मध्यप्रदेश में तीसरा मोर्चा जिस तरह से उभरकर सामने आया था, उतनी ही जल्दी बिखर भी गया. समाजवादी पार्टी, बीएसपी और सपाक्स ने इस बार मध्यप्रदेश में सरकार को टक्कर देने की बात कही थी, लेकिन अब ऐसा नजर आ रहा है कि एक बार फिर से मध्य प्रदेश में बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही आमने-सामने का मुकाबला होगा. इस बारे में बीजेपी का कहना है कि तीसरा मोर्चा एक साथ मिलकर सिर्फ और सिर्फ कांग्रेस को सबक सिखाना चाहता है न कि बीजेपी को. वहीं कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि कांग्रेस का मुकाबला सिर्फ और सिर्फ भारतीय जनता पार्टी से है.
कांग्रेस के प्रवक्ता अमित शर्मा का कहना है कि मध्य प्रदेश में छोटे-मोटे दलों का कोई भी वर्चस्व नहीं है. मध्यप्रदेश में मुकाबला सिर्फ और सिर्फ बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही होता है. क्योंकि एकला चलो का नारा लेकर कोई भी दल मध्य प्रदेश में अपना वर्चस्व नहीं बना सकता.
इधर सपाक्स समाज पार्टी ने इस बारे में कहा, मध्य प्रदेश में पार्टी का वर्चस्व बढ़ा हुआ है और वह प्रदेश की कई विधानसभा सीटों पर असर भी दिखाएगा. कुछ सीटों पर समाजवादी पार्टी और गोंडवाणा गणतंत्र पार्टी का गठबंधन जरूर सक्रिय है, लेकिन पूरे प्रदेश में यह गठबंधन अपना प्रभाव छोड़ने को लेकर अब भी संघर्ष करता दिख रहा है. कुल मिलाकर कहा जाए तो मध्यप्रदेश में एक बार फिर से बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है. जिस तरह से सपाक्स समाज पार्टी ने मध्य प्रदेश में बदलाव की बात कही थी, वैसा कुछ भी होता नजर नहीं आ रहा. ऐसा लग रहा है कि सपाक्स समाज पार्टी अब खुद ही गुटबाजी का शिकार होकर बिखर रही है.
मध्य प्रदेश में जितनी तेजी से उभरा, उतनी ही जल्दी बिखर गया तीसरा मोर्चा
Jitendra Sharma
मध्यप्रदेश में तीसरा मोर्चा जिस तरह से उभरकर सामने आया था, उतनी ही जल्दी बिखर भी गया. समाजवादी पार्टी, बीएसपी और सपाक्स ने इस बार मध्यप्रदेश में सरकार को टक्कर देने की बात कही थी, लेकिन अब ऐसा नजर आ रहा है कि एक बार फिर से मध्य प्रदेश में बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही आमने-सामने का मुकाबला होगा. इस बारे में बीजेपी का कहना है कि तीसरा मोर्चा एक साथ मिलकर सिर्फ और सिर्फ कांग्रेस को सबक सिखाना चाहता है न कि बीजेपी को. वहीं कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि कांग्रेस का मुकाबला सिर्फ और सिर्फ भारतीय जनता पार्टी से है.
कांग्रेस के प्रवक्ता अमित शर्मा का कहना है कि मध्य प्रदेश में छोटे-मोटे दलों का कोई भी वर्चस्व नहीं है. मध्यप्रदेश में मुकाबला सिर्फ और सिर्फ बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही होता है. क्योंकि एकला चलो का नारा लेकर कोई भी दल मध्य प्रदेश में अपना वर्चस्व नहीं बना सकता.
इधर सपाक्स समाज पार्टी ने इस बारे में कहा, मध्य प्रदेश में पार्टी का वर्चस्व बढ़ा हुआ है और वह प्रदेश की कई विधानसभा सीटों पर असर भी दिखाएगा. कुछ सीटों पर समाजवादी पार्टी और गोंडवाणा गणतंत्र पार्टी का गठबंधन जरूर सक्रिय है, लेकिन पूरे प्रदेश में यह गठबंधन अपना प्रभाव छोड़ने को लेकर अब भी संघर्ष करता दिख रहा है. कुल मिलाकर कहा जाए तो मध्यप्रदेश में एक बार फिर से बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है. जिस तरह से सपाक्स समाज पार्टी ने मध्य प्रदेश में बदलाव की बात कही थी, वैसा कुछ भी होता नजर नहीं आ रहा. ऐसा लग रहा है कि सपाक्स समाज पार्टी अब खुद ही गुटबाजी का शिकार होकर बिखर रही है.
Source : Jitendra Sharma