पंजाब विधानसभा चुनाव (Punjab Assembly Election 2022) के नतीजे आज जारी हो रहे हैं. आम आदमी पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बन उभर चुकी है. आम आदमी पार्टी को लैंडस्लाइड विक्ट्री मिली है. कांग्रेस को इस चुनाव में जबरदस्त हार झेलनी पड़ी है. चुनावी नतीजों से पहले आए एग्जिट पोल्स ने भी ये बता दिया था कि कांग्रेस की हालत खराब रहेगी, लेकिन कांग्रेस इतनी बुरी तरह से हारेगी, इसका अंदाजा किसी को नहीं था. ऐसे में हम बता रहे हैं कांग्रेस की हार की 5 बड़ी वजहें...
कांग्रेस में अमरिंदर सिंह की बेअदबी
कांग्रेस पार्टी ने पिछले चुनाव में अकाली दल-बीजेपी से सत्ता छीनी थी. कांग्रेस पार्टी को 2017 में कैप्टन अमरिंदर सिंह की अगुवाई में जोरदार जीत मिली थी. कैप्टन के सिर ही जीत का सेहरा बंधा था. उन्होंने 4 साल से ज्यादा समय पंजाब में कांग्रेस की सरकार चलाई और फिर पूरे सीन में एंट्री हुई नवजोत सिंह सिद्धू की. कैप्टन अमरिंदर सिंह को ये भरोसा दिया जाता रहा कि उनकी कुर्सी सुरक्षित है, लेकिन पार्टी आलाकमान के इशारे पर नवजोत सिंह सिद्धू ने अमरिंदर सिंह के खिलाफ मोर्चा खोले रखा. अब अमरिंदर सिंह दिल्ली और चंडीगढ़ के बीच शक्ति संतुलन बनाते रहे और आखिर में कांग्रेस ने उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटा दिया. कैप्टन अमरिंदर ने इसे अपनी बेअदबी करार दिया और कहा कि वो कांग्रेस की जड़ों में मट्ठा डाल देंगे.
पंजाब लोक कांग्रेस का उदय
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पंजाब लोक कांग्रेस के नाम से नई राजनीतिक पार्टी बनाई. उन्होंने अपने समय के कांग्रेस के पुराने साथियों को टीम में जगह दी, जो उनके प्रति वफादार रहे थे. हालांकि बहुत सारे विधायक कांग्रेस के साथ ही बने रहे. लेकिन अमरिंदर सिंह की पार्टी ने जिन सीटों पर चुनाव लड़ा, उन सीटों पर कांग्रेस को जबरदस्त नुकसान पहुंचा और लगभग सभी सीटों पर कांग्रेस को बुरी तरह से हार झेलनी पड़ी.
अमरिंदर से सिद्धू फिर चन्नी की पॉवर पॉलिटिक्स
पंजाब में कांग्रेस ने चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाया, तो ये कहा जा रहा था कि दो लोगों की लड़ाई का फायदा चन्नी को मिल गया. फिर चन्नी के खिलाफ भी सिद्धू ने मोर्चा खोल दिया. यहां मुख्यमंत्री पद के चेहरे को लेकर लड़ाई थी. बीच में जाखड़ भी आए. लेकिन आखिर में बाजी हाथ लगी चन्नी के. उन्होंने दो सीटों पर चुनाव लड़ा, और नतीजे में क्या मिला, ये किसी से नहीं छिपा. कांग्रेस आलाकमान ने दलित नेता चरणजीत सिंह चन्नी को अपना मुख्यमंत्री और मुख्यमंत्री का चेहरा बनाकर स्मार्ट कार्ड तो खेला लेकिन इसने इस संदेश को बार-बार पुष्ट किया कि पार्टी दलितों और गरीबों के लिए खड़ी है. पार्टी ये भूल गई कि 'पंजाब का मुख्यमंत्री सिख होना चाहिए' जैसे बयान देकर अपने पारंपरिक हिंदू वोट आधार और पिछले 20 वर्षों में पार्टी से जुड़े जाट सिख मतदाताओं को अलग कर दिया. फिर नवजोत सिंह सिद्धू पिछले एक साल से पंजाब की राजनीति में भले ही छाए हुए थे, लेकिन अब लगता है कांग्रेस को उनका विकल्प ढूंढना ही पड़ेगा. क्योंकि वो जिस भी पार्टी में रहे, उसमें अपने लिए फायदा और पार्टी के लिए हमेशा नुकसान का ही सबब बने.
