5 साल बाद केरल (Keral) एक बार फिर से चुनावी दहलीज पर खड़ा है. चुनाव की बिगुल बज चुका है. सभी दलों की ओर से उम्मीदवारों के नाम भी लगभग-लगभग तय हो गए हैं. इस चुनाव में कांग्रेस ने पूर्व सीएम ओमान चांडी (Oommen Chandy) को पुथुपल्ली सीट से मैदान में उतारा है. पुथुपल्ली में ओमान चांडी (Oommen Chandy) एक अविजित योद्धा हैं. उन्होंने हाल ही में इस विधानसभा सीट से विधायक के रूप में अपने 50 साल पूरे किए हैं. दो बार केरल के मुख्यमंत्री रह चुके ओमान ने एक विधायक के रूप में अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत साल 1970 के विधानसभा चुनावों के बाद की. केरल में बीजेपी का कोई खास अस्तित्व नहीं रहा है. लेकिन 2014 के बाद से पीएम मोदी और अमित शाह की जोड़ी ने केरल पर विशेष फोकस किया है. इस चुनावों में बीजेपी दावा कर रही है कि वो करिश्मा करके दिखाएगी. वहीं कांग्रेस जिस तरह से भारत में सिमटती जा रही है, उससे उसके सामने भी बड़ी चुनौती होगी.
अलाप्पुझा से है पुराना रिश्ता
इस लिहाज से ओमान चांडी (Oommen Chandy) की काफी चर्चा हो रही है. वे दो बार सीएम रह चुके हैं. और इस बार भी कांग्रेस की ओर से सीएम पद के उम्मीदवार हो सकते हैं. राजनीति में महात्मा गांधी को ओमान चांडी अपना आदर्श मानते हैं. सार्वजनिक जीवन में बापू उनके रोल मॉडल हैं. ओमान कहते हैं कि महात्मा गांधी ने हमेशा दिखाया कि उन्होंने जो कहा, उसमें विश्वास किया और उस पर अमल किया. केरल के मुख्यमंत्री ओमान चांडी का जन्म केरल के कोट्टयम जिले में 31 अक्टूबर 1943 को हुआ था. चांडी का परिवार अलाप्पुझा जिले से ताल्लुक रखता है, हालांकि उनके दादाजी बाद में पुथुपल्ली में जाकर बस गए थे.
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छात्र जीवन से राजनीति में आए
ओमान ने एक विधायक के रूप में अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत साल 1970 के विधानसभा चुनावों के बाद की. ओमान चांडी के राजनीतिक करियर में छात्र राजनीति अहम हिस्सा रही है. उन्होंने केरल स्टूडेंट यूनियन के कार्यकर्ता के तौर पर पहली बार राजनीति में कदम रखा था. सेंट जॉर्ज हाई स्कूल में पढ़ाई के दौरान चांडी केरल स्टूडेंट यूनियन से जुड़े थे. वह 1967 से 1969 तक दो साल के लिए स्टूडेंट यूनियन के प्रेसिडेंट रहे. इसके बाद 1979 में उन्हें केरल के यूथ कांग्रेस विंग का प्रेसिडेंट बनाया गया. यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट नेता ओमान चांडी फिलहाल केरल के 21वें मुख्यमंत्री के पद पर हैं.
26 की उम्र में जीता पहला चुनाव
करीब 26 साल की उम्र में चांडी ने पहली बार चुनावी लड़ाई जीती और तब से वो लगातार विधानसभा चुनावों में अपनी जीत दर्ज करा रहे हैं. साल 2011-16 तक मुख्यमंत्री रहे चांडी को वर्तमान मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन और CPI-M के राज्य सचिव कोडियरी बालाकृष्णन के नेतृत्व वाले CPI-M के हमलों का सामना करना पड़ा. विधायक के रूप में 50 साल पूरे करने के साथ ही वह पहले कांग्रेस नेता बन गए हैं, जिन्होंने यह रिकॉर्ड बनाया है. चांडी का मुख्यधारा का राजनीतिक करियर 1970 में ही शुरू हो गया था. उन्हें पहली बार केरल विधानसभा के लिए चुना गया था. इसके बाद 1977, 1980, 1983, 1987, 1991, 1996, 2006 और फिर 2011 में हुए चुनावों में उन्होंने जीत हासिल कर अपनी विधानसभा सदस्यता को कायम रखा.
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50 साल तक पुथुपल्ली से लगाव
अपने लंबे राजनीतिक करियर से जुड़े सवाल के जवाब में उन्होने कहा कि 50 साल तक विधायर कहना उनकी उपलब्धि नहीं है, उन्होने कहा कि वो अपनी पार्टी के कर्जदार हैं जिसने उन्हे 1970 के बाद से सभी चुनाव लड़ने की अनुमति दी. उन्होने ये भी बताया कि पुथुपल्ली में उनके चाहने वालों और मतदाताओं का उन्हे बराबर योगदान मिला, जिन्होंने ये सुनिश्चित किया कि हर बार वो ही चुनाव लड़ें.
2004 में पहली बार CM बनें
चांडी ने केरल में 4 बार मंत्री के तौर पर शपथ ली है. लेकिन मुख्यमंत्री के तौर पर उन्होंने 2004 में पहली बार शपथ ली. उस साल हुए संसदीय चुनावों में कांग्रेस को केरल में एक भी सीट नहीं मिली थी. हार की जिम्मेदारी लेते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री ए के एंटोनी को इस्तीफा देना पड़ा. इसके बाद 30 अगस्त 2004 को ओमान चांडी कांग्रेस विधायक दल के नेता चुने गए. हालांकि, उन्होंने 2006 में हुए विधानसभा चुनावों में हार की वजह से अपने पद से इस्तीफा दे दिया.
HIGHLIGHTS
- ओमान चांडी को कांग्रेस ने पुथुपल्ली से टिकट दिया
- 2 बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं ओमान चांडी
- महात्मा गांधी को आदर्श मानते हैं ओमान चांडी