Bihar Election Result 2020: केवटी से बीजेपी के मुरारी झा जीते, सिद्धीकी को हार का सामना करना पड़ा. मंगलवार को बिहार चुनाव का मतगणना शुरू हुआ. रुझानों में केवटी सीट से आरजेडी आगे चल रही थी. लेकिन बीजेपी ने बाजी मारी ली. बिहार में कुछ महीनों बाद होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर अब सभी राजनीतिक दलों ने अपनी रणनीति के तहत तैयारियां शुरू कर दी हैं. सभी सियासी दलों के नेता अपनी पार्टी के प्रचार और संगठन को मजबूत करने की कोशिशों में जुट गए हैं. केवटी विधानसभा क्षेत्र में भी चुनावी सुगबुगाहट शुरू होने लगी है. दरभंगा जिले के अंतर्गत आने वाली केवटी सीट पर इस बार उम्मीदवारों के बीच कड़ा मुकाबला होने की उम्मीद है. चुनावी अखाड़े में एक तरह विपक्षी दलों का महागठबंधन तो दूसरी ओर जदयू-बीजेपी गठबंधन होगा. देखने होगा कि इस बार बाजी कौन मारता है.
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2015 की सूची के अनुसार यहां 2,65,923 वोटर्स
2015 के विधानसभा चुनाव की सूची के अनुसार, केवटी विधानसभा क्षेत्र में कुल 2,65,923 वोटर्स हैं. जिनमें से 1,43,678 पुरुष और 1,22,233 महिलाएं शामिल हैं. पिछली बार इस सीट पर 5 नवंबर 2015 को वोटिंग हुई थी और कुल 54.7 फीसदी मतदाताओं ने अपने मत का इस्तेमाल किया था.
2015 के चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल को मिली जीत
केवटी विधानसभा सीट पर 2015 के विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल को जीत मिली. राजद ने फराज फातमी को उतारा था, जिन्हें 68,601 वोट मिले थे. उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के अशोक कुमार यादव को हराया था. अशोक कुमार यादव को 60,771 वोट मिले थे. जबकि सीपीआई के उम्मीदवार रामचंद्र शह तीसरे स्थान पर रहे थे. 2015 के चुनाव में यहां कुल 13 उम्मीदवार मैदान में थे.
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2010 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने मारी बाजी
इससे पहले 2010 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार अशोक कुमार यादव ने जीत हासिल की थी. उन्होंने राजद के फराज फातमी को मात दी थी. अशोक कुमार यादव को 45,791 वोट मिले थे, जबकि फराज फातमी के पक्ष में 45,762 वोट आए थे. उस साल भी यहां कुल 12 उम्मीदवारों ने किस्मत आजमाई थी. कांग्रेस के मोहम्मद मोहसिन तीसरे स्थान पर रहे थे.
इन मुद्दों पर लड़ा जा सकता है चुनाव?
केवटी विधानसभा क्षेत्र में किसानों के लिए बड़ी समस्या है, जो चुनावी मुद्दा बन सकती है. खेतीबाड़ी के अलावा यहां बेरोजगारी, स्वास्थ्य सेवाओं की कमी, सड़कों की खराब स्थिति जैसे कई मुद्दे हैं, जो चुनाव के दौरान हावी रह सकते हैं. इसके अलावा भी कई समस्याएं हैं, जो चुनावी मुद्दा बन सकती हैं.
Source : News Nation Bureau