पश्चिम बंगाल (West Bengal) की हाईप्रोफाइल नंदीग्राम (Nandigram) सीट पर सूबे की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) और उनके राजनीतिक दोस्त से दुश्मन बने बीजेपी प्रत्याशी शुवेंदु अधिकारी (Suvendu Adhikari) के भाग्य का फैसला आज हो जाएगा. यह अलग बात है कि अगर नंदीग्राम में ही दीदी के हावभाव और बयानों को देखें तो प्रतीत होता है कि ममता बनर्जी कहीं न कहीं यह मान चुकी हैं कि इस बार मुकाबला बेहद करीबी होने जा रहा है. गौरतलब है कि होली के दिन नंदीग्राम में भीड़ नहीं जुट पाने से ममता बनर्जी को अपनी सभा के लिए घंटों इंतजार करना पड़ा था. उसके पहले दीदी की सभी विपक्षी पार्टियों के साथ आने की अपील के निहितार्थ तलाशने शुरू किए जा चुके हैं. एक कयास यह भी लग रहा है कि दीदी की इस अपील से साफ है कि बीजेपी उन पर भारी पड़ रही है. ऐसे में अगर बंगाल से टीएमसी सरकार जाती है, तो कहीं न कहीं इसके लिए कांग्रेस (Congress) और वामदलों (Left) को ही जिम्मेदार ठहराया जाएगा.
कांग्रेस-वामदल गठबंधन लगा रहा टीएमसी के वोटबैंक में सेंध
राजनीतिक विश्लेषक मान रहे हैं कि कांग्रेस और वामदल के अलग गठबंधन ने ममता के वोट बैंक में ही सेंध लग रही है. यहां यह नहीं भूलना चाहिए कि पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने टीएमसी की अपील को खारिज करते हुए वामदलों के साथ मिलकर फुरफुरा शरीफ के पीरजादा अब्बास सिद्दीकी की पार्टी आईएसएफ के साथ गठबंधन किया. कांग्रेस को उम्मीद है कि इस बार के चुनाव में मुस्लिम वोट उसके खाते में जा सकते हैं. हालांकि असदुद्दीन ओवैसी के चुनाव मैदान में कूदने के बाद मुस्लिम वोट किस तरफ जाएंगे, ये कह पाना बेहद मुश्किल हो गया है. ऐसे में कुल मिलाकर इन सभी से सबसे ज्यादा नुकसान टीएमसी का ही होने वाला है. ऐसे में पश्चिम बंगाल में चुनाव रणनीति को लेकर कांग्रेस में बहस छिड़ गई है.
कांग्रेस में कुछ चाहते हैं टीएमसी से जुड़ाव
पार्टी के अंदर से ऐसी खबरें आ रही हैं कि कई लोग चाहते हैं कि पार्टी को ममता का आग्रह स्वीकार कर लेना चाहिए. पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि कांग्रेस जब तमिलनाडु में डीएमके के साथ 25 सीट पर चुनाव लड़ सकती हैं, तो पश्चिम बंगाल चुनाव में भी टीएमसी का साथ देने के लिए इस तरह का फैसला लिया जा सकता है. गौरतलब है कि साल 2011 के चुनाव में कांग्रेस और टीएमसी के बीच गठबंधन था. इस चुनाव में 66 सीट पर कांग्रेस ने चुनाव लड़कर 42 पर जीत हासिल की थी. इसके बाद साल 2016 में कांग्रेस ने वामदल के साथ गठबंधन किया. इस चुनाव में कांग्रेस ने 92 सीट पर चुनाव लड़ा और 44 पर जीत हासिल की. इस बार के चुनाव में भी कांग्रेस और वामदल का गठबंधन है. पार्टी के नेता कह रहे हैं कि इस बार के चुनाव में हम वही काम कर रहे हैं जो बिहार में असदुद्दीन ओवैसी ने किया था, जिसका सीधा फायदा बीजेपी को हुआ था. अगर चुनाव में ममता की हार वोट के बंटवारे के कारण होती है तो हमारे ऊपर भी ओवैसी जैसे ही आरोप लगेंगे.
HIGHLIGHTS
- ममता बनर्जी की सभी विपक्षी पार्टियों से साथ आने की अपील
- कांग्रेस औऱ वामदल से टीएमसी को वोटबैंक में सेंध का खतरा
- राजनीतिक पंडित इसे टीएमसी की हताशा के संकेत मान रहे