कोकराझार पूर्व विधानसभा सीट असम (Kokrajhar East Assembly Seat) की महत्वपूर्ण विधानसभा सीट है, इस विधानसभा सीट पर साल 2016 में हुए विधानसभा चुनावों में BOPF ने जीत दर्ज की थी. इस बार कोकराझार पूर्व विधानसभा सीट के परिणाम किस पार्टी के पक्ष में होंगे, यह जनता को तय करना है. न्यूज नेशन टीवी डॉट कॉम (NewsNationTV.com) आपके लिए लाया है असम विधानसभा सीटों के बारे में विस्तृत कवरेज, जिसमें आप विधानसभा सीट पर प्रत्याशियों की सूची, पार्टी प्रचार व अन्य खबरों के साथ-साथ जान सकेंगे यहां के विजेता, उपविजेता, वोट शेयर के बारे में जान सकेंगे.
आपको बता दें कि कोकराझार पूर्व विधानसभा सीट असम के महत्वपूर्ण विधानसभा सीटों में से एक है. साल 2016 में कोकराझार पूर्व विधानसभा सीट पर कुल 84 फीसदी वोटिंग हुई थी. 2016 में बीओपीएफ के उम्मीदवार प्रमिला रानी ब्रह्मा थीं जिन्होंने आईएनडी के प्रतिभा ब्रह्म को 40,091 वोटों से करारी शिकस्त दी थी. इस चुनाव में तीसरे नंबर पर 12,588 वोटों के साथ एआईयूडीएफ रहा.
चुनाव के लिए महत्वपूर्ण तिथियां
पहला चरण (47 सीट)
नोटिस जारी होने की तिथिः 2 मार्च
नामांकन की अंतिम तिथिः 9 मार्च
नामांकन जांचने की तिथिः 10 मार्च
नाम वापस लेने की तिथिः 12 मार्च
वोटिंग की तिथिः 27 मार्च
दूसरा चरण (39 सीट)
नोटिस जारी होने की तिथिः 5 मार्च
नामांकन की अंतिम तिथिः 12 मार्च
नाम वापस लेने की तिथिः17 मार्च
वोटिंग की तिथिः 1 अप्रैल
तीसरा चरण (40 सीट)
नोटिस जारी होने की तिथिः 12 मार्च
नामांकन की अंतिम तिथिः 19 मार्च
नामांकन जांचने की तिथिः 20 मार्च
नाम वापस लेने की तिथिः 22 मार्च
वोटिंग की तिथिः 6 अप्रैल
मौजूदा विधानसभा की स्थिति (प्रदेश/सीटें)
बीजेपी/ 60
एजीपी /14
कांग्रेस/ 26
एआईयूडीएफ/ 13
बीओपीएफ/ 12
अन्य/ 1
क्या है सीटों की स्थिति
असम में विधानसभा की 126 सीटें हैं. साल 2016 के चुनाव में बीजेपी को यहां पहली बार सरकार बनाने का मौका मिला था. सर्वानंद सोनोवाल के नेतृत्व में भगवा पार्टी ने 15 साल से सत्ता में काबिज कांग्रेस सरकार को उखाड़ फेंका था. बीजेपी को 60 सीटों पर जीत मिली थी. वहीं कांग्रेस को 26 सीटें मिली थीं. बीजेपी की सहयोगी असम गण परिषद ने 14 सीटें हासिल की थीं.
चुनावी में हावी रहेंगे ये मुद्दे
बीजेपी ने पहली बार असम में साल 2016 में सरकार बनाई थी. सत्ता में रहने के बाद इस बार जब बीजेपी चुनाव में जाएगी तो उस पर पांच साल के कामों का हिसाब देने का दबाव होगा. ऐसे में प्रदेश के विकास के मुद्दे बीजेपी के लिए ज्यादा अहम होंगे. कांग्रेस क्षेत्रीयता के मुद्दे और एनआरसी को लेकर बीजेपी सरकार को घेरने की कोशिश कर सकती है. संसद में सीएए पास होने के बाद असम में इसका सबसे ज्यादा विरोध किया गया था. इसके अलावा प्रदेश में एनआरसी रजिस्टर में गड़बड़ियों को लेकर भी बीजेपी की सरकार लगातार निशाने पर रही है. ऐसे में इन मुद्दों पर बीजेपी रक्षात्मक मोड में हो सकती है. वहीं कांग्रेस इसका फायदा उठाने की पूरी कोशिश करेगी.
HIGHLIGHTS
- असम में विधानसभा में हैं 126 सीटें
- 2 मार्च से शुरू हो रहे हैं विधानसभा चुनाव
- कोकराझार पूर्व पर बीओपीएफ का कब्जा