केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत (Gajendra singh shekhawat) ने पिछले महीने कहा था कि बीजेपी वर्चुअल रैली (BJP virtual Rally) के लिए पूरी तरह तैयार है. अब जबकि चुनाव आयोग (Election Commission) ने भी 15 जनवरी तक चुनावी रैली (Election Rally) पर रोक लगा दी है, ऐसे में बीजेपी के लिए यह वर्चुअल रैली कितना फायदेमंद साबित होगा. वर्चुअल रैली बीजेपी के लिए यह पहला अनुभव नहीं होगा. इससे पहले बंगाल के चुनाव में भी वर्चुअल रैली आयोजित की गई थी. कोविड के दौरान जब दुनिया की सभी राजनीतिक पार्टियां पूरी तरह निष्क्रिय थी उस समय भी BJP के कार्यकर्ता और पार्टी के सभी लोग वर्चुअल प्लेटफॉर्म पर काम कर रहे थे. चुनावी रैली पर लगी रोक के बाद एक बार फिर से बीजेपी वर्चुअल रैली करने में जुट गई है, लेकिन क्या यूपी के इस विधानसभा चुनाव में बीजेपी वर्चुअल रैली के जरिये अपने मतदाताओं को समझाने में कामयाब हो पाएगी. वर्तमान में यूपी में बीजेपी को इस रैली के जरिये कितना फायदा मिल सकता है और यूपी में सपा, कांग्रेस, बसपा समेत अन्य पार्टियों की क्या तैयारियां है. इस तरह के कई ऐसे कई सवाल हैं जो मन में उठ रहे हैं.
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चुनाव आयोग ने फैसला किया है कि 15 जनवरी तक लोगों की शारीरिक रूप से मौजूदगी वाली कोई जनसभा, पदयात्रा, साइकिल रैली, बाइक रैली रोड शो की अनुमति नहीं होगी. इसके बाद चुनाव आयोग कोविड महामारी की स्थिति की समीक्षा करेगा और इसके मुताबिक निर्देश जारी करेगा. हाल के सालों में डिजिटल माध्यम के जरिए चुनावी प्रचार पर जोर रहा है. पार्टियां डिजिटल दुनिया में अपनी स्थिति को मजबूत कर रही हैं और कई पार्टियों ने अपने विशेष आईटी सेल भी बनाए हैं. फिलहाल हर दृष्टिकोण से अन्य पार्टियों की तुलना में डिजिटल पहुंच के मामले में बीजेपी मजबूत दिख रही है. फिलहाल बीजेपी वर्चुअल रैलियों के लिए 3डी तकनीक का इस्तेमाल करने की योजना बना रही है, वहीं समाजवादी पार्टी और कांग्रेस लोगों तक पहुंचने के लिए सोशल मीडिया पर भरोसा कर रही है. हालांकि राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि चुनाव आयोग के नए नियमों से सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी को फायदा पहुंच सकता है.
कुल 17 दौरे कर चुके हैं पीएम मोदी
चुनाव आयोग की घोषणा के बाद बीजेपी अऩ्य पार्टियों की तुलना में आगे दिख रही है. अभी तक खुद पीएम मोदी यूपी में 17 दौरे कर चुके हैं. सिर्फ पिछले 48 दिनों में ही उन्होंने 13 बड़ी रैलियों को संबोधित किया है. जबकि राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi adityanath) खुद हर जिले में जाकर दौरा कर चुके हैं. इनके अलावा केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह भी 12 बार तो भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा 13 बार यूपी का दौरा कर कार्यक्रमों, रैलियों को संबोधित कर चुके हैं.
बीजेपी की तुलना में कई दल पीछे
पिछले कुछ दिनों में जिस तेज गति से बीजेपी ने चुनाव प्रचार किया है उसके मुकाबले बाकी दल काफी पीछे हैं. हालांकि बीजेपी के बाद समाजवादी पार्टी की ओर से कई रैलियां जरूर आयोजित की गई, लेकिन अन्य पार्टियां इस मामले में काफी पीछे है. उत्तर प्रदेश के प्रमुख राजनीतिक दल बहुजन समाज पार्टी की नेता मायावती ने अभी तक कोई बड़ी रैली भी नहीं की है.
क्या है अलग-अलग पार्टियों की तैयारियां :
भारतीय जनता पार्टी
सूत्रों की मानें तो बीजेपी की योजना 3डी स्टूडियो मिक्स तकनीक का इस्तेमाल करने की है, जिसके जरिए दो अलग-अलग जगहों पर बैठे नेताओं को पोडियम पर दिखाया जा सके. कुछ समय तक इसी तरह के संदेश भाजपा समर्थकों के व्हाट्सएप ग्रुप और ट्विटर हैंडल पर देखे जा सकते थे. पार्टी के पास पहले से ही प्रत्येक राज्य में 1.5 लाख से अधिक बूथ स्तर के व्हाट्सएप ग्रुप हैं, जिनका उपयोग इन वर्चुअल रैलियों को आयोजित करने के लिए किया जाएगा. भाजपा के पास स्थानीय स्तर पर प्रचार के लिए वॉर रूम भी हैं. वहां बैठी टीमें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम आदि की मदद से अपनी पार्टी के पक्ष में जनता का समर्थन जुटा रही है.
