राजस्थान का रण... बीते गुरुवार यानि 23 नवंबर को विधानसभा चुनाव के लिए जनसभाओं और रैलियों का दौर थम चुका है. अब कल यानि 25 नवंबर को राजस्थान की राज गद्दी पर कौन विराजेगा इसका फैसला होना है. जहां एक ओर कांग्रेस राजस्थान की पांच साल सत्ता परिवर्तन की परिपाटी को बदलने की कोशिश करेगी, तो वहीं भाजपा चुनावी फाइनल में फतह हासिल करने की जिद्दो- जहद में शुमार दिखेगी. इसी के चलते कल यानि चुनावी दिन राजस्थान विधानसभा की कई सीटों पर मुकाबला कांटे का होने वाला है. इसलिए आइये आपको चुनाव से ठीक एक रात पहले, राज्य की टॉप VIP सीटों के बारे में विस्तार से बताते हैं, जिसपर इस चुनाव सबकी निगाहें टिकी रहेंगी...
पहले मालूम हो कि, राजस्थान देश के उन चुनिंदा राज्यों में शुमार है, जहां वोटर्स हर पांच साल बाद सत्ता परिवर्तन के पक्ष में वोट करते हैं, मसलन यहां बीते लंबे वक्त से बारी-बारी से कांग्रेस और भाजपा को चुनने का रिवाज रहा है. लिहाजा स्पष्ट है कि इस बार भी राज्य में मुख्य मुकाबला सत्तारूढ़ कांग्रेस और मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी के बीच होगा, हालांकि कई अन्य पार्टियां भी चुनावी मैदान में भाजपा-कांग्रेस की गणित बिगाड़ने के फिराक में रहेंगी. तो अब चलिए जानें आखिर इस आमने-सामने के मुकाबले में कौन सी सीटें हॉट सीट रहेंगी.
1. झालरापाटन
झालरापाटन राजस्थान के रण में सबसे हाई प्रोफाइल सीटों में शुमार है, जहां से भाजपा की कद्दवार नेता और राज्य की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे मैदान में हैं. गौरतलब है कि वसुंधरा और झालरापाटन का ये रिश्ता पुराना रहा है. साल 2003 से राजे झालरापाटन से विधायक हैं और अबकी बार पांचवीं बार वो इस सीट पर ताल ठोक रही हैं. बता दें कि झालरापाटन को राजस्थान में बीजेपी का गढ़ माना जाता है, जिसे भेदने का स्वप्न कांग्रेस अबतक साकर नहीं कर पाई है, खासतौर पर वसुंधरा राजे के बाद. अगर साल 2018 विधानसभा चुनाव के आंकड़ों पर गौर करें तो, पूर्व सीएम वसुंधरा राजे को यहां 1,16,484 वोट मिले थे.
इस बार कांग्रेस से, रामलाल चौहान (पिड़ावा) राजे के सामने चुनाव लड़ रहे हैं. सौंधिया राजपूत चेहरे के बदौलत कांग्रेस ने उनकी उम्मीदवारी का दाव खेला है. साथ ही क्षेत्र में सौंधिया राजपूत समाज के वोटर की जातिगत गणित साधते हुए बेहतर समीकरण के आस में उन्हें टिकट सौंपा हैं.
2. सरदारपुरा:
राजस्थान के रण में एक और हॉट सीट है सरदारपुरा सीट. यहां से खुद सूबे के मुखिया यानि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत चुनाव लड़ रहे हैं. गहलोत ने पहली बार 1977 में यहां से जीत हासिल की थी, जिसके बाद 1999, 2003, 2008, 2013 और 2018 के विधानसभा चुनावों में फतह बरकरार रखी. गहलोत इस बार सातवी बार सरदारपुरा सीट से चुनावी रण में उतरे हैं. राजनीतिक एक्सपर्ट्स की मानें तो ये सीट अभेद है. हालांकि भाजपा ने गहलोत के सामने महेंद्र सिंह राठौड़ को उतारा है. लिहाजा इस मुकाबले पर पूरे देश की नजर टिकी रहेगी.
3. टोंक:
फिलहाल राजस्थान की राजगद्दी पर काबिज कांग्रेस ने अपने पांच साल के कार्यकाल में कई समस्याओं का सामना भी किया, इसकी एक मुख्य वजह रही गहलोत और दिग्गज कांग्रेस नेता सचिन पायलट के बीच खराब रिश्ते. इसी लिए ये सीट भी काफी ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाती है. दरअसल टोंक में साल 2018 में पहली दफा सचिन पायलट यहां से जीते थे, इससे पहले भाजपा के अजीत सिंह मेहता यहां के विधायक रह चुके हैं. हालांकि टोंक का चुनावी इतिहास कांग्रेसमय ही रहा है, क्योंकि साल 1998, 2003 और 2008 तक यहां कांग्रेस ने राज किया है. हालांकि 2013 वाली कहानी दोबारा दौहराने की आस लिए भाजपा ने फिर मेहता को मैदान में उतारा है.
4. लक्ष्मणगढ़:
ये भी इस चुनाव जबरदस्त चर्चा वाली सीट रहने वाली है. दरअसल यहां से कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और भाजपा नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुभाष महरिया आमने-सामने हैं. क्योंकि लक्ष्मणगढ़ की सीट पर 10 साल पुराना इतिहास खुद को फिर दौहराने जा रहा है. दरअसल पूरे एक दशक बाद दोनों नेता चुनावी रण में आमने-सामने उतरे हैं. इससे पहले साल 2013 के विधानसभा चुनाव में डोटासरा ने महरिया को बड़े अंतर से मात दी थी.
5. सवाई माधोपुर:
राजस्थान के रण में सवाई माधोपुर भी हाई वोल्टेज सीट में शुमार है. जहां एक और भाजपा ने इसपर मौजूदा राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा को मैदान में उतारा है, तो वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस ने मौजूदा विधायक दानिश अबरार को मुकाबले में उतारा है. हालांकि ये रण त्रिकोणीय मुकाबले में तबदील हो गया है, क्योंकि आशा मीना को अब निर्दलीय तौर पर चुनाव लड़ रही हैं.
Source : News Nation Bureau