साल 2020 बिहार की जनता और यहां के नेताओं के लिए अहम साल हैं. इस साल बिहार में विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election 2020) होने है. ऐसे में सभी राजनीतिक पार्टीयों ने पूरी तरह कमर कस ली हैं. विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता अपनी पार्टी के प्रचार और संगठन को मजबूत करने की कोशिशों में जुटे हुए हैं. ऐसे में देखना होगा कि इस बार बिहार की जनता किसे सत्ता पर बैठाएगी और किसे बाहर का रास्ता दिखाएगी. लेकिन इससे पहले हम मधुबनी विधानसभा सीट (Madhubani Vidhan Sabha constituency) के बारे में जानेंगे.
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2015 के विधानसभा चुनाव में अररिया सीट के नतीजे-
- वोटों की संख्या- 169700
- पुरुष मतदाता- 53.13%
- महिला मतदाता- 46.86%
- वोटर टर्नआउट (Voter turnout)- 53%
- विजेता का नाम- समीर कुमार महासेठ (RJD), कुल वोट 76823 (45.27%)
- उप-विजेता- रामदेव महतो (BJP), कुल वोट 69516 (40.97%)
मधुबनी विधानसभा क्षेत्र से अबतक चुने गए विधायक-
- 1995- राजकुमार महासेठ (जनता दल)
- 2000- रामदेव महतो (बीजेपी)
- 2005-(फरवरी) रामदेव महतो (बीजेपी)
- 2005-(अक्टूबर) रामदेव महतो (बीजेपी)
- 2010- रामदेव महतो (बीजेपी)
- 2015-समीर कुमार महासेठ (जनता दल)
मधुबनी विधानसभा क्षेत्र के बारे में-
मधुबनी जिला में विधानसभा चुनाव हो या फिर लोकसभा चुनाव, आधी आबादी निर्णायक भूमिका निभाती रही है. चुनाव के वोट आंकड़े बताते हैं कि बीते दस साल में महिला वोटर यहां के प्रतिनिधियों के भाग्य विधाता रही हैं. साल 2015 में बिहार विधानसभा के चुनाव में जिले के 10 विधानसभा क्षेत्र में कुल मतदान का प्रतिशत 54.10 फीसदी था. इनमें महिलाओं ने 62.8 प्रतिशत मतदान किया. वहीं पुरुष मतदाताओं ने 46.59 प्रतिशत मतदान किया.
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मधुबनी की खासियत-
मधुबनी भारत के बिहार प्रान्त में दरभंगा प्रमंडल अंतर्गत एक प्रमुख शहर है. दरभंगा एवं मधुबनी को मिथिला संस्कृति का द्विध्रुव माना जाता है. मैथिली और हिंदी यहां की प्रमुख भाषा है. विश्वप्रसिद्ध मिथिला पेंटिंग एवं मखाना के पैदावार की वजह से मधुबनी को विश्वभर में जाना जाता है. इस जिला का गठन 1972 में दरभंगा जिले के विभाजन के उपरांत हुआ था.मधुबनी चित्रकला मिथिलांचल क्षेत्र जैसे बिहार के दरभंगा, मधुबनी एवं नेपाल के कुछ क्षेत्रों की प्रमुख चित्रकला है.
प्रारम्भ में रंगोली के रूप में रहने के बाद यह कला धीरे-धीरे आधुनिक रूप में कपड़ो, दीवारों एवं कागज पर उतर आई है. मिथिला की औरतों द्वारा शुरू की गई इस घरेलू चित्रकला को पुरुषों ने भी अपना लिया है. वर्तमान में मिथिला पेंटिंग के कलाकारों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मधुबनी व मिथिला पेंटिंग के सम्मान को और बढ़ाये जाने को लेकर मधुबनी रेलवे स्टेशन के दीवारों को मिथिला पेंटिंग की कलाकृतियों से सरोबार किया. उनकी ये पहल निःशुल्क अर्थात श्रमदान के रूप में किया गया. श्रमदान स्वरूप किये गए इस अदभुत कलाकृतियों को विदेशी पर्यटकों व सैनानियों द्वारा खूब पसंद किया जा रहा है.
मधुबनी की मुख्य भाषा मैथिली है जो सुनने में मधुर और सरस है. प्राचीन काल में यहां के वनों में मधु (शहद) अधिक पाए जाते थे इसलिए जगह का नाम मधु + वनी से मधुबनी हो गया. कुछ लोगों का मानना है मधुबनी शब्द मधुर + वाणी से विकसित हुआ है.
Source : News Nation Bureau