केरल में पांच साल बाद फिर से विधानसबा चुनाव का नगाड़ा बज गया है और 6 अप्रैल को वोटिंग की तारीख तय हो गई है. मौजूदा समय में ये लेफ्ट (Left) का अभेद्य गढ़ है, जिसमें बीजेपी सेंध लगाने की पूरी कोशिश कर रही है. प्रदेश में 140 विधानसभा सीटें हैं और पिनराई विजयन (Pinarayi Vijayan) मुख्यमंत्री हैं. वहीं इस बार यूडीएफ गठबंधन में फूट पड़ने से समीकरण बिल्कुल बदल चुके हैं. जानकार मानते हैं कि इस चुनाव में लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (LDF) की जीत के साथ केरल में सियासत का 40 साल पुराना रिकॉर्ड टूट सकता है. वहीं महीनों पहले से मेहनत कर रहे राहुल गांधी (Rahul Gandhi) राज्य में कांग्रेस की वापसी कराने में सफल हो सकते हैं.
इसके अलावा दक्षिण की राजनीति में अपनी स्थिति मजूबत करने में जुटी बीजेपी को मेट्रोमैन श्रीधरन की मौजूदगी का फायदा मिल सकता है. राज्य में 1980 के बाद से हर पांच साल बाद सत्ता परिवर्तन हुआ है. इतने बदले हालातों में अब सभी की निगाहें इस बार पिनराई विजयन पर टिकी हैं. विजयन (Pinarayi Vijayan) का जन्म 21 मार्च 1944 को हुआ था. उनके माता पिता काफी गरीब थे और इस गरीबी को विजयन ने भी झेला. इसके बाद पेट पालने के लिए विजयन ने एक हैंडलूम वर्कर के तौर पर भी काम किया. इसी दौरान मजदूरों पर होने वाले अत्याचार उन्हें अंदर तक झकझोरते थे. इसके मुकाबले के लिए उन्होंने काम छोड़कर आगे पढ़ाई करने का फैसला किया और गर्वमेंट ब्रेनन कॉलेज में प्रवेश ले लिया.
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राजनीतिक करियर
उन्होंने राजनीतिक करियर की शुरूआत स्टूडेंट यूनियन से की थी. छात्र राजनीति के जरिए सीपीआई की छात्र इकाई एसएसएफआई (SSFI) में शामिल हो गये. यहां से केरल स्टूडेंट फेडरेशन के सचिव और अध्यक्ष पद से होते हुए वह केरल स्टेट यूथ फेडरेशन के अध्यक्ष तक पहुंचे. साल 1964 में कम्यूनिस्ट पार्टी ज्वाइन की. विजयन 52 सालों से कम्यूनिस्ट पार्टी में सक्रिय हैं. वे 2002 से पोलित ब्यूरो के सदस्य हैं. गरीब परिवार से नाता रखने वाले पिनराई विजयन की छवि एक सख्त एक ‘‘टास्कमास्टर’’ की है जिनकी संगठन पर पकड़ अच्छी रही है. दक्षिणी प्रदेश में वे अकेले ऐसे पार्टी नेता हैं जिनका 16 साल तक पार्टी पर पूरा नियंत्रण रहा. उनका यह नियंत्रण पिछले साल तब तक रहा जब तक वह राज्य सचिव के पद पर रहे.
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साल 1996 से 1998 के बीच कुछ समय के लिए राज्य के बिजली मंत्री भी रहे. उस समय दिवंगत ईके नयनार मुख्यमंत्री थे. वे 1970,1977 और 1991 में भी विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं. 1998 से 2015 तक माकपा की स्टेट कमेटी के सचिव रहे. केरल के विधानसभा चुनाव में एलडीएफ ने कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ को शिकस्त देकर सत्ता हासिल की है.
भ्रष्टाचार के आरोप लगे
बिजली मंत्री रहते उन पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे. यह आरोप तीन पनबिजली परियोजनाओं के आधुनिकीरण के लिए एक कनाडाई कंपनी ‘एसएससी-लैवलिन’ को ठेका दिए जाने से संबंधित था. उनके विरोधी उन पर निशाना साधने के लिए इस मुद्दे का इस्तेमाल करते रहे हैं. लेकिन विजयन ने हमेशा इन आरोपों का नकारा है.
HIGHLIGHTS
- स्टूडेंट यूनियन से की थी राजनीति की शुरुआत
- 1964 में कम्यूनिस्ट पार्टी ज्वाइन की
- हैंडलूम वर्कर के तौर पर भी काम किया