल्कि शहर को एक एजुकेशन हब के तौर पर भी विकसित किया.
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छिंदवाड़ा एक आदिवासी इलाका माना जाता है और यहां की जनता ने कमलनाथ को साल 1980 में 7वीं लोकसभा में भेजा. उन्होंने यहां के लोगों को न सिर्फ रोजगार दिया बल्कि आदिवासियों के उत्थान के लिए कई काम भी किए. छिंदवाड़ा के पास विकास का अपना मुकम्मल मॉडल है. देश में ये एक मात्र संसदीय क्षेत्र है जो बड़े उद्योगों के बिना भी विकास के लिए जाना जाता है. ये कभी देश के सबसे पिछड़े क्षेत्रों में शुमार होता था, मगर अब इससे होकर तीन राष्ट्रीय राजमार्ग गुजरते हैं और वहां से दिल्ली के लिए सीधी रेल सेवा है. इसका श्रेय कांग्रेस के नेता कमलनाथ को ही जाता है.
बताया जाता है कि छिंदवाड़ा जैसे पिछड़े क्षेत्र में जितना विकास हुआ है उतना ही शायद किसी जिले में हुआ है. कमलनाथ जिस किसी भी मंत्रालय में रहे हो लेकिन उन्होंने छिंदवाड़ा को कोई न कोई सौगात जरूर दी है. डेढ़ लाख की आबादी वाले शहर में अगले बीस साल की जरूरत के मुताबिक वाटर प्रोजेक्ट पर काम हो रहा है. इंजीनियरिंग कॉलेज , फुटवियर डिजाइन सेंटर की स्थापना की है. हिंदुस्तान यूनी लीवर, ब्रिटानिया, रेमंड, भंसाली समेत कई निजी कंपनियों ने जिले में उद्योग लगाए. साल 1980 में इस जिले को मौत का कुआं कहा जाता था कमलनाथ ने सांसद बनकर कार्य शुरू किया. मौजूदा वक्त में काल सेंटर, फोरलेन से संपूर्ण शहर का जुड़ाव, नालेज सिटी, रोजगार के लिए औद्योगिक उपक्रम और अत्याधुनिक शहरी मार्केट शिक्षा में अग्रणी चिकित्सा के संपूर्ण साधन वहां पर है.
छिंदवाड़ा के विकास की न सिर्फ जनता जय करती है. बल्कि सही मायने में तो विपक्षी नेता भी कमलनाथ के छिंडवाड़ा मॉडल के मुरीद हैं. गाहे- बगाहे कई बार बीजेपी के नेताओं ने भी छिंदवाड़ा की तारीफ की है.
छिंदवाड़ा देश की उन चुनिंदा लोकसभा सीटों में से है जिन्होंने इक्का-दुक्का अपवादों को छोड़कर हमेशा कांग्रेस को जीत का सेहरा पहनाया है. कमलनाथ पिछले 9 आम चुनावों से छिंदवाड़ा का प्रतिनिधित्व संसद में कर रहे हैं। अभी तक सिर्फ एक उपचुनाव में कांग्रेस को वहां धक्का लगा है. एक और अपवाद 1977 के आम चुनाव का है हालांकि उस समय के जबरदस्त कांग्रेस विरोधी दौर में भी वहां से जनता पार्टी का जो शख्स जीता था वह पूर्व के दो आम चुनावों में कांग्रेस की टिकट पर जीतकर वहां का सांसद रह चुका था.
साल 1998 के उपचुनाव में कांग्रेस की हार छिंदवाड़ा के मतदाताओं की तात्कालिक नाराजगी का इजहार था. दरअसल हवाला कांड में नाम आने के बाद कमलनाथ 1996 का आम चुनाव नहीं लड़ सके थे. ऐसे में उनकी पत्नी अलका कमलनाथ ने चुनाव लड़ा और जीतीं लेकिन एक साल बाद जब कमलनाथ हवाला मामले से बरी हो गए तब उन्होंने पत्नी से से इस्तीफा दिला दिया और खुद चुनाव लड़े. लेकिन वो बीजेपी के सुंदरलाल पटवा से हार गए. यह अब तक का इकलौता मौका रहा जब छिंदवाड़ा में बीजेपी का कमल खिला. छिंदवाड़ा पर संघ की सबसे कमजोर पकड़ है.
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कमलनाथ आमतौर पर दिल्ली की सिसायत ज्यादा करते रहे हैं. ज्यादातर समय तक वो केन्द्र में मंत्री रहे और मंत्री से हटने के बाद संगठन के बाम में व्यस्त रहे. बावजूद इसके छिंदवाड़ा से उनका ध्यान नहीं हटा. हर मौके पर वो छिंदवाड़ा के लिए प्रयास करते रहे और उसी का नतीजा है कि कि कमलनाथ छिंदवाड़ा में अजेय माने जाते हैं.
Source : News Nation Bureau