बीजेपी और शिवसेना दोनों के बीच पहले से मतभेद हैं और ये जरूरी नहीं कि दोनों दल हर मुद्दे पर सहमत हों क्योंकि ये दोनों अलग दल है. यह कहना है शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के बेटे और ठाकरे परिवार की ओर से पहली बार चुनाव लड़ने वाले आदित्य ठाकरे का. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक आदित्य ठाकरे ने कहा, शिवसेना और बीजेपी के बीच मतभेद नए नहीं हैं. हमारी विचारधारा एक जैसी है लेकिन हमारे नजरिए अलग हैं.हमारे पास भी मतभेद रहे हैं लेकिन उन पर ध्यान नहीं दिया गया क्योंकि हम विपक्ष में हैं.
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आदित्य ठाकरे ने आगे कहा, हमने महसूस किया है कि लोग इस बार दोनों को सत्ता में चाहते हैं. उन्होंने कहा, इस बार मोलभाव आसान रहा और अहम बात ये है कि इससे हमारी प्रतिबद्धता का पता चलता है और एक दोस्त के तौर पर हमारी वफादारी का पता चलता है. हम मंत्रालय या कुछ सीटों के लिए स्वार्थी नहीं बनेंगे. इसी के साथ उन्होंने ये भी कहा कि वो फिलहाल मुख्यमंत्री के पद पर ध्यान नहीं दे रहे क्योंकि वो दूसरों की तरह जल्दबाजी नहीं करूंगा.
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वर्ली से क्यों उतरे चुनावी मैदान में
चुनाव के लिए वर्ली को चुनने का कारण बताते हुए आदित्य ठाकरे ने कहा, वर्ली काफी जटिल है जहां एक तरफ ऊंची-ऊंची इमारते हैं तो दूसरी तरफ टॉल औऱ स्लम हैं. मैं पांच सालों में यहां बदलाव दिखाना चाहता हूं. बता दें कि आदित्य ठाकरे वर्ली सीट से महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में लड़ेगे. माना जाता है कि वर्ली की सीट पर शिवसेना के लिए एक महफूज सीट है. राकांपा नेता सचिन अहीर को शिवसेना में शामिल करना इसी योजना का हिस्सा था. सचिन वर्ली (मुंबई) से विधायक रहे थे. उन्होंने बताया कि शिवसेना के राज्यसभा सदस्य संजय राउत ने राकांपा प्रमुख शरद पवार से मिल कर अनुरोध किया था कि वह वर्ली में आदित्य के खिलाफ कोई उम्मीदवार नहीं उतारें.