साल 2020 बिहार की जनता और यहां के नेताओं के लिए अहम साल हैं. इस साल बिहार में विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election 2020) होने है. ऐसे में सभी राजनीतिक पार्टीयों ने पूरी तरह कमर कस ली हैं. विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता अपनी पार्टी के प्रचार और संगठन को मजबूत करने की कोशिशों में जुटे हुए हैं. ऐसे में देखना होगा कि इस बार बिहार की जनता किसे सत्ता पर बैठाएगी और किसे बाहर का रास्ता दिखाएगी. लेकिन इससे पहले हम रानीगंज विधानसभा सीट (Raniganj constituency) के बारे में जानेंगे.
रानीगंज विधानसभा के बारे में-
रानीगंज विधानसभा का गठन 1957 में हुआ था. 1962 के बाद यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हो गयी. यहां दलित वोटरों की भूमिका निर्णायक रही है. रानीगंज विधानसभा क्षेत्र में अबतक 15 चुनाव हुए है. इसमें कांग्रेस ने पांच बार, बीजेपी ने तीन बार, जनता दल ने दो बार, जनता पार्टी, आरजेडी व जदयू ने एक-एक बार जीत हासिल की है. इसके अलावा दो बार निर्दलीय उम्मीदवारों ने भी बाजी मारी है.
डूमर लाल बैठा, जमुना प्रसाद राम, शांति देवी जैसे दिग्गज इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. ये तीनों मंत्री भी रह चुके हैं. रानीगंज विधानसभा क्षेत्र की राजनीति मूल रूप से मुस्लिम, यादव और दलित वोटरों के ईदगिर्द घूमती है. 2009 के परिसीमन के बाद रानीगंज विस में रानीगंज प्रखंड की 32 व भरगामा प्रखंड की सात पंचायतों को शामिल किया गया है.
मतदाताओं की संख्या-
- कुल मतदाता 273431
- पुरुष मतदाता 143958
- महिला मतदाता 129473
अबतक चुने गए विधायक-
- 1995 शांति देवी (जद)
- 2000 यमुना प्रसाद राम (राजद)
- 2005 फरवरी- परमानंद ऋषिदेव (बीजेपी)
- 2005 नवंबर- रामजी दास ऋषिदेव (बीजेपी)
- 2010 परमानंद ऋषिदेव (बीजेपी)
- 2015 अचमित ऋषिदेव (जदयू)
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रानीगंज की समस्या-
रानीगंज मूंगफली की खेती से नई पहचान मिली है. वहीं क्षेत्र की कई पंचायतों के किसान सब्जी की खेती कर अच्छी आमदनी होती है. इसके अलावा धान, व मक्के की खूब पैदावार होती है. रानीगंज विधानसभा क्षेत्र अति पिछड़ा है. इस कारण हर साल हजारों मजदूर रोजी-रोटी की तलाश में बाहर जाने को मजबूर हैं. रानीगंज विधानसभा क्षेत्र का अधिकतर इलाका बाढ़ग्रस्त रहता है.
Source : News Nation Bureau