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बंगाल के आखिरी दौर के चुनाव में दिखा कोरोना का असर, फिर भी होती रही रैलियां

बंगाल चुनाव के आखिरी दौर में कोरोना संक्रमण का असर और उससे जुड़े हुए वादे हावी रहे. एक ओर जहां ममता बनर्जी केंद्र को कोरोना की दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार ठहराती नजर आईं.

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Shailendra Kumar
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बंगाल के आखिरी दौर के चुनाव में दिखा कोरोना का असर( Photo Credit : न्यूज नेशन)

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कोरोना के संकट से देश जूझ रहा है. बीते एक हफ्ते से देश में बीते रोजाना 3 लाख से ज्यादा नए केस सामने आ रहे हैं. कोरोना (COVID-19) के कहर को कम करने के लिए देश के कई राज्यों में लॉकडाउन (Lockdown) जैसी सख्त पाबंदियां लागू हैं फिर भी मामलों में कमी नहीं आ रही. पश्चिम बंगाल में भी कोरोना संक्रमण बड़ी तेजी के साथ बढ़ रहा है. कोरोना के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए चुनाव आयोग ने बड़ा फैसला लिया है. चुनाव आयोग ने उम्मीदवारों और उनके एजेंटों के लिए अनिवार्य आरटी-पीसीआर परीक्षण रिपोर्ट या पूर्ण टीकाकरण रिपोर्ट दिखाने के लिए मतगणना केंद्रों में प्रवेश करना अनिवार्य कर दिया है.

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आखिरी दौर में दिखा कोरोना का असर
बंगाल चुनाव के आखिरी दौर में कोरोना संक्रमण का असर और उससे जुड़े हुए वादे हावी रहे. एक ओर जहां ममता बनर्जी केंद्र को कोरोना की दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार ठहराती नजर आईं. तो उन्होंने ये वादा भी किया कि अगर टीएमसी की सरकार आएगी तो बंगाल के लोगों का मुफ्त में टीकाकरण किया जाएगा. वैक्सीन को लेकर ममता बनर्जी ने पीएम मोदी को दो बार पत्र लिखा. वहीं, बीजेपी ने भी मुफ्त वैक्सीनेशन का वादा किया. इस तरह से कोरोना के मुद्दे पर ममता ने केंद्र पर जम कर हमले किए तो बीजेपी ने भी उन्हें निशाने पर लिया. कोरोना संक्रमण की बंगाल में रफ्तार बढ़ने से बीजेपी ने वर्चुअल रैलियों का सहारा लिया.

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कोरोना के चलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी सभी जनसभाएं रद्द कर दी थीं और उन्होंने वर्चुअल रैली के जरिए मुर्शिदाबाद, मालदा सहित आखिरी चरण की कई सीटों को एक साथ संबोधित किया. ममता बनर्जी ने रैलियों के बजाय विभिन्न जिलों में अपने उम्मीदवारों के लिए प्रेस कॉफ्रेंस करने का विकल्प चुना ताकि एक बड़ा राजनीतिक संदेश दिया जा सके. कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच चुनाव आयोग ने बड़ी रैलियों और रोड शो पर प्रतिबंध लगा दिया था. हालांकि, आयोग के फैसले से पहले ही कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने बंगाल चुनाव के लिए अपनी सभी रैलियों को रद्द कर दिया था. उसके बाद ममता ने अपनी रैलियों के समय में कटौती की और बाद में रैलियों के बजाय प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए प्रचार करने का निर्णय लिया.

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होती रहीं बीजेपी नेताओं की रैलियां
राहुल-ममता के बाद पीएम मोदी ने भी सभी रैलियों को रद्द कर दिया था और महज 500 लोगों की रैलियों को करने का निर्णय बीजेपी ने किया. पीएम मोदी ने अंतिम चरण में सिर्फ एक वर्चुअल रैली को संबोधित किया जबकि बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष, शुभेंदु अधिकारी, मिथुन चक्रवर्ती की रैलियां होती रहीं. इन रैलियों में बीजेपी का दावा है कि 500 लोग से ज्यादा शामिल नहीं हुए. लेकिन टीएमसी के ओर से आरोप लगाया गया कि बीजेपी ने चुनाव आयोग के दिशानिर्देशों का उल्लंघन किया. सीएम ममता बनर्जी ने बीरभूम जिले में सभी उम्मीदवारों के साथ एक प्रेस कॉफ्रेंस की. इस दौरान ममता ने एक बार फिर से केंद्र सरकार पर निशाना साधा.

HIGHLIGHTS

  • कोरोना के संकट से देश जूझ रहा है
  • आखिरी दौर में दिखा कोरोना का असर
  • होती रहीं बीजेपी नेताओं की रैलियां
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