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पंजाब की राजनीति को नया विकल्प मिलना
पिछले चुनाव में आम आदमी पार्टी ने बेहतर प्रदर्शन किया था. लेकिन इस बार बाकी राजनीतिक दलों के मुकाबले आम आदमी पार्टी में अंदरुनी उठापटक कम रही. पार्टी ने अपने दम पर चुनाव लड़ा. जिन चुनावी योजनाओं की घोषणा की, उसमें सभी वर्गों को शामिल करने की बात कही. वहीं, बाकी पार्टियां पंजाब के लोगों के लिए घिसी पिटी साबित हुई. अकालियों से उकता कर जनता कांग्रेस के पास गई थी, लेकिन वहां तो 100 सिर और 1 ताज वाली हालत रही. अकालियों ने दलितों का वोट लेने की खातिर बसपा से गठबंधन कर लिया. कैप्टन अमरिंदर अपनी ही चाल में मस्त रहे. बीजेपी कुछ खास कर नहीं पाई. ऐसे में आम आदमी पार्टी को किसी भी तरफ से मजबूत चुनौती नहीं मिल सकी. इसके अलावा आम आदमी पार्टी के सभी नेताओं ने लगातार पंजाब में अपनी उपस्थिति बनाए रखी.
बीजेपी का उभर कर न आ पाना, पंजाबी वर्सेज नॉन पंजाबी मुद्दा
कांग्रेस और बीजेपी में पंजाबी वर्सेज नॉन पंजाबी का मुद्दा रहा. पंजाब में बीजेपी के पास कोई मजबूत चेहरा नहीं था. वो कैप्टन अमरिंदर सिंह के चेहरे के पीछे रहे. उसे उम्मीद थी कि वो कैप्टन अमरिंदर को आगे कर सबकुछ साझ सकती है. लेकिन ऐसा हो नहीं पाया. खुद कैप्टन अपनी सीट हार गए. वहीं, कांग्रेस के मुख्यमंत्री ने दिल्ली, यूपी, बिहार के 'भईया' जैसे बयान देकर नॉन पंजाबियों को नाराज कर दिया. इन सबका फायदा आम आदमी पार्टी को मिला और वो प्रचंड बहुमत के साथ जीत दर्ज करने में सफल रही.
हमने स्वच्छ-सौम्य नेतृत्व देने की कोशिश की: कांग्रेस
इस बीच दिल्ली में कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के कार्यकर्ता से लेकर बड़े नेता तक को आत्मविश्लेषण करने की ज़रूरत है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक बुलाई गई है. रणदीप सुरजेवाला ने कहा है, 'क्या इस देश में धर्मांधता, जातीय विभाजन, हिन्दू-मुसलमान चलेगा या रचनात्मक राजनीति चलेगी? हमने रचनात्मक राजनीति की कोशिश की लेकिन कामयाबी नहीं मिली. कांग्रेस पार्टी इन मुद्दों पर हमेशा काम करेगी.' सुरजेवाला ने कहा, 'पंजाब में चरणजीत सिंह चन्नी जी के रूप में एक स्वच्छ और सौम्य नेतृत्व देने की कोशिश की थी लेकिन कैप्टन अमरिंदर सिंह के साढे़ चार साल के सत्ता विरोधी लहर भारी पड़ी. उत्तर प्रदेश में हम पार्टी को ज़मीन पर ज़िंदा कर रहे हैं. हमने चुनाव को धार्मिक मुद्दों से हटाकर बुनियादी मुद्दों के आधार पर चुनाव लड़ने की कोशिश की. लेकिन भावनात्मक मुद्दे इन मुद्दों पर कहीं न कहीं हावी हुए हैं.' सुरजेवाला ने कहा कि हम संगठन पर काम करेंगे. सोनिया गांधी जल्द ही कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक बुलाएंगी. हम चुनाव हारेंगे लेकिन हिम्मत नहीं हारेंगे. हम नई रणनीति के साथ लौटेंगे.
राहुल-सिद्धू ने स्वीकारी हार, कही ये बात
पंजाब में अपनी हार को स्वीकारते हुए पंजाब कांग्रेस प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) ने ट्वीट किया है जो वायरल हो रहा है. नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) ने कहा, 'जनता की आवाज ईश्वर की आवाज है... पंजाब की जनता के जनादेश को विनम्रता से स्वीकार करें... आप को बधाई!!!' वहीं, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी पांच राज्यों में पार्टी की हार स्वीकार करते हुए जीत दर्ज करने वाली पार्टियों को बधाई दी है. राहुल गांधी ने अपने कार्यकर्ताओं के प्रति आभार जताया है. राहुल ने कहा कि कार्यकर्ताओं ने कड़ी मेहनत की थी. कांग्रेस नेता ने कहा, 'हम इस नतीजे से सीख लेंगे और भारत की जनता के हित में काम करना जारी रखेंगे.'
HIGHLIGHTS
- पंजाब में कांग्रेस को मिली करारी हार
- कांग्रेस की हार में नवजोत सिंह सिद्धू बड़ा नाम
- पंजाब के लोगों को मिला नया विकल्प