भारतीय राजनेता कैप्टन अमरिंदर सिंह (captain amarinder singh) पंजाब सरकार के मुख्यमंत्री रहे हैं. वे एक राजघराने से आते हैं और भारतीय आर्मी में बतौर कमीशंड ऑफिसर अपनी सेवाएं दे चुके हैं. वे दो बार पंजाब के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. इसके साथ ही अमृतसर से सांसद भी रह चुके हैं. अब, पंजाब विधानसभा चुनाव के नतीजे 10 मार्च को आने वाले हैं और नतीजे आने से ठीक पहले राज्य में राजनीतिक हलचल शुरू हो गई है. पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और पंजाब लोक कांग्रेस के मुखिया अमरिंदर सिंह (Amarinder Singh) ने गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) से मुलाकात भी की है. अमरिंदर सिंह ने कहा है दावा किया कि बीजेपी (BJP) की अगुवाई वाले गठबंधन ने पंजाब में अच्छा परफॉर्म किया है. जिसके बाद कॉन्ग्रेस के लिए अमरिंदर ने चुनौतियां खड़ी कर दी हैं. साल 2014 के लोकसभा चुनावों में वे अमृतसर सीट से चुनाव जीते थे. आइए उनके अब तक के राजनीतिक और नीजि सफर पर एक नजर डालते हैं.
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अमरिंदर सिंह का राजनीतिक करियर
साल 1998 में जब कैप्टन अमरिंदर सिंह की कांग्रेस में एंट्री हुई तो, पंजाब में पूर्व सीएम राजिंदर कौर भट्ठल और शमशेर सिंह दूलो का दबदबा था. इसके लिए सबसे पहले कैप्टन ने दोनों को पंजाब की सियासत से खत्म किया. उसके बाद साल 2002 में कांग्रेस ने कैप्टन के नेतृत्व में प्रचंड जीत हासिल की और पांच साल सरकार चलाई. पहले, उन्होंने साल 2002 से 2007 तक पंजाब के मुख्यमंत्री के रूप में काम किया था. साल 2007 के बाद मोहिंदर सिंह केपी प्रधान बने तो कैप्टन ने उनको भी फेल कर दिया और संगठन में अपना दबदबा कायम रखा.
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प्रताप बाजवा हों या शमशेर सिंह (amrinder singh political career) दूलो या राजिंदर कौर भट्ठल या फिर केपी, कैप्टन ने किसी विरोधी को सर उठाने का मौका तक नहीं दिया. उन्हें पंजाब विधानसभा में पांच बार सदस्य के रूप में चुना गया, जिसमें तीन बार उन्होंने पटियाला (शहर) का प्रतिनिधित्व किया. वे 1 सितंबर 2014 से 23 नवंबर 2016 तक रक्षा मंत्रालय संबंधी स्थायी समिति और रक्षा मंत्रालय की सलाहकार समिति के सदस्य थे. फिर साल 2017 मार्च से 18 सितंबर 2021 तक वे दूसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री रहे. उन्होंने साल 1980 में पहली बार लोकसभा में सीट जीती थी. साल 2021 में कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पंजाब के मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र (captain amarinder singh resigns) दे दिया.
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अमरिंदर सिंह का पूर्व इतिहास
राजनीति के अलावा, सिंह ने 1963 से 1966 तक भारतीय सेना के लिए काम किया. राष्ट्रीय रक्षा अकादमी और इंडियन मिलिट्री अकैडमी से स्नातक करने के बाद 1963 में वे भारतीय सेना में शामिल हुए और 1965 में इस्तीफा देने तक रहे. पाकिस्तान के साथ जंग छिड़ जाने के बाद वे फिर से भारतीय सेना में शामिल हुए और 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध कप्तान के रूप में अपनी सेवाएं दीं. वे सिख रेजिमेंट (amarinder singh captain news) का हिस्सा थे.
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कैप्टन अमरिंदर सिंह का निजी जीवन
उन्होंने वेलहम बॉयज़ स्कूल और लॉरेंस स्कूल सनवार, द दून स्कूल, देहरादून से अपनी स्कूली शिक्षा की. उनकी पत्नी, प्रणीत कौर साल 2009 से 2014 तक एक सांसद और विदेश मंत्रालय में राज्य मंत्री थी. उनका एक बेटे और एक बेटी हैं. राजनीति में शामिल होने से पहले, वे भारतीय सेना में थे. कैप्टन अमरिंदर सिंह के बारे में अक्सर यह कहा जाता रहा कि वो महाराजा स्टाइल में काम करते हैं. उनसे मिलना (amrinder singh personal life) बहुत मुश्किल है.