अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले सेमीफाइनल माने जाने वाले राज्यों के चुनाव परिणाम से बीजेपी को बड़ी संजीवनी मिली है. तेलंगाना को छोड़कर मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में बीजेपी प्रचंड बहुमत की ओर आगे बढ़ रही है. डबल इंजन की सरकार ने हिंदी हाट लैंड के तीनों राज्यों में क्लीन स्वीप कर दी है.मध्य प्रदेश में रिकॉर्ड तोड़ मतदान से सत्ताधारी दल बीजेपी पहले से ही गदगद नजर आ रही थी. रही सही कसर चुनाव नतीजों ने पूरी कर दी. मध्य प्रदेश में बीजेपी 230 में से 160 पर आगे चल रही है. वहीं, राजस्थान की 199 सीटों में से बीजेपी 110 सीटों पर बढ़त बनाए हुए हैं. जबकि छत्तीसगढ़ की 90 सीटों में से 50 से अधिक सीटों पर पार्टी आग है.
एग्जिट पोल और राजनीतिक पंडितों ने छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में कांग्रेस के आने की संभावना जताई थी, लेकिन तीनों राज्यों में बीजेपी की बड़ी जीत ने सभी को चौंका कर रखा दिया है. मध्य प्रदेश में कांग्रेस की आने की जो उम्मीद जताई जा रही थी. वह तो पूरी तरह से धाराशाही हो गई. शिवराज सिंह चौहान की लाडली बहना योजना ने ऐसा रंग दिखाया कि चुनावी विश्लेषक भी हैरान रह गए. आइए एक नजर डालते हैं मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह की महत्वकांक्षी योजना लाडली बहना पर. जो शिवराज और बीजेपी के लिए मास्टरस्ट्रॉक बन गई. चुनाव परिणाम पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि हमें पता था कि हम बहुमत से जीतेंगे, लेकिन लाडली बहनों ने सभी रिकॉर्ड तोड़े.
भाजपा की मास्टर स्ट्रोक बनी लाडली बहना योजना
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश सरकार की लाडली बहना योजना ने सीएम शिवराज के लिए मास्टर स्ट्रोक का काम किया. इस योजना में सरकार की ओर से राज्य के करीब एक करोड़ 31 लाख महिलाओं को हर महीने 1250 रुपए दिए गए, जो सीधा उनके खाते तक पहुंचे. बाद में इस योजना में इस संख्या को बढ़ाकर 3 हजार रुपये तक करने की घोषणा भी की गई. ऐसा माना जा रहा है कि, सरकार के इसी फैसले ने राज्य की महिलाओं को शिवराज सरकार के पक्ष में बढ़-चढ़कर मतदान करवाया. न सिर्फ इतना, बल्कि उन्होंने अपने घरों में भाजपा समर्थन एक ऐसा माहौल बनाया, जिसके तहत उनके घरों में भी पार्टी को खूब वोट मिले. कहा जा रहा है कि, शिवराज के इस अकेले फैक्टर ने राज्य में जबरदस्त बढ़त हासिल कराई. इसके अतिरिक्त, प्रदेश सरकार की ओर से शुरू की गई तीर्थदर्शन, लाडली लक्ष्मी, कन्यादान योजना. आयुष्मान योजना और अधिकतर में डायरेक्ट बैंक ट्रांसफर का प्रभावी असर वोटिंग पर पड़ा, जो भाजपा के लिए काफी ज्यादा लाभदायक साबित हुई.
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केंद्र और राज्य सरकार की योजना को वोट में बदला
मध्य प्रदेश में भाजपा की जबरदस्त जीत में केंद्र और राज्य की योजनाओं का बड़ा योगदान रहा. केंद्र की उज्ज्वला योजना , मातृत्व वन्दना योजना , मूफ्त राशन, प्रधानमंत्री आवास से लेकर आयुष्मान भारत योजना के तहत मुफ्त इलाज जैसी तमाम योजनाएं भी बीजेपी के पक्ष में जबरदस्त हवा चलाई. इसके अलावा मुख्यमंत्री लाडली बहना योजना, लाडली लक्ष्मी योजना, मुख्यमंत्री तीर्थदर्शन योजना समेत अन्य योजनाएं जीत के लिए काफी ज्यादा लाभदायक रही.
धार्मिक मुद्दों पर वोटरों को लुभाया
मध्य प्रदेश में चुनावी मुनाफे के लिए पार्टी ने धर्म और सनातन मुद्दों को भी जमकर भुनाया. प्रदेश में धार्मिक स्थलों का कायाकल्प कर पार्टी ने हिंदू वोट साधे. इसी के मद्देनजर बीते साल 2022 में 11 अक्टूबर को पीएम नरेंद्र मोदी ने महाकाल कॉरिडोर के फेज 1 का लोकार्पण किया था, जिसके बाद शिवराज सिंह चौहान ने महाकाल कोरिडोर के फेस 2 का लोकार्पण किया. यहां आने वाले लाखों लोगों के अंतर्मन तक भाजपा ने अपनी छाप छोड़ दी. इसके साथ ही प्रदेश के सीहोर जिले के सलकनपुर में विजयासन देवी धाम को भी नया स्वरूप दिया. सीएम शिवराज के मुताबिक ही, इसे हूबहू महाकाल लोक की तर्ज पर तैयार किया गया, जिससे भाजपा प्रदेश की जनता को लुभाने में साकार रही. भाजपा ने उनके राम मंदिर के होर्डिंग लगाने की शिकायत पर भी हिंदू विरोधी माहौल बनाया, जिसके माध्यम से भाजपा रणनीतिक तौर पर बड़ी संख्या में वोटरों को लुभाने में सफल नजर आ रही है.
आदिवासी वोटरों को लुभाया
भाजपा ने प्रदेश में आदिवासी वोटरों को भी पेसा एक्ट जैसे तमाम योजनाओं के माध्यम से साधा. साथ ही भोपाल में आदिवासी दिवस कार्यक्रम का शुभारंभ भी किया. वहीं पीएम ने शहडोल में आदिवासी वर्ग के साथ कार्यक्रम में हिस्सा भी लिया. इसके अतिरिक्त पीएम द्वारा मध्य प्रदेश के सागर में संत रविदास मंदिर की आधारशीला रखी, जिसके माध्यम से राज्य के आदिवासी वर्ग को लुभाने की कोशिश की.
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सही रणनीति बनी सफलता का मंत्र
मध्य प्रदेश में चुनावी सफलता हासिल करने की कोशिश में उनकी रणनीतिक सटीकता काफी ज्यादा कारगर रही. पार्टी ने प्रदेश में अपने चुनावी प्रबंधन को कमजोर नहीं पड़ने दिया और खुद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इसकी बागडोर संभाली. तमाम बैठकें, रैलियां और प्रचार-प्रसार के बीच हर संभव प्रयास नाराज और असंतुष्ट वोटोरों को लुभाने का अथक प्रयास किया गया.
Source : प्रशांत झा