रणभूमि राजस्थान! किसके सिर सजेगा सियासी ताज.. किसकी होगी शह, किसकी होगी मात... जानें सबकुछ

राजस्थान का सियासी इतिहास देश के बाकि राज्यों से अलहदा रहा है, मसलन यहां महज  0.33 प्रतिशत वोट से भी सत्ता बदल जाने का खौफ रहता है. लिहाजा इस मुकाबले में सीएम गहलोत का लोक कल्याणकारी योजनाओं वाला दाव और भाजपा का...

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Sourabh Dubey
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Rajasthan_Election( Photo Credit : news nation )

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राजस्थान का रण... शह मात के खेल में, कौन मारेगा बाजी? ये सवाल इस वक्त हर राजस्थानी के जुबान पर रटा है. दरअसल साल 1993 से राज्य की सियासत हर पांच साल में पलटी मारती है. ऐसे में सवाल है कि क्या इस बार ये सत्ता परिवर्तन की परिपाटी, कांग्रेस ध्वस्त कर पाएगी? या फिर हर बार की तरह इस बार भी भाजपा दोबारा राज्या की शाही गद्दी पर अपनी जोरदार वापसी करेगी? फिलहाल सवाल कई सारे हैं, जिनका सटीक जवाब आज देश के सामने होगा. मगर इससे पहले पावर Vs परंपरा के इस मुकाबले में नतीजे क्या हो सकते हैं, चलिए उसपर चर्चा करें...

गौरतलब है कि राजस्थान का सियासी इतिहास देश के बाकि राज्यों से अलहदा रहा है, मसलन यहां महज  0.33 प्रतिशत वोट से भी सत्ता बदल जाने का खौफ रहता है. लिहाजा इस मुकाबले में सीएम गहलोत का लोक कल्याणकारी योजनाओं वाला दाव और भाजपा का मोदीमय माहौल राज्य की जनता पर क्या कमाल दिखाता है, आइये समझते हैं...

फासला नहीं.. करीबी मुकाबले का कयास

राज्य के तमाम सियासी जानकार इस चुनाव को लेकर काफी ज्यादा उत्सुक नजर आ रहे हैं. उनका मानना है कि राजस्थान की जनता ने कभी कांग्रेस और भाजपा के अलवा किसी तीसरे पर विश्वास नहीं किया, यही वजह है कि हर पांच साल बाद विधानसभा में सियासी कामयाबी का फासला काफी कम आंका गया है.

भले ही वक्त दर वक्त, तमाम तीसरी पार्टियां भी मुकाबले को त्रिकोणीय शक्ल देने आती रही हैं, मगर चुनावी फतह का ताज हमेशा कांग्रेस या भाजपा में से एक के सिर सजा है. लिहाजा इस बार का मुकाबला भी कांटे की टक्कर का हो सकता है. राजनीतिक एक्सपर्ट्स की मानें तो, इस बार भाजपा की उम्मीद और कांग्रेस के दबदबे में उलझी ये सियासी दास्तां एक बार फिर से इतिहास दौहरा सकती है... इतिहास सत्ता परिवर्तन का...

सियासी तबदीली का शिकार होने जा रहा राजस्थान...

जी हां... राजस्थान का रण एक और बार सियासी तबदीली का शिकार होने जा रहा है. सोशल मीडिया से लेकर तमाम न्यूज चैनल तक, हर जगह राजस्थान की जनता का सत्ता परिवर्तन के समर्थन में नजर आ रही है. हालांकि संभव है कि ‘ऊंट’करवट ले बैठे, मगर फिलहाल स्थिति काफी हद तक स्पष्ट है. सियासी जानकारों का भी यही कहना है कि, सियासत का ये खेल हर साल की तरह ही इस साल भी कांग्रेस-बीजेपी के बीच ही खेला जाना है. त्रिकोणीय मुकाबले की संभावना न के बराबर है.

चलिए समझते हैं चुनावी गुणा-भाग

राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए किए जा रहे प्रचार-प्रसार में महिलाओं से जुड़े मुद्दों का बोलबाला रहा था. हर पार्टी चाहे भाजपा हो या कांग्रेस या फिर कोई अन्य सभी ने महिलाओं की सुरक्षा और सुविधा को लेकर कई वायदे किए थे. हालांकि इस चुनाव महज 10 प्रतिशत महिला उम्मीदवारों की सियासी मौजूदगी एक प्रतिवाद पैदा करती है.

हालांकि इसके अलग अगर चुनावी गणित पर फोकस करें तो, राजस्थान में कुल 1875 उम्मीदवारों, जिनमें 183 महिला उम्मीदवार हैं जो जस्थान की 200 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं कुल 5 करोड़ 29 लाख मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग कर इन उम्मीदवारों का चयन करेंगे. हालांकि राजस्थान की सत्ता का ताज किसके सिर सजेगा, वो अगले महीने की तीन तारीख को स्पष्ट हो जाएगा.

Source : News Nation Bureau

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