इस बार का महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा का चुनाव ईको फ्रेंडली होने जा रहा है. चुनाव आयोग (Election Commission) ने ईको फ्रेंडली चुनाव का आह्वान करते हुए प्लास्टिक का इस्तेमाल न करने की अपील की है. दरअसल, मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने तारीखों का ऐलान करते हुए बताया कि महाराष्ट में 288 सीटों के लिए चुनाव होंगे तो हरियाणा में 90 सीटों के लिए. महाराष्ट्र में इस बार 8.9 करोड़ वोटर हैं, वहीं हरियाणा में एक करोड़ 24 लाख वोटर हैं. महाराष्ट्र में 1.8 लाख ईवीएम का इस्तेमाल होगा.
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हरियाणा में 2 नवंबर और महाराष्ट्र में 9 नवंबर को वर्तमान विधानसभा का कार्यकाल खत्म हो रहा है. चुनाव आयोग के मुताबिक महाराष्ट्र और हरियाणा में 21 अक्तूबर को चुनाव होंगे और 24 को काउंटिंग होगी.
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चुनावी खर्चों पर भी होगी निगरानी
सुनील अरोड़ा ने कहा, चुनावी खर्चे पर निगरानी रखी जाएगी. उम्मीदवारों को 30 दिन में खर्च का हिसाब देना होगा. क्रिमिनल रिकॉर्ड की भी जानकारी देनी होगी. सुनील अरोड़ा ने कहा, महाराष्ट्र के गढ़चिरौली और गोंदिया में एलडब्ल्यूई प्रभावित क्षेत्रों के लिए विशेष सुरक्षा व्यवस्था की जाएगी.
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2 अक्टूबर, 2019 को बैन होने जा रहा है सिंगल-यूज प्लास्टिक
2 अक्टूबर, 2019 को महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) की 100वीं जयंती (100th Birth Anniversary Of Mahatma Gandhi) के दिन देशभर में सिंगल-यूज प्लास्टिक बैन (Single Use Plastic) होने जा रहा है. यानी सिंगल-यूज प्लास्टिक से बनने वाले 6 प्रोडक्ट्स- प्लास्टिक बैग (Plastic) , स्ट्रॉ, कप्स, प्लेट, बोतल और शीट्स बंद होने जा रही हैं. बता दें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने साल 2022 तक भारत को सिंगल-यूज प्लास्टिक (Single Use Plastic) से फ्री करने का लक्ष्य रखा है. उन्होंने इस साल लाल किले से अपने भाषण में देशवासियों से सिंगल-यूज प्लास्टिक(Single Use Plastic) के इस्तेमाल को बंद करने की अपील कर चुके हैं.
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पीएम मोदी के इस सपने को पूरा करने के लिए मंत्रालय भी पूरा जोर लगा रहे हैं. सभी मंत्रालयों ने हाल ही में बैठक बुलाकर तय तय किया है कि सभी सरकारी विभाग और संस्थाएं 11 सितंबर से एक अभियान लॉन्च करके सिंगल यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल पर रोक लगाएंगी.
क्या है सिंगल-यूज प्लास्टिक
ऐसा प्लास्टिक जिसका इस्तेमाल हम सिर्फ एक बार करते हैं और फिर वह डस्टबिन में चला जाता है. यानी इस्तेमाल करने के बाद फेंक दी जाने वाली प्लास्टिक ही सिंगल-यूज प्लास्टिक कहलाता है. इसे हम डिस्पोजेबल प्लास्टिक भी कहते हैं. हालांकि, इसकी रीसाइक्लिंग की जा सकती है. इसका इस्तेमाल हम अपने रोजमर्रा के काम में करते हैं, जैसे- प्लास्टिक बैग, प्लास्टिक की बोतलें, स्ट्रॉ, कप, प्लेट्स, फूड पैकजिंग में इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक, गिफ्ट रैपर्स और कॉफी की डिस्पोजेबल कप्स आदि.
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क्यों होने जा रहा है बैन
जलवायु परिवर्तन (climate change) और ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) के कारण खराब होते पर्यावरण दुनिया के लिए इस समय सबसे बड़ी चिंता है. ऐसे में प्लास्टिक से पैदा होने वाले प्रदूषण को रोकना और प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट एक बड़ी समस्या बनकर उभरी है. कई लाख टन प्लास्टिक हर साल प्रोड्यूस हो रहा है, जो कि बायोडिग्रेडेबल नहीं है. इसे ऐसे समझें कि यह मिट्टी में नहीं घुलता-मिलता है. इसलिए दुनिया भर के देश सिंगल-यूज प्लास्टिक के उपयोग को समाप्त करने के लिए कठोर रणनीति बना रहे हैं.