विकासपुरी सीट पश्चिमी दिल्ली के पटेल नगर जोन में आता है और इस सीट पर अभी आम आदमी का कब्जा है. 2015 विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के महिंदर यादव या महेंद्र यादव ने सबका दिल जीत कर विधायक की कुर्सी पर कब्जा जमाया था. 2002 में गठित परिसीमन आयोग की सिफारिशों के बाद 2008 में यह विधानसभा क्षेत्र अस्तित्व में आया. इसके पहले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के नंद किशोर जीत हासिल की. इसके बाद 2013 में हुए चुनाव में यहां से आम आदमी पार्टी के महेंद्र यादव ने जीत हासिल की. विकासपुरी सीट से बीजेपी के संजय सिंह, आम आदमी पार्टी के महेंद्र यादव और कांग्रेस की ओर से मुकेश शर्मा चुनाव मैदान में हैं.
दिल्ली के इस इलाके को सुनियोजित तरीके से 1980 में बसाया गया था. इस इलाके में बड़ी संख्या में शॉपिंग मॉल्स, मल्टीप्लेक्स, शोरूम, रेस्टोरेंट समेत बड़े बाजार लोगों के आकर्षण का केंद्र हैं. मेट्रो लाइन से जुड़ा होने के चलते इस इलाके से दिल्ली का चक्कर लगाया जा सकता है. ये अपने आप में एक पॉश इलाका माना जाता है.
विधायक
महेंद्र यादव के परिवार में उनकी तीन बेटियां हैं और पत्नी का नाम राज यादव हैं. महेंद्र यादव ने 10वीं तक पढ़ाई की है. जबकि उनकी संपत्ति 2.15 करोड़ है.
विधानसभा चुनाव 2015 में आम आदमी पार्टी ने मारी बाजी
इसके पहले यानी 2013 विधानसभा चुनावों में भी इस सीट पर महेंद्र यादव ने चुनाव जीता था. बीजेपी से आम आदमी पार्टी ज्वाइन करने वाले महेंद्र 2012 में पहली बार पार्षद चुने गए. पिछली बार महेंद्र यादव ने कुल 132437 वोट प्राप्त कर सीट पर कब्जा जमाया था. महेंद्र यादव ने 2015 में बीजेपी के संजय सिंह को 132437 वोटों के अंतर से हरा दिया था.
कुल मतदाताओं की संख्या 3,25,246
2015 के विधानसभा चुनाव के मुताबिक विकासपुरी विधानसभा में मतदाताओं की कुल संख्या 3,25,246 है. यहां कुल 183313 पुरुष मतदाता हैं जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 141905 हैं.
बीजेपी फिर देगी चुनौती
इस सीट पर पिछली बार बीजेपी के उम्मीदवार संजय सिंह हार गए थें लेकिन बीजेपी लेकिन बीजेपी एक बार फिर इस सीट पर एक बार कब्जा जमाने की कोशिश करेगी.
दिल्ली में 8 फरवरी को होंगे विधानसभा चुनाव
दिल्ली विधानसभा की 70 सीटों पर 8 फरवरी को वोट डाले जाएंगे और 11 फरवरी को नतीजे आएंगे. पिछले विधानसभा चुनाव में दिल्ली की 70 में से 67 सीटों पर आम आदमी पार्टी की जीत हुई थी. बीजेपी को सिर्फ तीन सीटें ही मिलीं थीं, जबकि कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला था.