समाजवादी पार्टी
चुनाव आयोग के फैसले के बाद समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव मतदाताओं तक पहुंचने के लिए वर्चुअल रैलियों की योजना बना रहे हैं. सपा के मुताबिक, वे लंबे समय से स्वयंसेवकों को डिजिटल रूप से प्रशिक्षण दे रहे हैं और 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान भी पार्टी का सोशल मीडिया वॉर रूम सक्रिय था. सपा ने एक लिंक ट्वीट कर लोगों को राज्य के 400 से अधिक विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा चलाए जा रहे व्हाट्सएप ग्रुप में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया है. पार्टी के मुताबिक, वे गांव-गांव जाने की योजना बना रहे थे, लेकिन अब फेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब के जरिए लोगों तक पहुंचेंगे.
कांग्रेस
कोविड-19 स्थिति को देखते हुए कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने उत्तर प्रदेश में अपनी सभी बड़ी रैलियों और कार्यक्रमों को 15 दिनों के लिए स्थगित कर दिया है. उन्होंने अब लोगों से डिजिटल रूप से जुड़ने का फैसला किया है. प्रियंका गांधी ने अपने वर्चुअल प्रचार की शुरुआत शनिवार से पार्टी के फेसबुक, यूट्यूब और अन्य सोशल मीडिया हैंडल पर प्रसारित एक कार्यक्रम के जरिए की. 'प्रियंका के साथ लाइव कार्यक्रम में पार्टी फेसबुक लाइव सत्र आयोजित करती है जहां कांग्रेस महासचिव लोगों के साथ बातचीत करते हैं.
बहुजन समाज पार्टी
मायावती की बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अपने विरोधियों की तुलना में वर्चुअल प्रचार के खेल में पिछड़ रही है. बसपा के वरिष्ठ नेता सतीश चंद्र मिश्रा वर्तमान में लाइव रैलियां करने के लिए फेसबुक का उपयोग कर रहे हैं, लेकिन पार्टी में अपने प्रतिद्वंद्वी दलों द्वारा अपनाई गई आक्रामक सोशल मीडिया रणनीति का अभाव है. शनिवार को चुनाव आयोग की घोषणा के बाद बसपा अब सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से डिजिटल प्रचार का विस्तार करने की योजना बना रही है. इनके अलावा, सभी पार्टियां राज्य भर में, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में एलईडी स्क्रीन के साथ वैन और ट्रकों का उपयोग करके वीडियो दिखाने की योजना बना रही हैं.
ओम प्रकाश राजभर का वर्चुअल प्लान
सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (SBSP) के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने कहा कि राजभर समाज जब से सरकार में था तब से चुनावी मूड में था और बूथ स्तर तक तैयारी की है. उन्होंने कहा कि उनका समाज चुनाव आने का इंतजार नहीं करता और पहले से ही तैयार है. राजभर का मानना है कि वर्चुअल होने से कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा. पार्टी अब फेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब के माध्यम से अपने मतदाता आधार तक पहुंचने की योजना बना रही है.
पार्टी के अनुसार, राजभर का यूट्यूब हैंडल पार्टी के मतदाताओं के बीच सबसे ज्यादा पसंद किया जाने वाला है और वर्चुअल प्रचार के लिए एक प्राथमिक उपकरण होगा.
आम आदमी पार्टी
आम आदमी पार्टी (आप) भी बढ़ते कोविड-19 मामलों के बीच डिजिटल मीडिया के माध्यम से प्रचार का समर्थन कर रही है. राज्यसभा सांसद संजय सिंह का कहना है कि अगर जनता सुरक्षित है तो चुनाव भी होंगे. 8 जनवरी को वाराणसी में वर्चुअल रैली में संजय सिंह ने फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब के जरिए लोगों को संबोधित किया था. पार्टी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग करके और अधिक वर्चुअल रैलियां करने की योजना बना रही है. पार्टी की योजना डोर-टू-डोर प्रचार के जरिए भी जनता तक पहुंचने की है.
HIGHLIGHTS
- डिजिटल पहुंच के मामले में बीजेपी मजबूत दिख रही है
- अभी तक खुद पीएम मोदी यूपी में 17 दौरे कर चुके हैं
- चुनाव आयोग ने 15 जनवरी तक लगाई है चुनावी रैली पर रोक