महाराष्ट्र में इस वक्त सियासी घमासान अपने चरम पर है. एक तरफ जहां शिवसेना अपने 50-50 फॉर्मूले पर सरकार बनाने की अपनी शर्त पर अड़ी हुई है तो बीजेपी ने भी अपना रुख साफ कर दिया है कि राज्य में 50-50 फॉर्मूले पर कोई सरकार नहीं बनेगी और केवल मुख्यमंत्री फडणवीस ही अगले 5 सालों के लिए सीएम पद संभालेंगे. दोनों पार्टियों में इसे लेकर काफी बातचीत हुई लेकिन अब तक इसका कोई हल निकलता नहीं दिख रहा है. वहीं दूसरी तरफ दोनों पार्टियों की ही नजर एनसीपी पर है और सरकार बनाने के लिए किसी भी तरह एनसीपी को अपने पाले में करना चाहती है. लेकिन हाल ही में एनसीपी ने भी कह दिया था कि वो विपक्ष में ही बैठना चाहती है. ऐसे में बीजेपी-शिवसेना दोनों के लिए परेशानी बढ़ती जा रही है. हालांकि गुरुवार को खबर ये आई थी कि संजय राउत ने एनसीपी चीफ शरद पवार से मुलाकात की है लेकिन क्या एनसीपी शिवसेना के साथ आने के लिए राजी हो जाएगी या नहीं इस बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता.
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महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए 145 सीटों की जरूरत है. विधानसभा चुानवों में बीजेपी ने 105 और शिवसेना ने 56 सीटों पर जीत हासिल की. यानी दोनों पार्टियों के गठबंधन ने आराम से बहुमत के आंकड़े को पार कर लिया था. लेकिन 50-50 फॉर्मूले के बाद अब स्थिति कुछ और नजर आ रही है. इस बार एनसीपी ने 54 सीटों पर और कांग्रेस ने 44सीटों पर जीत हासिल की है. अगर कांग्रेस और एनसीपी का गठबंधन शिवसेना का साथ देने के लिए राजी हो जाती है तो शिवसेना आराम से सरकार बनाने का दावा पेश कर सकेगी. ऐसे में अब सारी चीजें कांग्रेस-एनसीपी के फैसले पर टिकी हुई हैं.
अगर नहीं हुआ कोई फैसला तो लग सकता है राष्ट्रपति शासन
महाराष्ट्र में फिलहाल जो सियासी समीकरण देखने को मिल रहे हैं उसके मुताबिक अगर एनसीपी-कांग्रेस विपक्ष में बैठने के अपने फैसले पर कायम रहती है तो शिवसेना को बीजेपी के साथ ही गठबंधन में रहकर सरकार बनानी होगी. लेकिन अगर बीजेपी और शिवसेना भी 50-50 फॉर्मूले को लेकर अपने-अपने रुख पर कायम रहती है तो फिर यहां राष्ट्रपति शासन लग सकता है क्योंकि किसी के पास भी सरकार बनाने के लिए बहुमत नहीं होगा.
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हालांकि इस बीच बताया जा रहा है कि संजय राउत और शरद पवार की मुलाकात महाराष्ट्र की राजनीति को नई दिशा दे सकती है. महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए शिवसेना से चल रही खींचतान के बीच बीजेपी के राज्यसभा सांसद संजय काकड़े ने दावा किया था कि शिवसेना के 45 विधायक उनके संपर्क में हैं. बीजेपी सांसद संजय काकड़े के इस बयान से राजनीतिक हलकों में खलबली मच गई. हालांकि कुछ जानकार इसे बीजेपी की ओर से प्रेशर पॉलिटिक्स करार दे रहे हैं. इस बार शिवसेना के 56 विधायक चुनकर आए हैं.
बीजेपी के राज्यसभा सांसद संजय काकड़े ने दावा किया था कि शिवसेना के 56 में से 45 विधायक बीजेपी के साथ सरकार बनाने को इच्छुक हैं और वे लगातार फोन कर रहे हैं. उनका कहना है कि उन्हें भी सरकार में शामिल किया जाए. संजय काकड़े ने कहा, शिवसेना के अब्दुल सत्तार विपक्ष में बैठने की बात कर रहे हैं. वो कांग्रेस से शिवसेना में आए हैं, इसलिए उन्हें विपक्ष में बैठने की आदत हो गई है. आज के समय में शिवसेना के सभी मंत्रियों को सरकार में रहने की आदत बन गई है.