Kerala Assembly Elections 2021: केरल में विधानसभा की 140 सीटों पर 6 अप्रैल को मतदान हुआ था. केरल विधानसभा चुनाव में करीब 74.06 फीसदी वोटिंग हुई थी. पिछले 40 सालों में केरल में कोई भी गठबंधन सरकार दोबारा सत्ता में वापसी नहीं कर सकी है. 2016 के चुनावों में वाम दलों ने 43.48 फीसदी वोट शेयर लेते हुए 91 सीटें जीतीं थीं. वहीं यूडीएफ ने 38.81 प्रतिशत वोट लेकर 47 सीटें पाईं थी. वहीं भाजपा के खाते में सिर्फ एक सीट और 14.96 प्रतिशत वोट आए थे. वहीं एक सीट पर पी.सी. जॉर्ज जीते थे जिनकी पार्टी किसी राजनीतिक मोर्चे से जुड़ी नहीं थी. गौरतलब है कि केरल में बहुमत के लिए 71 सीटों की जरूरत होती है.
2016 के विधानसभा चुनाव में एलडीएफ गठबंधन को 91 सीटें मिली थीं, जिसमें शामिल माकपा को 58, भाकपा को 19, केसीबी को एक, सीएम (पी) को एक, आरएसपी एल को एक, जेडीएस को तीन, राकांपा को 2, कांग्रेस (एस) को एक और अन्य को पांच सीटें मिली थीं. केरल में एलडीएफ के मुख्य विपक्षी गठबंधन यूडीएफ को महज 47 सीटें ही मिलीं थीं जिसमें कांग्रेस को 22, आईयूएमएल को 18, केसी (जे) को एक और केसी (एम) को छह सीटें मिलीं थीं. केरल में पहली बार बीजेपी ने भी खाता खोला था. भारतीय जनता पार्टी को एक सीट और एक सीट निर्दलीय के खाते में गई थी. बता दें कि 2016 के चुनाव में केरल के आबकारी मंत्री के. बाबू चुनाव हार गए थे. त्रिपुनितुरा सीट पर हुए चुनाव में के बाबू को माकपा के एम स्वराज ने हराया था. वहीं गृहमंत्री रमेश चेन्नितला हरिपाद निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव जीत गए थे.
बता दें कि एग्जिट पोल (Exit Poll) में लेफ्ट के नेतृत्व वाले सत्तारुढ़ एलडीएफ की वापसी लग रही है. लगभग सभी एग्जिट पोल में सीपीएम के नेतृत्व वाले गठबंधन को पूर्ण बहुमत मिलता हुआ दिखाई पड़ रहा है. एग्जिट पोल में यूडीएफ को 50-60 सीटें मिलने का अनुमान लगाया जा रहा है. इसके अलावा भारतीय जनता पार्टी को एक या दो सीटें मिलने का अनुमान है. केरल विधानसभा चुनाव के चर्चित उम्मीदवारों में ई श्रीधरन, पिनराई विजयन और पूर्व मुख्यमंत्री ओमान चांडी प्रमुख हैं. बता दें कि ई श्रीधरन (E Sreedharan) भारत के मशहूर सिविल इंजीनियर हैं. श्रीधरन 1995 से 2012 तक दिल्ली मेट्रो के निदेशक रहे. भारत सरकार ने उन्हें 2001 में पद्मश्री और 2008 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया था. बीजेपी ने उन्हें पालक्कड सीट से टिकट दिया गया था. मेट्रोमैन (Metro Man E Sreedharan) के चुनावी अखाड़े में कूदने से इस बार का चुनाव काफी दिलचस्प हो गया है.
पिनराई विजयन (Pinarayi Vijayan) केरल के मुख्यमंत्री हैं. पिनराई विजयन ने राजनीतिक करियर की शुरूआत स्टूडेंट यूनियन से की थी. छात्र राजनीति के जरिए सीपीआई की छात्र इकाई एसएसफआई में शामिल हो गये. यहां से केरल स्टूडेंट फेडरेशन के सचिव और अध्यक्ष पद से होते हुए वह केरल स्टेट यूथ फेडरेशन के अध्यक्ष तक पहुंचे. साल 1964 में कम्यूनिस्ट पार्टी ज्वाइन की. विजयन 52 सालों से कम्यूनिस्ट पार्टी में सक्रिय हैं. मुख्यमंत्री सीपीएम के नेता और केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन धर्मदम सीट से चुनाव लड़ रहे हैं.
HIGHLIGHTS
- 2016 के चुनावों में वाम दलों ने 43.48 फीसदी वोट शेयर लेते हुए 91 सीटें जीतीं थीं
- 2016 में एलडीएफ के मुख्य विपक्षी गठबंधन यूडीएफ को महज 47 सीटें ही मिलीं थीं