पूर्वोत्तर के आखिरी राज्य में सत्ता पर काबिज कांग्रेस का वहां से सूपड़ा साफ हो गया है. मिजोरम विधानसभा चुनाव 2018 में कांग्रेस के हारने के बाद अब पूरे पूर्वोत्तर से कांग्रेस की सत्ता खत्म हो गई है. मिजोरम उसका आखिरी गढ़ था जिसे एमएऩएफ ने छीन लिया है. अब तक मुख्य विपक्षी दल रहे मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) को वहां की जनता ने पूर्ण बहुमत दिया है. मिजोरम में एमएनएफ को 26 सीटें इस विधानसभा चुनाव में मिली है जबकि कांग्रेस को 5, बीजेपी को 1 और निर्दलीय उम्मीदवारों को 8 सीटें मिली है. मिजोरम में विधानसभा की कुल 40 सीटें थी जिसमें सरकार बनाने के लिए 21 सीटों की जरूरत थी. मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) को बहुमत से 5 सीटें अधिक मिली है.
मीजो नेशनल फ्रंट(एमएनएफ) ने मंगलवार को एक दशक बाद यहां सत्ता में वापसी की है. इसके साथ ही कांग्रेस पूर्वोत्तर में अपना अंतिम गढ़ भी हार गई. 2013 विधानसभा चुनाव में केवल पांच सीटें प्राप्त करने वाले एमएनएफ ने 21 सीटे जीत ली हैं और पांच पर बढ़त बनाए हुए है, जबकि सत्तारूढ़ कांग्रेस यहां केवल पांच सीटों पर ही जीत दर्ज कर सकी है.
भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) ने यहां तुइचावंग सीट पर जीत दर्ज कर राज्य में अपना खाता खोला है.
मुख्यमंत्री लल थनहावला को चंपई दक्षिण और सेरछिप दोनों विधानसभा सीटों पर हार का सामना करना पड़ा है. उन्हें यहां क्रमश: एमएनएफ के टी.जे. लालनुन्टुआंगा और जोराम पीपुल्स मूवमेंट(जेडपीएम) के अध्यक्ष लालदुहोमा से हार का सामना करना पड़ा.
एमएनएफ प्रमुख और मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार जोरामथांगा आइजोल पूर्व-1 से पांचवी बार चुने गए. उन्होंने यहां निर्दलीय उम्मीदवार के. सेपदांगा को हराया.
कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे और 28 नवंबर को होने वाले चुनाव से ठीक पहले भाजपा में शामिल हुए बुद्धा धन चकमा ने चकमा जनजातीय बहुल तुइचवांग सीट पर एमएनएफ के अपने प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार को 1,594 मतों से हराया.
पांच निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की है और तीन अन्य बढ़त बनाए हुए हैं.
पूर्व आईपीएस अधिकारी और जोराम पीपुल्स मूवमेंट(जेडपीएम) प्रमुख लालदुहोमा ने मुख्यमंत्री थनहावला को सेरछिप में 410 मतों से हराया. लालदुहोमा ने दो वर्ष पहले जेपीएम का गठन करने के लिए कांग्रेस छोड़ दी थी.
प्रसिद्ध आइजोल फुटबॉल क्लब(आइजोल एफसी) के मालिक राबर्ट रोमाविया रोयटे ने भी जीत हासिल की है. वह एमएनएफ के टिकट पर आइजोल ईस्ट-2 सीट से चुनाव लड़ रहे थे.
भाजपा ने पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों में खुद के दम या अन्य पार्टियों के सहयोग से सरकार गठन के बाद कांग्रेस को मिजोरम से उखाड़ फेंकने के लिए काफी जोर लगाया था.
भाजपा नीत नार्थ इस्ट डेमोक्रेटिक गठबंधन(एनईडीए) के घटक दल रहे एमएनएफ ने 10 वर्षो(1998-2003 और 2003-2008) तक मिजोरम में राज किया था.
हालांकि इस बार भाजपा और एमएनएफ ने क्रमश: 40 और 39 सीटों पर अपने-अपने उम्मीदवार खड़े किए थे.
Source : News Nation Bureau