कमलनाथ मध्य प्रदेश के सीएम बनने के बाद तीन बड़े पदों पर नई नियुक्ति की है. उन्होंने राजेन्द्र तिवारी को एमपी का महाधिवक्ता और अजय गुप्ता को अतिरिक्त महाधिवक्ता बनाया है. इसके अलावा शशांक शेखर भी अतिरक्त महाधिवक्ता बनाए गए हैं. बता दें मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ (Kamal nath) अब अपनी नई टीम गठित करने की तैयारी में हैं.कमलनाथ को यह तमाम फैसले 29 दिसंबर तक ही लेने होंगे.क्योंकि इसके तुरंत बाद मतदाता पुनरीक्षण का काम शुरू हो रहा है और उसके बाद आला अफसरों को चुनाव आयोग की मंजूरी के बिना नहीं हटाया जा सकेगा. इस बात की बहुत उम्मीद है कि अगले 24 से 48 घंटों में मध्य प्रदेश में बड़ा प्रशासनिक (major administrative shuffle) फेरबदल देखने को मिल सकता है. तो वहीं सूबे के प्रशासनिक मुखिया यानि मुख्य सचिव (Chief Seceratory of Madhya pradesh) के लिए भी कमलनाथ किसी सीनियर अफसर का नाम तय कर सकते हैं.
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मंगलवार को एक बड़ी प्रशासनिक सर्जरी देखने को मिल सकती है.भोपाल और इंदौर के कलेक्टर को भी बदला जा सकता है और पूरे मध्य प्रदेश से करीब 25 आईएस अधिकारियों का तबादला किया जा सकता है. इनमें कुछ ऐसे अधिकारी भी शामिल हैं जिन पर चुनाव के दौरान बीजेपी की मदद करने के आरोप कांग्रेस ने ही लगाए थे.
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मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री का पद संभालते ही कमलनाथ जबरदस्त एक्शन मोड में दिख रहे हैं. शपथ ग्रहण करने के महज डेढ़ घंटे में पूरे सूबे के किसानों की कर्ज माफी का बड़ा फैसला लिया गया तो वहीं कन्या विवाह योजना की सहायता राशि भी दोगुनी से ज्यादा बढ़ा दी गई.अब कन्या विवाह योजना में ₹51000 सरकार की तरफ से दिए जाएंगे. इतना ही नहीं मध्य प्रदेश के उद्योगों में 70 फ़ीसदी स्थानीय युवाओं को रोजगार देने का प्रावधान और चार बड़े गारमेंट क्लस्टर बनाने जैसे ऐलान यह दिखाते हैं कि सीएम कमलनाथ पहले दिन से ही ताबड़तोड़ फैसले ले रहे हैं.
Kamal Nath on 1984 Anti-Sikh riots: I took oath in 1991 & several times after that, no one said anything. There is no case,FIR,or chargesheet against me. Today they are raking up this matter. You can understand politics behind this. Did eyewitness tell you(about his involvement)? pic.twitter.com/506LqcBD4I
— ANI (@ANI) December 17, 2018
सोमवार को कमलनाथ ने आला अफसरों के साथ बैठक करके उन्हें नजरिया बदलने का नसीहत दे डाली. यह भी कहा कि भ्रष्टाचार और फिजूलखर्ची जैसे मुद्दे उनकी प्राथमिकता में हैं और अफसरों को इन पर काम करना ही होगा. कमलनाथ ने यह भी कहा कि वह ना नहीं सुनना चाहेंगे.
Source : NEERAJ SRIVASTAV