दिल्ली विधानसभा चुनाव (Delhi Assembly Election 2020) का बिगुल बज चुका है, ऐसे में सभी राजनीतिक पार्टीयां जोर-शोर से चुनावी प्रचार में जुट चुकी हैं. दिल्ली की सल्तनत पर बैठने के लिए हर पार्टी कमर कस कर चुनावी मैदान में उतर गई है और जनता तमाम लुभावने वादें कर रही है. हालांकि अब ये चुनाव परिणाम के बाद ही पता चलेगा की देश की राजधानी की सत्ता पर दोबारा आम आदमी पार्टी (AAP) की वापसी होगी या फिर बीजेपी और कांग्रेस बैठेगी. बता दें कि दिल्ली विधानसभा की 70 सीटों पर 8 फरवरी को वोट डाले जाएंगे और 11 फरवरी को नतीजे आएंगे.
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दिल्ली चुनाव को देखते हुए हमने भी पूरी तैयारी कर ली है, यहां हम आपको दिल्ली के हर विधानसभा क्षेत्र की पूरी जानकारी देंगे कि कब वहां से कौन जीता और फिलहाल जो विधायक है उनका काम कैसा रहा. इसी क्रम में आज हम आर के पुरम विधानसभ निर्वाचन क्षेत्र के बारें में बात करेंगे. तो आइए जानते है इस सीट के बारे में.
आर के पुरम सीट पर क्या कांग्रेस दोबार कर पाएगी वापसी?
आर के पुरम (रामकृष्ण पुरम) के नाम से भी मशहूर यह इलाका नई दिल्ली लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र का हिस्सा है. इस विधानसभा सीट पर पहला चुनाव 1972 में कराया गया था. उस समय यहां से कांग्रेस के जगदीश चंद ने भारतीय जनसंघ के नेता ओंकार सिंह को हराकर विधायक बने थे. वर्तमान में यहां से आम आदमी पार्टी की प्रमिला टोकस विधायक हैं. इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा अधिक रहा है. यहां से 4 बार कांग्रेस पार्टी ने जीत दर्ज की है. साल 2015 के दिल्ली के विधानसभा चुनाव में आप की विधायक प्रमिला टोकस को (54645) वोट मिले थे उन्होंने बीजेपी उम्मीदवार को 19068 वोटों के अंतर से हराया था. बीजेपी उम्मीदवार अनिल कुमार शर्मा को (35577) वोट मिले थे. वहीं कांग्रेस को (4042) वोट प्राप्त हुए थे.
जानें आर के पुरम विधानसभा सीट के बारे में
आर के पुरम को साल 1950 में मुनिरका के किसानों की जमीन को अधिग्रहीत कर के संत रामकृष्ण परमहंस के नाम से बसाई गई थी. अभी इस कॉलोनी को दिल्ली के पॉश इलाकों में गिनी जाती है क्योंकि यहां अधिकत्तर कॉरपोरेट घर के लोग और केंद्रीय कर्मचारी रहती हैं. इसके अलावा ये क्षेत्र स्कूल-कॉलेज, मॉल, चर्च और व्यापारिक संस्थान के लिए भी प्रसिद्ध है.
मतदाताओं की कुल संख्या
इस चुनाव क्षेत्र में 150141 मतदाता है, जिसमें से 2015 में 84415 (पुरुष) और 65722 (महिलाओं) ने वोट डाले थे. साल 2015 के विधानसभा चुनाव में यहां 64.14 प्रतिशत वोट पड़े थे.
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2015 विधानसभा चुनाव में 'आप' की हुई थी बंपर जीत
गौरतलब है कि साल 2015 के विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल की पार्टी 'आप' ने सबको चौंकाते हुए 54.3 फीसदी वोट शेयर हासिल किए थे. मत प्रतिशत के मामले में बीजेपी 32.3 फीसदी वोट के साथ दूसरे नंबर पर रही तो कांग्रेस का वोट शेयर 9.7 फीसदी पर आ गया था.
लोकसभा चुनाव में रहा था बीजेपी का दबदबा
2019 के लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी केवल 18.1 फीसदी वोट पा सकी तो बीजेपी 56.5 फीसदी मत पाने में कामयाब रही. कांग्रेस के वोट शेयर में 12 फीसदी की बढ़ोतरी हुई और उसे 22.5 फीसदी वोट मिले थे.
Source : News Nation Bureau