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Telangana Election : कांग्रेस आलाकमान का ऐलान, रेवंत रेड्डी 7 दिसंबर को लेंगे सीएम पद की शपथ

Telangana Election : रेवंत रेड्डी की नियुक्ति के साथ करीब 16 या 17 विधायकों के मंत्री पदों पर शपथ लेने की उम्मीद जताई जा रही है

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Mohit Saxena
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Revanth Reddy

Revanth Reddy( Photo Credit : social media)

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Telangana Election : तेलंगाना सरकार के गठन को लेकर कांग्रेस ने तेजी दिखाई है. आलाकमान ने अधिकारिक रूप से ऐलान कर दिया है कि तेलंगाना के अगले सीएम रेवंत रेड्डी होंगे. इस घोषणा के बाद अनिश्चितता का अंत हो चुका है. दरअसल कांग्रेस के अंदर तेलंगाना के सीएम चेहरे को लेकर असमंजस की स्थिति देखी जा रही थी. मगर कांग्रेस आलाकमान ने मंत्रणा करके रेवंत रेड्डी के नाम का ऐलान कर दिया है. आपको बता दें कि रेड्डी का शपथ ग्रहण समारोह 7 दिसंबर को सुबह 10 बजे होने वाला है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अगले दो दिन कोई शुभ दिन न होने की वजह से यह तारीख चुनी गई है.

रेड्डी की नियुक्ति के साथ करीब 16 या 17 विधायकों के मंत्री पदों पर शपथ लेने की उम्मीद जताई जा रही है.  इन नामों में उत्तम कुमार रेड्डी का नाम शामिल है. उत्तम का नाम भी सीएम पद के दावेदारों में जोरशोर से लिया जा रहा था. मगर ऐन मौके पर रेवंत के नाम पर मुहर लग गई. उत्तम के अलावा दामोदर राजनरसिम्हा, श्रीधर, कोमाटिरेड्डी वेंकट रेड्डी, कोंडा सुरेखा और सीताक्का जैसे वरिष्ठ पार्टी सदस्य मंत्री पद की दौड़ में शामिल हैं.  मीडिया रिपोर्ट की मानें तो 50 से अधिक विधायकों ने रेड्डी को अपना समर्थन देने दावा किया है. इससे उनकी पार्टी के अंदर मजबूत पकड़ को दिखाता है. 

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कौन हैं रेवंत रेड्डी 

रेवंत रेड्डी का जन्म 8 नवंबर, 1968 को पूर्व आंध्र प्रदेश (अब दक्षिणी तेलंगाना में स्थित) में कलवाकुर्थी के नजदीक कोंडारेड्डीपल्ले गांव में एक किसान परिवार के यहां हुआ. रेवंत ने 1992 में हैदराबाद के एवी कॉलेज से बीए कोर्स को पूरा किया. अपने चुनावी हलफनामे में रेड्डी ने बताया है. उनका राजनीतिक सफर छात्र जीवन के दौरान अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से आरंभ हुआ. रेवंत ने शुरुआत में 2001-02 में तत्कालीन नवोदित तेलंगाना राष्ट्र समिति (अब बीआरएस) के साथ अपना राजनीतिक सफर शुरू किया. बाद में वे पार्टी से अलग हो गए. वे 2006 के जिला परिषद प्रादेशिक परिषद चुनाव में निर्दलीय खड़े हुए और सफलता हासिल की.

उन्होंने कांग्रेस के खिलाफ भी चुनाव भी लड़ा और जीता भी. 2007 में वे स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़े. उन्होंने महबूबनगर क्षेत्र के स्थानीय निकाय एमएलसी चुनावों में कांग्रेस कैंडिडेट पर जीत हासिल की. इसके बाद वे  चंद्रबाबू नायडू की नजरों में आए. चंद्रबाबू रेवंत की क्षमता को देख प्रभावित हुए. ऐसे में उनकी राह बदल गई.  2008 में टीडीपी में शामिल हुए. रेवंत ने 2009 में कोडंगल से अपनी पहली विधायक सीट को हासिल किया. उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार को करीब 7,000 वोटों से अंतर से हरा दिया. इस सीट पर उन्होंने 2014 पर भी विजय प्राप्त की. 

केसीआर काफी परेशान हुए

अक्टूबर 2017 में रेवंत ने कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए. उनके जाने से केसीआर काफी परेशान हुए. उन्होंने  विधानसभा में उनकी वापसी को रोकने के लिए भरसक प्रयास किया. उन्होंने किसी भी कीमत पर कोडंगल में  रेवंत को हराने का निर्देश दिया गया. दिसंबर 2018 में रेवंत अपनी सीट हार गए. मगर उन्होंने इसे दोबारा प्राप्त कर लिया. रेवंत को 2019 के आम चुनाव में मल्काजगिरी, जो कि एक अहम लोकसभा क्षेत्र है से कांग्रेस सांसद के रूप में चुना गया था.

 

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