पश्चिम बंगाल (West Bengal) में सूबे की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपने राजनीतिक कैरियर का सबसे कठिन चुनाव लड़ रही है. नंदीग्राम में कभी उनके खास रहे शुभेंदु अधिकारी तीसरे दौर की मतगणना के बाद भी दीदी से आगे चल रहे हैं. बीजेपी उम्मीदवार 8100 मतों से आगे चल रहे हैं. ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) खासकर टीएमसी के लिए यह परेशान करने वाली बात हो सकती है. गौरतलब है कि बीजेपी ने यहां 'नंदीग्राम-जय श्रीराम' का नारा दिया था. यही वह विधानसभा क्षेत्र है जहां दीदी पर कथित हमला हुआ था. यही नहीं, शुरुआती रुझानों में टीएमसी से बागी होकर बीजेपी में शामिल होने वाले नेताओं की चांदी दिख रही है. शुभेंदु अधिकारी (Suvendu Adhikari) के अलावा राजाब बनर्जी भी आगे चल रहे हैं. वहीं ममता सरकार के कुछ मंत्री पूछे चल रहे हैं.
नंदीग्राम का रण
2009 के उपचुनाव में टीएमसी ने लेफ्ट से इस सीट को छीना था और 2011 और 2016 में इस पर कब्जा बनाए रखा. सिंगुर और नंदीग्राम की लड़ाई के दम पर ममता बनर्जी बंगाल से लेफ्ट के शासन को उखाड़ फेंकने में सफल रही हैं. 2009 के उपचुनाव में टीएमसी की फिरोजा बीबी ने नंदीग्राम में 93,022 वोट हासिल करते हुए जीत हासिल की थी, जबकि बीजेपी के बीजन कुमार दास को सिर्फ 9,813 वोट मिले थे. सीपीआई के विधायक मुहम्मद इलियास के भ्रष्टाचार से जुड़े एक स्टिंग ऑपरेशन में फंसने के बाद इस सीट पर चुनाव हुए थे.
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पेंचदार है प्रतिष्ठित सीट
2011 के विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी ने लेफ्ट को मात देते हुए 34 साल के वामपंथी शासन को उखाड़ फेंका. टीएमसी की फिरोजा बीबी ने 61.21 फीसदी वोट हासिल कर नंदीग्राम में अपना कब्जा बनाए रखा. बीजेपी के दास को सिर्फ 1.72 प्रतिशत वोट मिले. 2014 के लोकसभा चुनावों में टीएमसी के उम्मीदवार शुभेंदु अधिकारी ने बीजेपी के बादशाह आलम को तामलुक सीट से बड़े मतों के अंतर से हराया. नंदीग्राम, तामलुक सीट के अंतर्गत आता है. अधिकारी को 53.60 प्रतिशत वोट मिले तो आलम को महज 6.40 प्रतिशत वोट हासिल हुए.
शुभेंदू का सियासी सफलता
दो साल 2016 के विधानसभा चुनाव में शुभेंदु अधिकारी 67.20 प्रतिशत वोट के साथ विजयी हुए और बीजेपी के दास सिर्फ 10,713 (5.40 प्रतिशत) वोट मिले. हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव में स्थितियां बदल गईं. बीजेपी ने बंगाल में 18 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की. टीएमसी ने शुभेंदु अधिकारी के भाई दिव्येंदु अधिकारी को चुनाव मैदान में उतारा, जिन्होंने बीजेपी के सिद्धार्थ नास्कर को तामलुक से चुनावी मात दी. दिब्येंदु को 190,165 वोटों से जीत मिली और टीएमसी को कुल 50.08 फीसदी वोट हासिल हुए, जबकि बीजेपी को 36.44 फीसदी वोट मिले.
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नंदीग्राम के समीकरण
हालांकि 2021 की लड़ाई अलग है. टीएमसी का नंदीग्राम में पिछला प्रदर्शन शानदार रहा है और ममता बनर्जी के चुनावी मैदान में उतरने के बाद समीकरण बदल गए हैं. बीजेपी की ओर से शुभेंदु अधिकारी चुनावी मैदान में हैं, जिनका परिवार पूर्वी मिदनापुर में काफी पकड़ रखता है. विशेषज्ञों के मुताबिक नंदीग्राम में बीजेपी को हिंदू वोटरों से बड़ी उम्मीद है, तो टीएमसी 30 फीसदी मुस्लिम वोटरों से आस लगाए हुए है. 2011 की जनगणना के मुताबिक नंदीग्राम के ब्लॉक 1 में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 34.04 प्रतिशत है, जबकि ब्लॉक 2 में मुस्लिम मतदाताओं की आबादी 2 फीसदी है.
HIGHLIGHTS
- तीसरे दौर की मतगणना के बाद भी नंदीग्राम से शुभेंदु अधिकारी आगे
- ममता बनर्जी ने अगर खाई नहीं पाटी तो होगी टीएमसी को मु्श्किल
- नंदीग्राम का इतिहास है यहीं से बदलती आई है सत्ता की कुर्सी