पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) की की इतिश्री यानी परिणाम कुछ ही देर में आने शुरू हो जाएंगे. हालांकि सभी की निगाहें बंगाल (West Bengal) पर हैं. खासतौर पर नंदीग्राम सीट पर, जहां टीएमसी नेता ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) के खिलाफ उनके ही पूर्व सहयोगी सुवेंदु अधिकारी (Suvendu Adhikari) बीजेपी प्रत्याशी बतौर चुनावी मैदान में हैं. 1 अप्रैल को नंदीग्राम में वोटिंग हुई थी और 88 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया था. 2016 के मुकाबले नंदीग्राम में एक प्रतिशत ज्यादा वोटिंग हुई है और पिछली बार अधिकारी ने टीएमसी के टिकट पर इस सीट से जीत हासिल की थी.
नंदीग्राम का रण
2009 के उपचुनाव में टीएमसी ने लेफ्ट से इस सीट को छीना था और 2011 और 2016 में इस पर कब्जा बनाए रखा. सिंगुर और नंदीग्राम की लड़ाई के दम पर ममता बनर्जी बंगाल से लेफ्ट के शासन को उखाड़ फेंकने में सफल रही हैं. 2009 के उपचुनाव में टीएमसी की फिरोजा बीबी ने नंदीग्राम में 93,022 वोट हासिल करते हुए जीत हासिल की थी, जबकि बीजेपी के बीजन कुमार दास को सिर्फ 9,813 वोट मिले थे. सीपीआई के विधायक मुहम्मद इलियास के भ्रष्टाचार से जुड़े एक स्टिंग ऑपरेशन में फंसने के बाद इस सीट पर चुनाव हुए थे.
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पेंचदार है प्रतिष्ठित सीट
2011 के विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी ने लेफ्ट को मात देते हुए 34 साल के वामपंथी शासन को उखाड़ फेंका. टीएमसी की फिरोजा बीबी ने 61.21 फीसदी वोट हासिल कर नंदीग्राम में अपना कब्जा बनाए रखा. बीजेपी के दास को सिर्फ 1.72 प्रतिशत वोट मिले. 2014 के लोकसभा चुनावों में टीएमसी के उम्मीदवार सुवेंदु अधिकारी ने बीजेपी के बादशाह आलम को तामलुक सीट से बड़े मतों के अंतर से हराया. नंदीग्राम, तामलुक सीट के अंतर्गत आता है. अधिकारी को 53.60 प्रतिशत वोट मिले तो आलम को महज 6.40 प्रतिशत वोट हासिल हुए.
सुवेंदू का सियासी सफलता
दो साल 2016 के विधानसभा चुनाव में सुवेंदु अधिकारी 67.20 प्रतिशत वोट के साथ विजयी हुए और बीजेपी के दास सिर्फ 10,713 (5.40 प्रतिशत) वोट मिले. हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव में स्थितियां बदल गईं. बीजेपी ने बंगाल में 18 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की. टीएमसी ने सुवेंदु अधिकारी के भाई दिव्येंदु अधिकारी को चुनाव मैदान में उतारा, जिन्होंने बीजेपी के सिद्धार्थ नास्कर को तामलुक से चुनावी मात दी. दिब्येंदु को 190,165 वोटों से जीत मिली और टीएमसी को कुल 50.08 फीसदी वोट हासिल हुए, जबकि बीजेपी को 36.44 फीसदी वोट मिले.
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नंदीग्राम के समीकरण
हालांकि 2021 की लड़ाई अलग है. टीएमसी का नंदीग्राम में पिछला प्रदर्शन शानदार रहा है और ममता बनर्जी के चुनावी मैदान में उतरने के बाद समीकरण बदल गए हैं. बीजेपी की ओर से सुवेंदु अधिकारी चुनावी मैदान में हैं, जिनका परिवार पूर्वी मिदनापुर में काफी पकड़ रखता है. विशेषज्ञों के मुताबिक नंदीग्राम में बीजेपी को हिंदू वोटरों से बड़ी उम्मीद है, तो टीएमसी 30 फीसदी मुस्लिम वोटरों से आस लगाए हुए है. 2011 की जनगणना के मुताबिक नंदीग्राम के ब्लॉक 1 में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 34.04 प्रतिशत है, जबकि ब्लॉक 2 में मुस्लिम मतदाताओं की आबादी 2 फीसदी है.
सबके अपने-अपने दावे
टीएमसी के सांसद सौगत रॉय का कहना है कि नंदीग्राम के वोटर ममता बनर्जी को वोट करेंगे और विभाजनकारी राजनीति की बात करने वालों को मुंह की खानी पड़ेगी. उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सालों में टीएमसी के इंचार्ज के रूप में सुवेंदु अधिकारी कुछ खास नहीं कर पाए और उनके इलाकों में पार्टी का प्रदर्शन गिरा है. सुवेंदु के नाम पर माहौल बनाया जा रहा है.
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दावे-प्रतिदावे बीजेपी
तामलुक के बीजेपी प्रेसिडेंट नबारुण नायक सौगत रॉय के दावों का खारिज करते हैं कि नंदीग्राम में बीजेपी जीत का परचम लहराएगी. 2016 के विधानसभा चुनाव में टीएमसी को जिले की 13 विधानसभा सीटों पर जीत मिली थी, तीन सीटें लेफ्ट के हिस्से में गई थीं. नबारुण नायक कहते हैं कि 'पूर्वी मिदनापुर में लोगों की पसंद बीजेपी है, पार्टी जिले की सीटों पर क्लीन स्वीप कर रही है. हम सभी सीटों पर जीत हासिल करेंगे. टीएमसी का वक्त पूरा हो गया है. 2 मई की मतगणना का इंतजार कीजिए.'
HIGHLIGHTS
- बंगाल में नंदीग्राम पर हैं सभी की निगाहें
- 1 अप्रैल को 88 फीसदी मतदान हुआ
- सुवेंदु अधिकारी हैं ममता बनर्जी के सामने